शब्द का अर्थ
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बैरंग :
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वि० [अं० बियरिंग] १. वह (चिट्ठी) जिस पर टिकट न लगाया हो फलतः जिसका महसूल उसे पानेवाले को चुकाना पड़ता हो। २. विफल। मुहा०—बैरंग लौटना=बिना काम हुए, विफल लौटना। |
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समानार्थी शब्द-
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बैर :
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पुं० [सं० बैर] १. किसी का बहुत बड़ा अहित या अपकार करने की मन में होनेवाली उत्कट भावना जो स्वभावजन्य, कारण-जन्य अथवा ईर्ष्याजन्य होती है। २. बदला लेने की भावना। मुहा०—वैर काढ़ना= किसी का अहित या अपकार करके उसके द्वारा किये हुए अहित या अपकार का बदला चुकाना। बैर चितारना, चुकाना या साधना= पुराना बैर याद करके उसका बदला लेना। उदा०—पपैया प्यारे कब को बैर चिताइयों।—मीराँ। बैर ठानना=बदला लेने के लिए अथवा दुर्भावनाश किसी का अपकार करने के लिए तत्पर होना। बैर डालना= विरोध उत्पन्न करना। दुश्मनी पैदा करना। बैर निकालना= बैर काढ़ना। (किसी के) बैर पड़ना=प्रायः जान-बूझकर किसी को सताना। बैर बढ़ाना= अधिक दुर्भाव उत्पन्न करना। दुश्मनी बढ़ाना। ऐसा काम करना जिससे अप्रसन्न या कुपित मनुष्य और भी अपसन्न और कुपित होता जाय। बैर बिसाहना या मोल लेना=जिस बात से अपना कोई संबंध न हो, उसमें योग देकर दूसरे को व्यर्थ अपना विरोधी या शत्रु बनाना। बिना मतलब किसी से दुश्मनी पैदा करना। बैर मानना। दुश्मनी रखना। बैर लेना= किसी का अपकार करके वैर का बदला चुकाना। पुं० [सं० बदरी] बेर का पेड़ और उसका फल। पुं० [देश०] तल में लगा हुआ चिलम के आकार का चोंगा जिसमें भरे हुए बीज हल चलाने में बराबर कूँड़ में पड़ते जाते हैं। |
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बैरक :
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पुं० [तु० बैरक़] १. छोटा झंडा। झंडी। २. अधिकार में लाई हुई अथवा जीती हुई जमीन में हाड़ा जानेवाला झंडा। मुहा०—बैरक बाँधना= कोई अनुष्ठान करने अथवा दूसरों को अपना अनुयायी बनाने के लिए झंडा करना। उदा०—अपने नाम की बैरक बाँधों सुबस बसौ इहि गाँव—सूर। स्त्री० [अं०] छावनी में वह इमारत अथवा इमारतों की श्रृंखला जिसमें सैनिक समूह रहते हों। |
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बैरख :
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पुं०=बैरक (झंडा)। |
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बैरन :
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स्त्री० [हिं० बैरी का स्त्री० रूप] १. वह स्त्री जो किसी से शत्रुतापूर्ण व्यवहार करती हो। २. सौत। |
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बैरा :
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पुं० [देश०] १. हल के मूठे में बाँधा जानेवाला एक प्रकार का चोंगा जिसमें बोते समय बीज डाले जाते हैं। माला। २. ईट के टुकड़े, रोड़े आदि जो मेहराब बनाते समय उसमें चुनी हुई ईटों को जमी रखने के लिए खाली स्थान में भर देते हैं। पु० [अ० बेयरर] होटलों आदि में वह व्यक्ति जो अभ्यागतों को भोजन पहुँचाता है। |
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बैराखी :
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स्त्री०=बेरखी। |
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बैराग :
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पुं०=बैराग्य।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बैरागर :
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पुं० [बैर ?+सं० आगार] रत्नों आदि की खान। उदा०—गुणमणि बैरागर धीरज को सागर।—केशव। |
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बैरागी :
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पुं०=वैरागी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बैराग्य :
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पुं०=वैराग्य।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बैराना :
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अ० [हिं० बाई=वायु] वातग्रस्त होना। अ०=बौराना। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बैरिस्टर :
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पुं० [अं०] इंग्लैंड के उच्चतर न्यायालयों में बहस करने की मान्यता प्राप्त करनेवाला अधिवक्ता या वकील। |
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बैरिस्टरी :
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स्त्री० [अ० बैरिस्टरी+हिं० ई (प्रत्य०)] बैरिस्टरी का काम या पेशा। |
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बैरी :
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वि० [सं० वैरी, वैर+इनि] जिसका किसी से वैर हो। पुं० शत्रु। |
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बैरोमीटर :
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पुं० [अं०] वायु के दबाव या भार का सूचक एक वैज्ञानिक उपकरण। |
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