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सिंहासन  : पुं० [सं० सिंह+आसन, मध्य० स०] १. राजाओं के बैठने या देवमूर्तियों की स्थापना के लिये बना हुआ एक विशेष प्रकार का आसन जो चौकी के आकार का होता है और जिसके दोनों ओर शेर के मुख की आक्रति बनी होता है। २. देवताओं का एक प्रकार का आसन जो कमल के पत्ते के आकार का होता है। ३. काम-शास्त्र में, सोलह प्रकार के रति बंधों में से एक। ४. चंदन, रोली आदि का वह टीका या तिलक जो दोनों के लिये बना हुआ एक विशेष प्रकार का आसन जो चौकी के आकार का होता है और जिसके दोनों ओर शेर के मुख की आक्रति बनी होता है। २. देवताओं का एक प्रकार का आसन जो कमल के पत्ते के आकार का होती है। ३. काम-शास्त्र में, सोलह प्रकार के रति बंधों में से एक। ४. चंदन, रोली आदि का वह टीका या तिलक जो दोनों भौंहों के बीच में लगाया जाता है। ५. लोहे की कीट। मंडूर। ६. फलित ज्योतिष में, एक प्रकार का चक्र जिसमें मनुष्य की आकृति में विभक्त २७ कोठे या खाने होते हैं। इन कोठों या खानों में नक्षत्रों के नाम भरे जाते हैं और उनसे शुभाशुभ फल जाना जाता है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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