शब्द का अर्थ
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सृष्ट :
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भू० कृ० [सं०] १. बनाया या रचा हुआ। २. उत्पन्न या पैदा किया हुआ। ३. मिला हुआ। युक्त। ४. छोड़ा या निकाला हुआ। त्यागा हुआ। परित्यक्त। ६. जिसके संबंध में दृढ़ निश्चय या संकल्प किया हो। ७. अलंकृत। भषित। पुं० तिन्दुक या तेंदू का वृक्ष। |
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सृष्ट-मारुत :
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वि० [सं०] वैद्यक में पेट की वायु को निकालनेवाला (औषध या खाद्य पदार्थ)। |
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सृष्टि :
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स्त्री० [सं०√सृज् (सर्जन करना)+क्तिन्] १. बना या रचरक तैयार करने की क्रिया या भाव। निर्माण। रचना। २. उत्पत्ति। पैदाइश। ३. वह चीज जो बनाकर या पैदा करके तैयार की गई हो। ४. जगत या संसार का आविर्भाव या उत्पत्ति। ५. यह सारा विश्व और इसमें के सभी चर और अचर प्राणी तथा पदार्थ। (क्रियेशन, उक्त सभी अर्थो में) ६. निसर्ग। प्रवृत्ति। ७. उदारता या दानशीलता। ८. एक प्रकार की ईंट जो यज्ञ की वेदी के लिए बनाई जाती थी। ९. गंभीर का पेड़। |
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सृष्टिकर्ता :
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पुं० [सं० सृष्टिकर्त्तृ] १. सृष्टि या संसार की रचना करनेवाला, ब्रह्मा। २. ईश्वर। परमात्मा। |
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सृष्टि-तत्त्व :
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पुं० [सं०] सृष्टि—विज्ञान। |
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सृष्टपत्तन :
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पुं० [सं०] एक प्रकार की मंत्र—शक्ति। |
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सृष्टि-विज्ञान :
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पुं० [सं०] वह विज्ञान जिसमें इस बात का विवेचन होता है कि ब्रह्माण्ड में ग्रह, तारे, नक्षत्र आदि किस प्रकार उत्पन्न होते, बढ़ते और अन्त में नष्ट होते हैं। (कास्मोलोजी) |
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सृष्टि-शास्त्र :
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पुं० =सृष्टि—विज्ञान। |
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सृष्ट्यंतर :
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पुं० [सं०] चार वर्गो के अन्तगर्त अंतर—जातीय विवाह से उत्पन्न होनेवाली संतान। |
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