सामाजिक >> अजनबी अजनबीराजहंस
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राजहंस का नवीन उपन्यास
"लता, ये तुमने क्या किया...मुझे क्यों बचा लिया...मुझे क्यों नहीं मरने दिया...मैंने तो तुम्हें कभी सुख नहीं दिया।” विकास लता से लिपट कर रो पड़ा।“विकास...मेरा...यही...अन्त...था...।” लता ने कहा।
"लता, मैं तुम्हें इस घर में इसलिये तो नहीं लाई थी।” सुनीता ने रोते हुये कहा।
“दीदी...मेरी...एक...तमन्ना है...।" लता पर कमजोरी छा रही थी।
अब तक मुकेश भी होश में आ चुका था। वह भी आंखों में आंसू भरे लता को देख रहा था।
"कहो लता..,मैं तुम्हारी हर इच्छा पूरी करने को तैयार हूं।" “मेरे...बेटे...को...अपना...नाम...दे...देना..."
“वो तो है ही मेरा बेटा "मुकेश...मैं..जा...रही...हैं...।" लता ने मुकेश को देख कर कहा।
"नहीं लता तुम मुझे अकेला छोड़कर नहीं जाओगी।" मुकेश रो पड़ा।
"अब...मुझे...कोई...नहीं...बचा सकता...तुम्हें...मेरी....एक..बात...माननी....होगी।" "कहो।” मुकेश के हाथों में लता के हाथ थे और लता का सिर विकास की गोद में था।
"तु...म...शा...दी...कर...ले...ना...” लता की सांस उखड़ रही थी। लता ने कतरे नजरों से विकास की ओर देखा। विकास ने उसकी आंखों में देखा और अपने होठ लता की आंखों पर रख दिये।
लता ने एक हिचकी ली और सदा के लिये उसकी आंखें बन्द हो गई तथा कोठी में कोहराम मच गया।
रामू ने सेठजी को भी फोन करके बुला लिया था। राम के कारण ही समय पर पुलिस आ पाई थी क्योंकि सेठजी के कमरे से रामू ने पुलिस को फोन कर दिया था।
लता की चिंता जल रही थी। विकास, मुकेश, सुनीता व सेठ जी सब उस जलती हुई चिता को देख रहे थे। उस नारी ने उस पति के प्राणों के लिये अपना बलिदान कर दिया था जिसने उसे सिर्फ भोग की वस्तु माना था। विकास को भी अपनी गलती का अहसास हो गया था और उसकी आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे। मन ही मन वह उस देवी से क्षमा मांग रहा था जिसे उसने भोग कर ठुकरा दिया था और दुनिया में भटकने के लिये अकेला : छोड़ दिया था। उसे बार-बार यही ख्याल आ रहा था कि उस समय यदि लता ने आती तो अब उसकी चिता जल रही होती।
पुलिस ने जग्गा को पकड़ लिया था। वह शहर का विख्यात स्मगलर था। उसके अण्डर में कई लड़कियां व लड़के काम करते थे जिसमें से एक रूबी थी। रूबी सरकारी गवाह बन गयी और उसने बताया था जग्गा सबसे पहले रूबी को काम बताता था फिर वह औरों से काम लेती थी। इन्हीं में विकास को फंसाना भी था।
जग्गा ने पहले विकास से दोस्ती की फिर उसे बुरे रास्तों पर चला दिया। जग्गा ने ही रूबी को विकास से दोस्ती करने के लिये कहा था। उस्का विचार था विकास सोने का अण्डा देने वाली मुर्गी है अतः उसे फंसाये रखना चाहिये।
जब विकास को यह सब पता चला तो उसका दिमाग चकरा गया। जिसे विकास अपना दोस्त समझता था वह उसका कितना बड़ा दुश्मन था और उसने कितना जबरदस्त जाल फैलाया था।
विकास ने कान पकड़ कर बुरे काम से तौबा की तो सुनीता व मुकेश खिलखिला कर हंस पड़े।
-: समाप्त :-
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