स्वास्थ्य-चिकित्सा >> आदर्श भोजन आदर्श भोजनआचार्य चतुरसेन
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प्रस्तुत है आदर्श भोजन...
7. दही और छाछ
दही दूध से कहीं ऊंचे दरजे का मूल्यवान आहार है। इसमें से दूध के सब विकार तो दूर हो जाते हैं, पर नये गुण बढ़ जाते हैं। दूध की जो शर्करा है, उसकी खटाई बन जाती है, जो आमाशय में पाचक रस उत्पन्न करती है। परन्तु दही मीठा होना चाहिए। खट्टा या सड़ा हुआ न हो। दही का स्टार्च और शर्करा दोनों ही परिवर्तित होकर हमारे शरीर को लाभ पहुंचाते हैं। दूध का घी भी ऐसे ही सरल पाचक तत्त्वों में बदल जाता है।
छाछ दही से भी उत्कृष्ट पदार्थ है। घी निकल जाने से वह अधिक पाचक हो जाता है। उसमें ठीक उतना ही घी का अंश रहता है, जिसे पचने में कुछ दिक्कत नहीं रहती। वह पेट में जाते ही जैसे का तैसा शरीर में मिल जाता है। उसमें दूध और दही का प्रोटीन सबका सब रहता है। यह स्वभाव से ही परम पाचक है, फिर यदि इसे हींग-जीरे से बघारकर तथा नमक, काली मिर्च और पुदीने से स्वादिष्ट करके खाया जाए तो यह आपके लिए अमृतरूप लाभकारी होगा।
मलाई-क्रीम
मलाई के अन्दर घी का सबसे अधिक भाग, लगभग आधे के, आ जाता है। इसमें कुछ भाग प्रोटीन और स्टार्च का भी, पानी के अतिरिक्त, जो 25 प्रतिशत के लगभग होता है, मौजूद होता है। यह अत्यन्त शक्तिवर्धक तथा सुपाच्य है। 12 घंटे औटाए हुए दूध की मलाई में 16 प्रतिशत चिकनाई होती है, कम औटे हुए दूध की क्रीम में कम; बच्चों के लिए यही उपयुक्त है।
सूमिक
अमेरिकन चिकित्सक दूध का सूमिक बनाते हैं। उसकी रीति यह है कि दूध को पकाकर और उसमें चीनी मिलाकर एक बन्द डाटदार बोतल में रात को बाहर ठंडी जगह में रख दिया जाता है। छ: घंटे में वह सूमिक बन जाता है। बिना डाट खोले वह दो दिन तक रखा जा सकता है। पीछे उसे भली भांति मथनी से मथकर पीना चाहिए। यह एक अति स्वादिष्ट और शक्तिवर्धक पेय है, जो कमजोर लोगों के लिए तुरन्त शक्ति लाता है।
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