शब्द का अर्थ
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					शौक					 :
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					पुं० [सं० शुक्+अण्] शुकों का समूह। तोतों का झुंड।				 | 
			
			
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					शौक					 :
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					पुं० [अ०] १. मनोविनोद या आनन्द प्राप्ति के लिए कोई काम बराबर या पुनः पुनः करने की स्वाभाविक या अभ्यास जन्य लालसा। २. उक्त के आधार पर ऐसा काम या खेल जिसमें कोई मग्न रहता हो। जैसे—क्रिकेट या ताश का शौक। ३. सुख-बोग। मुहा०—शौक करना या फरमाना=किसी पदार्थ का भोग करके उसमें सुख प्राप्त करना। जैसे—चाय हाजिर है, शौक फरमाइए। शौक चर्राना=शौक पैदा होना। (व्यंग्य) पद—शौक से=प्रसन्नतापूर्वक। ४. कोई शुभ आकांक्षा या कामना। ५. किसी काम या बात का चसका। क्रि० प्र०—लगना।—लगाना। ६. किसी काम या बात की ओर विशेष रूप से होनेवाली प्रवृत्ति या रुचि				 | 
			
			
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					शौकत					 :
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					स्त्री० [अ०] १. बल। शक्ति। २. दबदबा। ३. शानदार। ठाट-बाठ। पद—शानशौकत। ४. गौरव।				 | 
			
			
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					शौकर					 :
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					पुं० दे० ‘शूकर क्षेत्र’।				 | 
			
			
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					शौकरी					 :
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					स्त्री० [सं० शूकर+अण्—ङीष्] बराही कंद। गेंठी।				 | 
			
			
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					शौकिया					 :
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					क्रि० वि० [अ० शौकियः] शौक के कारण अर्थात् यों ही। बिना किसी विशिष्ट प्रयोजन के। वि० शौक से भरा हुआ। जैसे—शौकिया सलाम।				 | 
			
			
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					शौकीन					 :
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					वि० [अ० शौक+हिं० ईन (प्रत्यय)] [भाव० शौकीनी] १. जिसे किसी काम, चीज या बात का बहुत शौक हो। जैसे—खाने-पीने का शौकीन, ताश खेलने का शौकीन। २. जो सदा सजा-सँवारा तथा बना-ठना रहता हो। ३. वेश्यागामी।				 | 
			
			
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					शौकीनी					 :
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					स्त्री० [हिं० शौकीन] १. शौकीन होने की अवस्था या भाव। २. सदा बने-ठने रहने की इच्छा। ३. वेश्या-गमन की वृत्ति। रंडीबाजी।				 | 
			
			
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					शौक्तिक					 :
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					वि० [सं० शुक्तिका+अण्] शुक्तिका या सीपी से उत्पन्न। पुं० मोती। मुक्ता।				 | 
			
			
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					शौक्तिका					 :
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					स्त्री० [सं० शौक्तिक-टाप्] सीप।				 | 
			
			
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					शौक्तिकेय					 :
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					वि० पुं०=शौक्तिक।				 | 
			
			
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					शौक्तेय					 :
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					पुं० [सं० शुक्ति+ठक्-एय] मोती।				 | 
			
			
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					शौक्र					 :
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					वि० [सं० शुक्र+अण्] १. शुक्र संबंधी। २. शुक्र से उत्पन्न।				 | 
			
			
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					शौक्ल					 :
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					वि० [सं० शुक्ल+अण्] शुक्ल संबंधी। शुक्ल का।				 | 
			
			
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