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बिसूरना  : अ० [सं० विसूरणा=शोक] १. सोच करना। चिंता करना। खेद करना। मन में दुःख मानना। २. मन में दुःख होने पर निरंतर कुच समय तक धीरे-धीरे रोते रहना उदाहरण—(क) ना मेरे पंख, न पाँव बल, मैं अपंख, पिय दूर। उड़ न सकूँ गिर गिर पड़ूँ, रहूँ विसूर बिसूर। (ख) पिस्सू के मछाहारों से रोवे कोई विसूर।—नजीर। पुं० १. बिसूरने की क्रिया या भाव। २. चिन्ता। फिक्र। उदाहरण—लालची लबार बिललात द्वारे द्वार, दीन बदन मलीन मन मिटै ना बिसूरना।—तुलसी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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