रहस्य-रोमांच >> घर का भेदी घर का भेदीसुरेन्द्र मोहन पाठक
|
|
अखबार वाला या ब्लैकमेलर?
आखिरी दिन
दो अक्टूबर : शुक्रवार
उस रोज सुनील घर से निकला तो 'ब्लास्ट' का रुख करने से पहले सीधा पुलिस
हैडाटर पहुंचा।
उसकी इन्स्पेक्टर चानना से मुलाकात हुई।
"क्या हुआ?"-बिना किसी भूमिका के उसने सवाल किया।
“जो हुआ, अच्छा हुआ।"-चानना वोला-“चोपड़ा बच तो न सका लेकिन एस.डी.एम. के
सामने अपना इकबालिया बयान दर्ज करा के मरा।"
“क्या बोला वो?"
“वो नहीं बोला जिसकी कि तुम उम्मीद कर रहे हो। इसलिये संजीव सूरी अभी
गिरफ्तार रहेगा।"
"ओह!"
“उसने कुबूल किया था कि वो ड्रग्स का व्यापार करता था और उसकी क्लब
'निकल चेन' उस व्यापार की ओट थी। जो बड़ी बात उसने मरने से पहले कुबूल की, वो
ये थी कि तीन साल पहले उसने अपने तब के पार्टनर विक्रम कनौजिया का कत्ल किया
था। जब वो एक मोटर बोट में लाश को समुद्र में फेंक रहा था तो एक मछुआरे ने
उसे देख लिया था। वो डरपोक आदमी था इसलिये इतना अरसा उसने उस बाबत किसी से
कुछ नहीं कहा था। फिर पता नहीं कैसे गोपाल बतरा ने उस मछुआरे को खोज निकाला
था और उससे सब कुछ जान लिया था और फिर चोपड़ा से ब्लैकमेल की मांग की दी थी।
बतरा ने अपनी खामोशी की कीमत चार लाख लगायी थी लेकिन फैसला ढाई लाख में हुआ
था। चोपड़ा ने वो ढाई लाख रुपया उसे उसी रात सौंपा था जिस रात कि बतरा का
कत्ल हुआ था। और अनोखी बात उसने ये बतायी कि वो रकम, जो कि पांच-पांच सौ के
नोटों की पांच गड्डियों की सूरत में थी, अगले रोज तानिया चटवाल उसे लौटा गयी
थी।"
“उसने ये नहीं बताया कि उसने तानिया को बतरा का कत्ल करने के लिये तैयार कर
लिया हुआ था?"
"नहीं। और जिन्दा रहता तो शायद बताता। ऐसा कुछ कह पाने से पहले ही उसके प्राण
निकल गये थे।"
"बहरहाल आप लोगों का तीन साल पुराना कत्ल का केस तो अब हल हो गया!"
"हां। लेकिन बतरा वाला ताजा केस हल न हो सका।"
"हमेशा ही एक तीर से दो शिकार नहीं होते। जनाव, वैसे आप को यकीन है कि बतरा
के कत्ल वाली बात वो दवा नहीं गया था?"
“पागल हुए हो! वो ऐसा कुछ कर पाने की हालत में कहां था! वो मर रहा था, उसे
डॉक्टरों ने खासतौर से समझाया था कि वो चन्द घड़ियों का मेहमान था, तभी तो
अपनी डाईंग डिक्लेयरेशन के तौर पर उसने वो सब कहा था। मरते वक्त बतरा के कत्ल
की बावत झूठ बोलने की उसे क्या जरूरत थी?"
"ये भी ठीक है। अब आपका क्या इरादा है?"
"किस बाबत?"
"तानिया की बावत? इरादायकत्ल के इलजाम में आप उसे गिरफ्तार करेंगे?" .
"वो कत्ल का इरादा रखती थी, ये बात साबित करना बहुत ... मुश्किल है। उसने इस
बाबत निरंजन चोपड़ा के दबाव में आ कर हामी भी भरी हो तो भी जरूरी नहीं कि
वक्त आने पर उसने ऐसी कोशिश की भी हो।"
“लेकिन रकम तो उसने चुरायी!"
"लड़की चोपड़ा के दबाव में थी इसलिये सोच रहा हूं कि इस बाबत उसे माफ ही कर
दूं।"
“अच्छा जी! ऐसा सोच रहे हैं आप?"
“हां। समझ लो कि यूं मैंने तुम्हारे कल के अहसान का बदला चुकाया।"
“बदला चुकाने वाली कोई बात नहीं, जनाब। उसे भूल जाइये और इस बात को अपने ए
गुड डीड आफ दि डे के तौर पर, बल्कि ए गुड डीड आफ दि लाइफ टाइम के तौर पर याद
रखिये।"
"क्या मतलब?" .
"चोपड़ा के हाथों वो लड़की बहुत दुख पा चुकी है, बहुत बर्बाद हो चुकी है
इसलिये रहम की हकदार है। उस भटकी बेटी का बाप रहम का हकदार है जिसकी कि वो
इकलौती औलाद है और जिसकी करोड़ों की दौलत न बेटी के लिये सुकून खरीद सकी और न
बाप के लिये चैन। ऊपर से तानिया ने वादा किया है कि वो सुधर कर दिखायेगी।"
“ठीक है। समझ लो कि ये बात यहीं खत्म हो गयी।"
"गॉडब्लेस यू, सर।".
अब याद रखना, 'सपना' में कल की वारदात के वाकया होने में तुम्हारा या उस
लड़की का कोई रोल नहीं था। हमने एक गुमनाम टिप पर अमल किया था। अपने को घिर
गया जान कर निरंजन चोपड़ा ने शूट आउट की कोशिश की थी तो मजबूरन पुलिस को
सैल्फ डिफेंस में गोली चलानी पड़ी थी। समझ गये?"
"हां।"
“इस स्टोरी में तुम्हारी फ्रेंड फ्लोरेंस की भी भलाई है। वो कह सकती है कि
पुलिस को वा गुमनाम टिप उसी के इशारे पर दी गयी थी। यूं उसका क्रेडिट बनेगा
जो उसके आगे भी काम आयेगा।"
“मैं इस बाबत उससे बात करूंगा।"
“एक वात और।"
"क्या?"
"कल आधी रात के बाद, निकल चेन' के बंद होने के वक्त - वहां चोपड़ा के
प्राइवेट आफिस के बाहर तैनात उसके एक गार्ड को किसी ने बुरी तरह से धुन दिया
था। उसकी कोई हड्डी नहीं टूटी, उसे कोई बहुत गहरा घाव नहीं लगा, लेकिन लगता
नहीं कि वो आठ-दस दिन चारपायी से उठ पायेगा।"
"ओह!"-सुनील हमदर्दीभरे स्वर में बोला।
|