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शब्द का अर्थ

साईं  : पुं०=साँई।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
साई  : स्त्री० [हिं० साइत] १. कार्य आदि के सम्पादन के लिए बातचीत पक्की होने पर दिया जानेवाला पेशगी धन। बयाना। २. विशेषतः वह धन जो गाने-बजानेवाले से किसी कार्यक्रम की बात पक्की होने पर उन्हें दिया जाता है। क्रि० प्र०—देना।—पाना।—मिलना।—लेना। स्त्री० [सं० सहाय] सहायता।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री० [देश०] १. वे छड़ जो बैलगाड़ी के अगले हिस्से में बेड़े बल में मजबूती के लिए एक दूसरे को काटते हुए रखे जाते हैं। २. एक प्रकार का कीड़ा। स्त्री०=साई काँटा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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साई-काँटा  : पुं० [हिं० शाही (जंतु)+काँटा] एक प्रकार का वृक्ष जो दक्षिण भारत, गुजरात और मध्य प्रदेश में होता है। साई। मोगली।
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साईस  : पुं० [सईस का अनु०] [भाव० साईसी] किसी रईस का वह नौकर जो उसके घोड़े या घोड़ों की देख-भाल करता हो।
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साईसी  : स्त्री० [हिं० साईस+ई (प्रत्य०)] साईस का काम, भाव या पद।
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