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योग निद्रा

स्वामी सत्यानन्द सरस्वती

प्रकाशक : योग पब्लिकेशन्स ट्रस्ट प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :320
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 145
आईएसबीएन :0

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योग निद्रा मनस और शरीर को अत्यंत अल्प समय में विक्षाम देने के लिए अभूतपूर्व प्रक्रिया है।


परिवर्तन का बीजारोपण


योग निद्रा के अभ्यास में संकल्प का बीजारोपण ही व्यक्ति में परिवर्तन का कारण बनता है। जीवन में कोई भी क्रिया विफल हो सकती है, किन्तु योग निद्रा के समय लिया हुआ संकल्प कभी विफल नहीं होता है।

संकल्प संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है - प्रतिज्ञा करना। व्यक्ति के जीवन को नया रूप, नया आकार-प्रकार देने में संकल्प का बड़ा भारी योगदान रहता है। अगर व्यक्ति यह जान ले कि वह क्या बनना चाहता है तो वह संकल्प द्वारा अपने जीवन को उसी के अनुरूप बना सकता है। यह इच्छा कुछ भी हो सकती है, जैसे, लेखक, कलाकार, वक्ता अथवा आध्यात्मिक संत बनने की इच्छा। लेकिन इसको पूरा करने के लिए यह आवश्यक है कि व्यक्ति योग्य शिक्षक के निर्देशन में संकल्प की पद्धति सीखे।

हममें से अधिकतर लोग अंधेरे में भटकती उस नौका के समान हैं जिसमें न पाल है, न पतवार है, न माँझी है, न तूफान से टकराने वाला आधारभूत लंगर है। व्यक्ति जीवन की उपलब्धियों में इतना आसक्त है कि उसे स्वयं नहीं मालूम कि मेरे लिए किस रास्ते पर चलना ठीक होगा। कभी-कभी वह सही रास्ता चुनता भी है, पर पुनः अपने ढर्रे पर आ जाता है, क्योंकि जो भी रास्ता उसे बताया गया है, वह स्वयं उसकी मंजिल न होते हुए भी इतना लुभावना है कि वह उसे छोड़ नहीं पाता। वह क्या करे? कहाँ जाये? कोई दूसरा विकल्प भी तो नहीं है। अतः मनुष्य जल में पड़ी नौका की तरह संसार के थपेड़े खाता रहता है। योग निद्रा में किया हुआ संकल्प उसके लिए आदर्श एवं स्थिर पथ हो सकता है, लेकिन तभी जब व्यक्ति इसकी आवश्यकता को समझते हुए अभ्यास पर ध्यान दे।

योग निद्रा के अभ्यास के अंतर्गत संकल्प को एक संक्षिप्त मानसिक स्वीकारोक्ति के रूप में चेतना द्वारा भीतर पहुँचाया जाता है। अभ्यास के दौरान जब अवचेतन मन दिये गये सुझावों को स्वीकार करने की स्थिति में होता है तब उसमें संकल्पों का बीजारोपण भविष्य में फलीभूत होता है। मन के शान्त होने के बाद ही संकल्प करना चाहिए, जाग्रत मन में नहीं। अभ्यास के शुरू में और समाप्ति के पूर्व संकल्प के लिए बहुत थोड़ा सा समय दिया जाता है। उस स्थिति में ही संकल्प करना उसका बीजारोपण कहलाता है।

संकल्प जीवन में कुछ करने का एक दृढ़ निश्चय है। व्यक्ति मृत्युपर्यन्त अनेक इच्छाएँ व कल्पनाएँ करता रहता है, पर उनमें से बहुत कम सार्थक होती हैं। जैसे धरती पर छिटके हुए कुछ बीज पौधे बनते हैं और कुछ यूँ ही मुरझा जाते हैं। संकल्प वह बीज है जो व्यक्ति मन में डालता है और मन की ही क्यारी में उसको सींचता रहता है। यदि मन शान्त है तो संकल्प अच्छी तरह से फलदायक होते हैं। जैसे पौधे को रोपने से पहले जमीन को तैयार कर उसमें खाद इत्यादि डाली जाती है ताकि पौधा जल्दी बढ़े और फल दे सके। उसी प्रकार व्यक्ति का मन और विचार हैं। अगर व्यक्ति मानसिक रूप से पूर्ण तैयारी करके संकल्प करता है तो संकल्प उसके जीवन का मार्गदर्शन करता है।


बहुत से लोग बौद्धिक संकल्पों को जीवन का आधार बनाना चाह कर भी असफल रहते हैं। कारण यही है कि संकल्प का बीजारोपण सही रूप से नहीं किया गया। अक्सर संकल्पों का निर्णय उस समय लिया जाता है जव मन अव्यवस्थित रहता है अथवा वह संकल्पों को ठीक प्रकार से ग्रहण नहीं कर पाता। सफलता के लिए संकल्पों का बीजारोपण सशक्त इच्छा-शक्ति और अनुभव के साथ किया जाना आवश्यक है। योग निद्रा में ऐसी अवस्था आती है जब व्यक्ति का मन शान्त होता है और संकल्पों को स्वीकार कर उसे आत्मसात् करने में समर्थ होता है। यही वह ठीक समय है जब संकल्प को दुहराकर उसका बीजारोपण करना होगा।

एक बार संकल्प अचेतन मन में प्रवेश कर जाये तो वह मन को इसकी सफलता के लिए पूर्णतः तैयार कर लेता है। यह शक्तिशाली बीज व्यक्ति के चेतन मन को बार-बार संकेत देता रहता है, फलस्वरूप व्यक्ति के जीवन में संकल्प के अनुरूप परिवर्तन घर करता है। सभी को अपना मानसिक स्तर बदलने की स्वतंत्रता है, सुविधा है। किसी भय, अपराध, बाधा, भूत-प्रेत आदि का डर इतना गहरा नहीं होता कि उसे हटाया नहीं जा सके। योग निद्रा व्यक्ति को इन सभी बाधाओं से मुक्ति दिलाती है।

योग निद्रा में परिवर्तन के बीज संकल्प द्वारा बोये जाते हैं। सफलता के लिए संकल्प के पीछे दृढ़ इच्छाशक्ति का होना आवश्यक है। संकल्प एक शक्तिशाली विधि है जिसका बीजारोपण कुशल निर्देशन में करना उचित होता है। यद्यपि आप संकल्प का उपयोग स्वास्थ्य लाभ के लिए कर सकते हैं, तथापि व्यक्ति को इसका प्रयोग उच्चतर उद्देश्यों के लिए करना चाहिए, जैसे, आत्मज्ञान अथवा समाधि की अवस्था प्राप्त करने के लिए। यदि व्यक्ति अपनी जीवन-धारा को बदलना चाहता है तो वह भी योग निद्रा में लिए गये संकल्प की शक्ति द्वारा संभव है। यदि आपके जीवन में कोई नकारात्मक प्रवृत्ति या आदत है और आप उसे सुधारना चाहते हैं तो एक सकारात्मक संकल्प लेकर उसे भी सुधारा जा सकता है।

संकल्प मनुष्य के लिए एक शक्तिशाली यंत्र के समान है। संकल्प का उद्देश्य इच्छापूर्ति नहीं है, अपितु अपने मन के स्वरूप को शक्तिशाली बनाना ही संकल्प का सदुपयोग है। दूसरे शब्दों में आप यह भी कह सकते हैं कि संकल्प इच्छाशक्ति है। संकल्प तभी करना चाहिए जब व्यक्ति अपने संकल्प के वास्तविक उद्देश्य एवं अर्थ को भली-भाँति समझता हो। प्रारंभ में अधिकतर व्यक्ति यह समझते ही नहीं कि संकल्प क्या है और कैसे करना चाहिए। इस अवस्था में अपने को तैयार करें और सोचें कि कौन-सा संकल्प आपके लिए हितकारी होगा, तभी संकल्प लें।

अच्छे संकल्पों का चुनाव व्यक्ति को अच्छे जीवन की ओर ले जाता है। किन्तु यदि आप इसका उपयोग केवल बुरी आदतों, जैसे, धूम्रपान अथवा मद्यपान से छुटकारा पाने के लिए करते हैं तो यह संकल्प का दुरुपयोग है। संकल्प का वास्तविक उपयोग सम्पूर्ण जीवन-धारा को बदलने में है; केवल शारीरिक रूप से नहीं, बल्कि मानसिक, भावनात्मक एवं आध्यात्मिक रूप से भी। अतः आपका संकल्प अच्छा है तो आप सिगरेट, शराब, नशीली दवाओं आदि की आदत अपने आप छोड़ देंगे। यही कारण है कि हम योग निद्रा में बुरी आदतें छोड़ने का संकल्प लेने को उत्साहित नहीं करते, क्योंकि ये तो स्वयं छूट जाती हैं। इसलिए अच्छा है कि ऐसा संकल्प लें जो आपके सम्पूर्ण व्यक्तित्व को बदल कर आपको अधिक संतुलन, सुख एवं संतोष प्रदान कर सके। जब संकल्प जीवन को निर्देश देने लगते हैं तो व्यक्ति प्रत्येक स्थान पर सफल होता है।

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