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मिस आर - आरंभ

दिशान्त शर्मा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 15962
आईएसबीएन :978-1-61301-699-2

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भारत  की  पहली  महिला  सुपर हीरोइन ‘मिस -आर' जो खुद एक बलात्कार पीड़िता और एसिड पीड़िता है लेकिन उसकी ‘औरा पावर’ ने उसे एक नया अवतार दिया है। वो खुद की और लोगों की मदद करना चाहती है...

1

भविष्यवाणी

 

आज 18 मार्च 2018 है, हिन्दू नववर्ष 2075 की सुबह। साथ ही साथ यह नव-संवत्सर और चैत्र नवरात्र का आरंभ है। आम भारतीय घरों में यह एक त्योहार है, जिसे वह सब मिलकर हर्षोल्लास से मनाते हैं परन्तु आज की सुबह कुछ शक्तिशाली लोगों के लिए असमान्य भविष्यवाणी की सिद्धि है।

कैलाश-मानसरोवर, एक पवित्र और भव्य स्थल जो तिब्बत में स्थित है, ऐसा कहा जाता है कि कैलाश पर्वत पृथ्वी का केन्द्र है और यहाँ पर घटित हो रही इस घटना को देख सकने में आमजन असमर्थ हैं, सुबह के आठ बज रहे हैं, शीत हवाएं गतिमान हैं और तापमान 7-8 डिग्री है, इस मौसम में दो मठवासी वृद्ध भिक्षु एक-दूसरे की तरफ देखते हुए चुपचाप खड़े हैं इन दोनों के अतिरिक्त कोई भी इस पगडण्डी पर उपस्थित नहीं है। एक भिक्षु के बाल व दाढ़ी लंबी व सफेद है तो वहीं पर दूसरे भिक्षु के बाल और दाढ़ी नहीं हैं, दोनों ही भिक्षु एक-दूसरे को एकटक देख रहे है दोनों के चेहरे भावहीन परंतु तेज से परिपूर्ण हैं। वास्तव में, दोनों भिक्षु एक दूसरे से वार्ता कर रहे हैं परंतु मन में। उनकी सिद्धियों ने उन दोनों को मन की वार्ता समझने की शक्ति दी है।

“वक्त आ गया है।” पहले वृद्ध भिक्षु ने कहा जो कि कठोर दिखाई दे रहा था।

“परंतु वह अभी अबोध कन्या है, उसके लिए यह सब कहना नामुमकिन होगा।” दूसरे भिक्षु ने अपनी बात की तकलीफ को सहते हुए कहा।

“कष्ट की अग्नि में तपकर ही सोना (कनक) बनता है और यही उसकी नियति है, यदि वह सोना बन पाने में असफल रही तो वह स्वयं के साथ-साथ अनेकों लोगों की आशा को भी समाप्त कर देगी।”

“आज की तिथि में तो वह यह जानती भी नहीं है कि आने वाला एक साल उसकी चंचलता, मासूमियत ले लेगा और उसे कष्ट संघर्ष व नफरत देगा।”

“उसके इस भाग्य निर्धारण में उसके अपनों का भी हाथ है, अपनों के सत्कर्म यदि सत्फल लाते हैं तो बुरे कर्म भयावह परिणाम बन जाते हैं।”

“क्या वह कन्या उस दुर्दान्त को रोक पायेगी? क्रूरता को समाप्त कर देगी?" दूसरे भिक्षु ने ठण्डे भाव से पूछा।

“आप स्वयं भविष्यदर्शक हैं, फिर भी आप यह मुझसे पूछ रहे हैं, ठीक है मैं इसे कुछ हद तक स्पष्ट कर सकने का प्रयास करता हूँ, यह कन्या उस क्रूर के समक्ष बाधक बनेगी परंतु समाप्त कर सकेगी या नहीं? यह तो भविष्य के गर्त का एक अंग है।” प्रथम भिक्षु ने मुख की भावहीनता के साथ प्रत्युतर किया।

“क्या हम कुछ कर सकते हैं? या कोई अन्य?"

“मुझे नहीं लगता कि हम या अन्य कोई भी कुछ कर सकता है, भविष्यवाणी संभावनाओं का प्रतिरूप है, यदि कुछ सत्य है तो वह निश्चित तौर पर व्यक्ति के कर्म और उसकी नियति है।”

“मैंने अपने भविष्यदर्शन में उस कन्या के साथ एक वृद्ध बाबा को देखा है जो कि काला ऊनी वस्त्र/दुशाला ओढ़े हुए हैं। वे सदैव उसकी सहायता कर रहे हैं, मैं अपनी सिद्धियों के बल पर आज भी उन बाबा को नहीं पहचान पा रहा हूँ, जैसे कोई अदृश्य शक्तिबल मुझे यह करने से रोकता हो। आपका क्या कहना है?” दूसरे भिक्षु ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुयेबात कही।

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    अनुक्रम

  1. अनुक्रमणिका

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