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कहानी संग्रह >> तुमने क्यों कहा था मैं सुन्दर हूँ

तुमने क्यों कहा था मैं सुन्दर हूँ

यशपाल

प्रकाशक : लोकभारती प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :132
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 13344
आईएसबीएन :9788180314414

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तुमने क्यों कहा था मैं सुन्दर हूँ' कहानी संग्रह में यशपाल की तेरह कहानियाँ शामिल हैं

यशपाल के लेखकीय सरोकारों का उत्स सामाजिक परिवर्तन की उनकी आकांक्षा, वैचारिक प्रतिबद्धता और परिष्कृत न्याय-बुद्धि है। यह .आधारभूत प्रस्थान बिन्‌द उनके उपन्यासों में जितनी स्पष्टता के साथ -व्यक्त हुए हैं, उनकी कहानियों में वह ज्यादा तरल रूप में, ज्यादा गहराई के साथ कथानक की शिल्प और शैली में न्यस्त होकर आते हैं। उनकी, कहानियों का रचनाकाल चालीस वर्षों में फैला हुआ है। प्रेमचन्द के जीवनकाल में ही वे कथा-यात्रा आरम्भ कर चुके थे, यह अलग बात है कि उनकी कहानियों का प्रकाशन किंचित् विलम्ब से आरम्भ हुआ कहानीकार के रूप में उनकी. विशिष्टता यह है कि उन्होंने प्रेमचन्द के प्रभाव से मुक्त और अछूते रहते हुए अपनी कहानी-कला का विकास किया। उनकी कहानियों में संस्कारगत जड़ता और नार विचारों का द्वन्द्व जितनी प्रखरता के साथ उभरकर आता है, उसने भविष्य के कथाकारों कै लिए एक नई लीक बनाई, जो आज तक चली आती है। वैचारिक निष्ठा, निषेधों और वर्जनाओं से मुक्‍त न्याय तथा तर्क की कसौटियों पर खरा जीवन - ये कुछ ऐसे मूल्य हैं जिनके लिए हिन्दी कहानी यशपाल की ऋणी है।
'तुमने क्यों कहा था मैं सुन्दर हूँ कहानी संग्रह में उनकी ये कहानियाँ शामिल हैं : कोकला डकैत, हुकूमत का जुनून, चोरबाजारी के दाम, गवाही, तगमे की चोट, मिट्‌ठों के आंसू, तीस मिनट, अखबार में नाम, असली चित्र, कम्बलदान, आबरू, गमी में खुशी और तुमने क्यों कहा था मैं सुन्दर हूँ!

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