लोगों की राय

रहस्य-रोमांच >> घर का भेदी

घर का भेदी

सुरेन्द्र मोहन पाठक

प्रकाशक : रवि पाकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2010
पृष्ठ :280
मुखपृष्ठ : पेपर बैक
पुस्तक क्रमांक : 12544
आईएसबीएन :1234567890123

Like this Hindi book 0

अखबार वाला या ब्लैकमेलर?


“यही बात तो मुझे कचोट रही है। विस्की की बोतल तक तो बात ठीक थी क्योंकि मुझे पीने का शौक है लेकिन नगद रुपया! इतना पतन तो मेरा नहीं हुआ अभी!"
"उसने क्योंकर सोच लिया कि नगद रुपया मिलने पर आप पक्के ही उसकी तरफ हो जायेंगे?" .
"क्या पता क्योंकर सोच लिया?"
"आपने इस बाबत उससे क्या बात की होती!"
"कोशिश की थी। वो रकम मिलते ही कोशिश की थी लेकिन उसके टेलीफोन से मुझे कोई जवाब नहीं मिला था। ये सोचकर कि टेलीफोन खराब होगा, शाम को मैंने लिंक रोड का चक्कर भी लगाया था लेकिन मुझे वो घर पर नहीं मिला था।"
... "हूं। बहरहाल आप टेलीफोन कॉल पर लौटिये। तो आपको - ये याद दिलाने के लिए उसने यह फोन किया था कि पूछे जाने पर आपने क्या कहना था?"
"हां!". ..
"जैसे कि ये कई बार की पूर्वस्थापित बात आप भूल सकते हों।"
"खामखाह!"
"वही तो। तब फोन पर उसने नकद रकम का कोई जिक्र नहीं किया था?"
“न । बिल्कुल भी नहीं। करता तो मैं उसे तभी टोकता।"
"सूरी ने पहले कभी आपको फोन किया था?"
"इस बाबत कभी नहीं।"-मजूमदार बोला।
"किसी भी बाबत कभी फोन किया था?"
"मेरे खयाल से नहीं।"
"आपके खयाल से?"
"नहीं। नहीं किया था।"
"कभी आपने उसे फोन किया हो?"
"नहीं, वो भी नहीं। कभी जरूरत ही नहीं पड़ी।"
"यानी कि उस एक मर्तबा ही आपने सूरी की आवाज टेलीफोन पर सुनी?"
"हां" .
"तो फिर आप दावे के साथ कैसे कह सकते हैं कि फोन पर - आपसे बात करने वाला शख्स सूरी था?"
"मैंने उसकी आवाज पहचानी थी।"
"कैसे पहचानी थी? फोन पर तो आपने पहले कभी उसकी आवाज सुनी नहीं थी।"
"मुझे वो सूरी की आवाज लगी थी।"
"लगी थी या थी?"
"लगी थी।"
“या शायद उसने कहा था कि वो सूरी बोल रहा था और आपने सहज ही कबूल कर लिया था कि लाइन पर सूरी था।"
“कोई और भला क्यों कहेगा कि वो सूरी बोल रहा था?"
"वो जुदा मुद्दा है। लेकिन ऐसा मुमकिन तो था न? मुमकिन तो था न कि कोई सूरी की आवाज बनाकर आपसे बात कर रहा हो?" .
"भई, मुमकिन तो था।"
"फोन पर आपको जोर देकर ये कहने वाला कि आप अपने झूठ पर डटे रहें, सूरी की जगह कोई दूसरा शख्स हो सकता था जिसने सूरी की आवाज नकल करके आपसे बात की थी।"
"हां।"
“जरा मजबूती से हां कहिए।"
"हां, भई, हां। हां।" . .
"गुड। अब ये बात याद रखियेगा। क्योंकि इसमें आपके .. जिगरी यार की भलाई छुपी है। ओके?"
चेहरे पर गहन उलझन के भाव लिये मजूमदार ने सहमति में सिर हिलाया। ..
"तो मुझे इजाजत दीजिये।" -सुनील उठता हुआ बोला।
"यहां तक कैसे पहुंचे थे?"
"मोटरसाइकल पर। क्यों?"
“मैंने नेपियन हिल जाना है। उधर के रास्ते पर कहीं तक के लिये लिफ्ट दे सकते हो?"
"दादा, मैं तो आपको सिरे तक लिफ्ट दे सकता हूं। मैं खुद वहीं जा रहा हूं।"
"वैरी गुड!"

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book