यात्रा वृत्तांत >> लोहे की दीवार के दोनो ओर लोहे की दीवार के दोनो ओरयशपाल
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प्रस्तुत पुस्तक 'लोहे की दीवार के दोनों ओर' में सोवियत देश और पूंजीवादी देशों के जीवन और व्यवस्था का आँखों देखा तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत किया गया है
प्रस्तुत पुस्तक 'लोहे की दीवार के दोनों ओर' में सोवियत देश और पूंजीवादी देशों के जीवन और व्यवस्था का आँखों देखा तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत किया गया है। यशपाल जी ने व्यक्तिगत जानकारी के आधार पर सब बातों का विवरण और विश्लेषण करने की चेष्टा की है। लेकिन उन्होंने "संस्मरणों के व्यक्तिगत होने पर भी... केवल स्मृति पर ही भरोसा नहीं किया है। यथासंभव स्मृति को प्रमाणिक आधारों, तत्कालीन अदालती दस्तावेजों और समाचारपत्रों द्वारा सही कर लेने की भी कोशिश की है।" साथ ही उन्होंने पूर्ववर्ती सामग्री के बारे में यह भी स्पष्ट कर दिया कि "अब तक क्रन्तिकारी प्रयत्नों के विषय में इतिहास के नाम से जो कुछ लिखा गया है वह अधिकांश में अफवाहों, कुछ अनर्गल कल्पनाओं के आधार पर भी लिखा गया है।
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