शब्द का अर्थ
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विसर्ग :
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पुं० [सं० वि√सृज्+घञ्] १. सामने आए हुए काम या बात के सम्बन्ध में आवश्यक कार्यवाही उचित निर्णय आदि करके उसे निपटाने की क्रिया या भाव। (डिस्पोजल)। २. दान। ३. त्याग। ४. मल-मूत्र का त्याग। शौच। ५. मृत्यु। ६. मोक्ष। ७. प्रलय। ८. वियोग। ९. चमक। दीप्ति। १॰. सूर्य का एक अयन। ११. वर्षा, शरद और हेमन्त ऋतुओं का समूह। १२. व्याकरण के अनुसार एक वर्ण जिससे ऊपर-नीचे दो बिन्दु होते हैं और उसका उच्चारण प्रायः अर्द्धह के समान होता है। |
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समानार्थी शब्द-
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विसर्गी :
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वि० [सं०] १. जिसमें विसर्ग हो। विसर्ग से युक्त। २. बीच-बीच में ठहरने या रुकनेवाला। जैसे—विसर्गी ज्वर। ३. दानी। ४. त्यागी। |
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विसर्गी-ज्वर :
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पुं० [सं०] वह ज्वर जो बराबर बना रहता हो, बल्कि बीच-बीच में कुछ समय के लिए उतर जाता हो। अंतरायिक ज्वर। विरामी ज्वर (इन्टरमिटेन्ट फीवर)। |
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