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मिस आर - आरंभ

दिशान्त शर्मा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 15962
आईएसबीएन :978-1-61301-699-2

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भारत  की  पहली  महिला  सुपर हीरोइन ‘मिस -आर' जो खुद एक बलात्कार पीड़िता और एसिड पीड़िता है लेकिन उसकी ‘औरा पावर’ ने उसे एक नया अवतार दिया है। वो खुद की और लोगों की मदद करना चाहती है...

दो मिनट के बाद अंदर से एक लड़की बाहर आई, जिसने सफेद रंग का नाईट-सूट पहन रखा था और हाथ में एक ट्रे थी, जिसमें दो कप थे जिनमें निश्चित तौर पर चाय थी। लड़की ने चाय का एक कप उस व्यक्ति को पकड़ाया और दूसरा कप मेज पर पर रखकर, स्वयं खाली कुर्सी पर बैठ गई। उस लड़की की आयु 20 बरस के करीब लग रही है। उसकी आँखें गोल और बड़ी हैं, जिस पर नजर का चश्मा लगा हुआ है, सिर के बालों का जूड़ा बना हुआ है, कद 165-170 सेमी के करीब का होगा परंतु लड़की की आँखों में एक तेज नजर आता है।

“तुम्हारा गला फिर से खराब हो गया, कैथरीन” उस व्यक्ति ने चाय पीते-पीते उस लड़की को संबोधित करते हुए पूछा।

“आपने सही कहा, मेरे गले का खराब होना तो रोज का है, साल में 300 दिन यह खराब ही तो रहता है।” उस लड़की, यानी कैथरीन ने अपनी बैठी आवाज में कहा।

“कोई बात नहीं बेटा, मेडिसिन ले लेना। ठीक हो जाएगा।” पापा ने मुस्कराते हुए प्यार से कहा और “भारत किरण” नामक समाचार पत्र को चाय पीती हुई कैथरीन को दे दिया।

कैथरीन ने समाचार पत्र लिया और चाय पीते-पीते पढ़ने लगी। अखबार के मुखपृष्ठ को पलटते ही उसकी नजर जब एक समाचार पर गयी तो एकाएक उसकी भृकुटी तन गई। उसकी बड़ी-बड़ी आँखों में एक ज्वाला-सी नजर आने लगी। उसने अचानक तेज आवाज में कहा “इन सब को फाँसी दे देनी चाहिए, इन्होंने समझ क्या रखा है? क्या हमारी कोई जिंदगी नहीं है?”

उसकी बात को सुनकर उसके पापा ने एक ठंडी और गहरी साँस ली और वह समझ गये कि कैथरीन ने फिर बलात्कार या फिर एसिड अटैक या दोनों ही समाचार पढ़े हैं, कैथरीन इन दोनों जघन्य अपराधों के बारे में पढ़ते ही आग-बबूला हो जाया करती है। तभी कैथरीन ने अखबार को पापा की तरफ बढ़ाया और पकड़ाकर, धीमे से उठी और गुस्से के उबाल में अंदर चली गई।

पापा ने अखबार की उस खबर पर नजर डाली, जिसका शीर्षक था “एक बार फिर इन्सानियत शर्मसार” जिसमें शहर में हुई एक घटना का जिक्र था।

दरअसल शहर में पिछले दो महीनों से 5 अज्ञात बलात्कारियों का समूह घूम रहा था, जो कि अलग-अलग तरीकों से लड़कियों, औरतों को, यहाँ तक कि बच्चियों को भी उठा ले जाता था। उठाने के बाद वो 5 बलात्कारी उसके साथ बलात्कार करते थे, फिर एसिड डालकर मार डालते थे और पुलिस उन्हें पकड़ने में अब तक नाकामयाब रही थी।

लोग इस दरिंदों के समूह को “रेप गैंग” कहकर बुलाने लगे हैं, अब तक इस गैंग ने 10 लड़कियों के साथ हैवानियत की थी। इस खबर की गम्भीरता काफी थी, एक बेटी के पिता को डराने के लिए। कैथरीन के पापा ने तुरन्त अपनी बेटी को आवाज लगाई, “बेटा जरा पापा के पास आना।”

दो मिनट बाद कैथरीन बाहर आई। अब वो थोड़ी शांत दिखाई दे रही थी। “बेटा तुम शाम को जल्दी घर आ जाया करो।” पापा ने धीमी आवाज में प्यार से कहा।

“ताकि मैं सुरक्षित रहूँ” कैथरीन ने बैठी हुई आवाज में कहा।

“हाँ, अभी बाहर का माहौल ठीक नहीं है, सेफ्टी जरूरी है”

“क्या मेरी ही सेफ्टी जरूरी है? अपनी माँ, बेटी, बहन, बीबी सुरक्षित रहे, बाकी मर जायें?”

“नहीं बेटा, हर एक की सेफ्टी जरूरी है पर मैं तुम्हारा पापा हूँ, मुझे तुम्हारी फिक्र है, और रहेगी बेटा, बस तुम शाम को जल्दी आ जाना बेटा।”

कैथरीन ने एक बार अपने पापा को घूरा फिर तुरन्त बिना कुछ कहे अंदर चली गई। पापा के चेहरे पर अभी भी एक मुस्कराहट थी।

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    अनुक्रम

  1. अनुक्रमणिका

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