शब्द का अर्थ
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मानव :
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वि० [सं० मनु+अण्] मनु से संबंधित अथवा उससे उत्पन्न। पुं० १. मनुष्य। २. मनुष्य जाति। ३. १४ मात्राओं के छंदों की संज्ञा। इनके ६१० भेद हैं। |
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मानवक :
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पुं० =माणवक। |
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मानवत् :
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पुं० [सं० मान+मतुप्, म-व] [स्त्री० मानवती] रूठा हुआ। |
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मानवता :
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स्त्री० [सं० मानव+तल्+टाप्] १. मनुष्य जाति। २. मानव होने की अवस्था या भवा। ३. मनुष्य के आदर्श तथा स्वाभाविक गुणो, भावनाओं आदि का प्रतीक या समूह। |
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मानवतावाद :
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पुं० [ष० त०] [वि० मानवतावादी] वह लौकिक सिद्धान्त जिसमे यह माना जाता है कि संसार के सभी मनुष्यों का समान रूप में कल्याण होना चाहिए और सबको उन्नत करके संतुष्ट तथा सुखी रखने की व्यवस्था होनी चाहिए। (ह्यू-मैनिज़्म) |
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मानवतावादी (दिन्) :
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वि० [सं० मानवतावाद+इनि] मानवतावाद संबंधी। (ह्यू मैनिस्ट)। पुं० वह जो मानवतावाद के सिद्धान्तों का अनुयायी और पोषक या समर्थक हो। (ह्यू मैनिटेरियन)। |
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मानवती :
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स्त्री० [मानवत्+ङीष्] साहित्य में वह नायिका जो नायक से रुष्ट या असंतुष्ट होने पर मान करती हो या मान करके बैठी हो। |
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मानव-देव :
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पुं० [सं० ष० त०] राजा। |
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मानव-पति :
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पुं० [सं० ष० त०] राजा। |
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मानव-भूगोल :
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पुं० [सं० ] भूगोल शास्त्र का वह अंग जिसमें इस बात का विवेचन होता है कि प्राकृतिक और भौगोलिक परिस्थितियों का मानव जाति पर क्या प्रभाव पड़ता है। (एन्थ्रोपोजिएग्रेफी)। |
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मानव-वर्जित :
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वि० [सं० तृ० त०] जिसका कुछ भी मान या प्रतिष्ठा न हो अर्थात् तुच्छ या नीच। |
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मानव-विज्ञान :
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पुं० =मानव-शास्त्र। |
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मानव-व्यापार :
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पुं० [ष० त०] मनुष्यों को बेचने-खरीदने का काम। |
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मानव-शास्त्र :
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पुं० [ष० त०] १. मनुष्यों की उत्पत्ति, उनकी जातियों उनके स्वाभावों आदि का विवेचन करनेवाला शास्त्र। (एन्थ्रोपालोजी) २. अर्थशास्त्र, इतिहास, दर्शन, पुरातत्व, मनोविज्ञान, राजनीति, संगीत, संस्कृति, साहित्य आदि से संबंध रखनेवाले वे सभी शास्त्र जो मुख्यतः मानव-जाति की उन्नति, विकास आदि में सहायक होते हैं। (ह्यू-मैनिटिक्स)। |
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मानव-शास्त्री (स्त्रिन्) :
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पुं० [सं० मानवशास्त्र+इनि] मानव शास्त्र का ज्ञाता या पंडित। (एन्थ्रोपालोजिस्ट)। |
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मानव-शास्त्रीय :
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वि० [सं० मानवशास्त्र+छ-ईय] मानव-शास्त्रपर्वत। |
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मानवाचल :
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पुं० [सं० मानव-अचल, मध्य, स०] पुराणानुसार एक पर्वत। |
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मानवी :
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स्त्री० [सं० मानव+ङीष्] १. मानव-जाति की स्त्री। नारी। २. पुराणानुसार स्वयंभुव मनु की कन्या का नाम। वि० =मानवीय। |
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मानवीकरण :
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पुं० [सं० मानव+च्वि, इत्व, दीर्घ√कृ+ल्युट—अन] १. किसी वस्तु को मानव अर्थात् मनुष्य का रूप देने की क्रिया या भाव। मानुषीकरण। (ह्यूमेनिजेशन)। जैसे—कथा-कहानियों में पशु-पक्षियों आदि का होनेवाला मानवीकरण। २. कला, धर्म आदि के क्षेत्र में यह मानकर कि पदार्थों में राग-द्वेष आदि मानव-गुण होते हैं, उन्हें मानव के रूप में कल्पित और प्रस्थापित करना। |
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मानवीय :
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वि० [सं० मानव+छ—ईय] १. मानव-संबंधी। मानव या मनुष्य का। २. मनुष्योचित (ह्यू मेन)। |
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मानवेंद्र, मानवेश :
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पुं० [सं० मानव-इंद्र, मानव-ईश, ष० त०] राजा। |
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