शब्द का अर्थ
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स्वस्ति :
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अव्य० [सं०] १. शुभ हो। (प्रायः शुभ-कामना प्रकट करने के लिए पत्रों के आरम्भ में) २. कल्याण हो। मंगल हो। भला हो। (आशीर्वाद) ३. मान्य है। ठीक है। स्त्री० १. कल्याण। मंगल। २. सुख। ३. ब्रह्मा की तीन पत्नियों में से एक। |
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स्वस्तिक :
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पुं० [सं०] १. एक प्रकार का बहुत प्राचीन मंगल-चिह्न जो शुभ अवसरों पर दीवारों आदि पर अंकित किया जाता है। आज-कल इसका यह रूप प्रचलित है ()। साथिया। २. सामुद्रिक में, शरीर के किसी अंग पर होनेवाला उक्त प्रकार का चिह्न जो बहुत शुभ माना जाता है। ३. एक प्रकार का मंगल-द्रव्य जो विवाह आदि के समय भिगोये हुए चावल पीसकर तैयार किया जाता है और जिसमें देवताओं का निवास माना जाता है। ४. प्राचीन काल का एक प्रकार का यंत्र जो शरीर के गड़े हुए शल्य आदि बाहर निकालने के काम आता था। ५. वैद्यक में घाव या फोड़े पर बाँधी जानेवाली एक प्रकार की तिकोनी पट्टी। ६. वास्तु-शास्त्र में ऐसा घर, जिसमें पश्चिम एक और पूर्व ओर दो दालान हों। ७. साँप के फन पर की नीली रेखा। ८. हठयोग की साधना में एक प्रकार का आसन या मुद्रा। ९. प्राचीन काल की एक प्रकार की बढ़िया नाम, जो प्रायः राजाओं की सवारी के काम आती थी। १॰. चौमुहानी। ११. लहसुन। १२. रतालू। १३. मूली। १४. सुसना नामक साग। शिरियारी। |
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स्वस्तिका :
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स्त्री० [सं०] चमेली। |
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स्वस्तिकृत :
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पुं० [सं०] शिव। महादेव। वि० कल्याणकारी। मंगलकारक। |
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स्वस्तिद :
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वि० [सं०] मंगलकारक। पुं० शिव का एक नाम । |
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स्वस्तिमती :
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स्त्री० [सं०] कार्तिकेय की एक मातृका। वि० [सं०] ‘स्वस्तिमान’ का स्त्री। |
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स्वस्तिमान् (मत्) :
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वि० [सं०] [स्त्री० स्वस्तिमती] १. सब प्रकार से सुखी। २. भाग्यवान्। |
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स्वस्ति-मुख :
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वि० [सं०] जिसके मुख से शुभ, सुख देनेवाली या आशीर्वादपूर्ण बातें निकलती हों। पुं० १. ब्राह्मण। २. राजाओं का स्तुति-पाठक। बंदी। |
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स्वस्ति-वाचक :
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वि० [सं०] १. जो मंगल-सूचक बात करता हो। २. आशीर्वाद देनेवाला। |
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स्वस्ति-वाचन :
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पुं० [सं०] मंगल-कार्यों के आरम्भ में किया जानेवाला एक प्रकार का धार्मिक कृत्य, जिसमें कलश-स्थापन, गणेश का पूजन और मंगल-सूचक मंत्रों का पाठ किया जाता है। |
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