शब्द का अर्थ
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बेढ़ :
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पुं० [?] जहाज के खंभे के ऊपरी सिरे पर लगा रहनेवाला घातु का पत्तर जो हवा का रुख बतलाता है। (लश) |
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समानार्थी शब्द-
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बेढ़ंग :
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वि०=बेढ़ंगा। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बेढ़ंगापन :
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पुं० [हिं० बेढंगा+पन (प्रत्य०)] बेढ़ंगे होने की अवस्था या भाव। |
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बेढ़ :
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पुं० [?] १. नाश। बरबादी। २० बोया हुआ वह बीज जिसमें अंकुर निकल आया हो। स्त्री० वृक्षों आदि के चारों ओर लगा हुआ घेरा। बाढ़। |
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बेढ़ई :
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स्त्री० [हिं० बेड़ना] वह रोटी या पूरी जिसमें दाल, पीठी आदि कोई चीज भरी हो। कचौड़ी। |
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बेढ़न :
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पुं० [हि० बेड़ना] वह जिससे कोई चीज़ घेरी हुई हो। बेठन। घेरा। |
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बेढ़ना :
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सं० [सं० वेष्टन] १. वृक्षों या खेतों आदि को, उनकी रक्षा के लिए चारों ओर टट्टी बाँधकर, काँटे बिछाकर या और किसी प्रकार घेरना। रूँधना। २. चौपायों को घेरकर हाँक ले जाना। |
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बेढ़नी :
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स्त्री०=बेड़नी। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बेढ़व :
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वि० [हिं० बे+ढव] १. जिसका ढब या ढंग अच्छा या ठीक न हो। २. भद्दा। भोंडा। कि० वि० १. बुरी तरह से। अनुचित या अनुपयुक्त रूप से। २. अनावश्यक या असाधारण रूप से। |
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बेढ़ा :
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पुं० [हिं० बेढ़ना=घेरना] १. हाथ में पहनने का एक प्रकार का कड़ा २. घर के आसपास वह छोटा सा घेरा हुआ स्थान जिसमें तरकारियाँ आदि बोई जाती हों। |
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बेढ़ाआ :
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स० [हिं० बेढ़ना का प्रे०] १. घेरने का काम दूसरे से कराना। घिरवाना। २. ओढ़ना या ढाँकना। |
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बेढ़आ :
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पुं० [देश०] गोल मेथी। |
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