गीता प्रेस, गोरखपुर >> आध्यात्मिक प्रवचन आध्यात्मिक प्रवचनजयदयाल गोयन्दका
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इस पुस्तिका में संग्रहीत स्वामीजी महाराज के प्रवचन आध्यात्म,भक्ति एवं सेवा-मार्ग के लिए दशा-निर्देशन और पाथेय का काम करेंगे।
(४) भगवान्के नामका निरन्तर जप करनेसे भी प्रेम होता है। भगवान्का भजन करनेसे
प्रेम होता है। यह विश्वास करना बड़ा अच्छा उपाय है।
चारों उपायोंमेंसे एकको भी काममें लानेसे प्रेम हो सकता है और चारों ही किये
जायें तो बहुत जल्दी प्रेम हो सकता है, और भी बहुतसे उपाय शास्त्रोंमें
बतलाये गये हैं। यह चार मुख्य हैं-
सर्वधमन्परित्यज्य मामेकं शरणां व्रज।
अहं त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः।।
(गीता १८।६६)
इस श्लोकके चार चरण हैं जिनमें भगवान्ने चार बातें कही है-
(१) सारे धमाँका त्याग (२) मेरी शरण आ जा (३) मैं सारे पापोंसे छुड़ा दूँगा
(४) शोक मत कर।
ये चार बातें सारी गीताका सार हैं, इसीलिये ये शेषमें कही गयी हैं। यह गीताका
उपसंहार है। जिस विषय में उपक्रम होता है, उसीमें उपसंहार होता है। गीतामें
सार बात भगवान्की शरण होना ही है। भगवान् आरम्भमें 'अशोच्यानन्वशोचस्त्वम्'
और अन्तमें मा शुचः कहते हैं।
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- सत्संग की अमूल्य बातें