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स्वास्थ्य-चिकित्सा >> आदर्श भोजन

आदर्श भोजन

आचार्य चतुरसेन

प्रकाशक : राजपाल एंड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :55
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 1499
आईएसबीएन :00000

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प्रस्तुत है आदर्श भोजन...

23. विशिष्ट सात्विक आहार

1. चना, मटर, जौ, गेहूं, ज्वार आदि धान्यों को पानी में भिगोकर उन्हें एक टोकरे में रख, उस पर एक  बोरी का टुकड़ा पानी में भिगोकर ढक दो। इस प्रकार 24 घंटों में उसमें अंकुर उग आएंगे। ये अन्न इसी प्रकार तथा उबालकर या इनका आटा बनाकर खाए जा सकते हैं। ये परम सात्त्विक, सुपाच्य व शरीर की अन्तःशक्ति की वृद्धि करने वाले हैं।

2. भीगा हुआ चना या गेहूं - 1 छटांक

भीगा हुआ बादाम या पिस्ता - आधी छटांक

दोपहर को :  भीगा हुआ छुहारा - 1 नग 

दही - आधा सेर

(कच्ची तरकारियां-मूली, गाजर, गोभी, मटर, भिण्डी, टमाटर आदि) तीन पाव

रात को : दूध (बिना चीनी का) 2 छटांक

संतरा या अंगूर 2 छटांक

(फल दूध से आधा घंटा पहले लेना चाहिए)

यह वानप्रस्थी जैसा जीवन व्यतीत करनेवालों के लिए, जिन्हें घोर मानसिक परिश्रम करना पड़ता है,  अत्युत्तम आहार है।

जिन्हें कब्ज़, नेत्ररोग, सिरदर्द, निद्रानाश, चर्मरोग और स्नायुरोग हो, उनके लिए खासतौर पर लाभदायक है।

किशमिश की चाय

पाव-भर उत्तम किशमिश साफ करके गुनगुने पानी से शीघ्रता से धो डालना चाहिए। फिर ढाई सेर पानी आग पर चढ़ाइए। जब खौलने लगे तो किशमिश कुचलकर उसमें डाल दीजिए। आधा सेर पानी रहे तो छानकर थोड़ा नीबू निचोड़कर पीजिए।

भूसी की चाय

दोपहर के भोजन की समाप्ति पर आधा सेर गेहूं की भूसी 2 1/2 सेर पानी में आग पर चढ़ा दी जाए जो 2-3 घंटे बराबर पकती रहे। 4-5 बजे इसे छानकर चीनी और दूध मिलाकर सपरिवार-आबाल-वृद्ध-एक से दो प्याले तक चाय की भांति पिएं।

ये दोनों प्रकार की चाय शरीर को बनाने तथा पुराने कब्ज़ को दूर करने में अद्वितीय हैं। खास कर बच्चों के लिए अति हितकारी हैं।

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