गीता प्रेस, गोरखपुर >> आध्यात्मिक प्रवचन आध्यात्मिक प्रवचनजयदयाल गोयन्दका
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इस पुस्तिका में संग्रहीत स्वामीजी महाराज के प्रवचन आध्यात्म,भक्ति एवं सेवा-मार्ग के लिए दशा-निर्देशन और पाथेय का काम करेंगे।
रोम, पत्तों-पत्तोंमें दीखने लगेगा। संसार दु:खमयके बदले आनन्दमय हो जायेगा।
(५) भगवत्-स्वरूपमें निष्ठावालेको परमशान्तिका साम्राज्य प्राप्त हो जायेगा।
चारों तरफ शान्ति ही शान्तिकी स्थिति हो जायेगी।
(६) एक वैराग्यका आश्रय लेनेसे ये सारी बातें हस्तामलकवत् प्रत्यक्ष हो
जायेंगी।
१०. इस मनुष्य-जन्मके समयकी कीमतके समान देवताओंके समयकी कीमत भी नहीं है।
११. ऐसा मनुष्य जन्म पाकर जो कल्याण प्राप्त न करे उसको धिक्कार है।
१२. लोकसेवा खूब करनी चाहिये। कोई-कोई सेवा भजनसे भी बढ़ जाती है। समयका बोया
मोती नीपजे। १३. बड़ी रहस्यकी बात बतायी जाती है-
(१) पाँच आदमियोंकी बेगार समझकर भोजन कराया जाय उसका कोई फल नहीं है।
(२) यदि उनको ही हँसते हुए भगवान् या महात्मा समझकर भोजन कराये, सबमें
ईश्वरबुद्धि करे तो यह ईश्वरको ही भोजन कराना है। यदि सकामभाव है तो स्वर्ग
और निष्कामभाव हो तो मुक्ति मिलती है।
(३) भाव जितना तेज होता है उतना ही विशेष लाभ होता है।
१४. मनुष्य-जन्म पाकर भलाई लेकर जाय बुराई नहीं।
(१) अपने साथ बुराई करनेवालेकी भी भलाई करे, इससे बढ़कर संसारमें और ऊँचा
दर्जा है ही नहीं। वह मनुष्य मनुष्यरूपमें नारायण है। स्त्री हो तो
स्त्री,रूपमें लक्ष्मी है।
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- सत्संग की अमूल्य बातें