शब्द का अर्थ
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बड़ंगा :
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पुं० [हिं० बड़ा+अंग+आ (प्रत्यय)] [स्त्री० अल्पा० बडंगी] दीवारों पर लम्बाई के बल बीच-बीच रखा जानेवाला बल्ला जिस पर छाजन टिकी होती है। |
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बडंगी :
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पुं० [हिं० बड़ा+अंग] घोड़ा। (डिं० )। |
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बड़ंगू :
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पुं० [देश] दक्षिण भारत में होनेवाला एक प्रकार का जंगली पेड़। |
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बड़ :
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स्त्री० [अनु० बड़बड़] १. बड़बड़ाने या मुँह से बड़-बड़ शब्द उत्पन्न करने की क्रिया या भाव। २. निरर्थक या व्यर्थ की बातें। प्रलाप। जैसे—पागलों की बड़। ३. डींग। शेखी। क्रि० प्र०—मारना।—हाँकना। पुं० [सं० वट] बड़ का पेड़। वट-वृक्ष। वि० १. हिं० बडा का संक्षिप्त रूप जो उसे समस्त पदों के आरम्भ में लगने से प्राप्त होता है। जैसे—बड़-बेला, बड़-भागी। २. उदाहरण—पुनि दातार दइअ बड़ कीन्हा।—जायसी। |
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बड़का :
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वि० [हिं० बड़ा] [स्त्री० बड़की] बोल-चाल में (वह) जो सबसे बड़ा हो। जैसे—बड़के भैया, बड़की दीदी। (पूरब)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बड़ कुँइयाँ :
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स्त्री० [हिं० बड़ा+कुआँ] कच्चा कुआँ। |
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बड़-कौला :
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पुं० [हिं० बड़+कोंपल] बरगद का पेड़। |
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बड़-गुल्ला :
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पुं० [हिं० बड़+बगुला] एक प्रकार का बगला। |
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बड़-दंता :
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वि० [हिं० बड़+दाँत] [स्त्री० बड़दंती] बड़े-बड़े दाँतों वाला। |
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बड़-दुमा :
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पुं० [हिं० बड़ा+फा० दुम] वह हाथी जिसकी पूँछ पाँव तक लम्बी हो। लम्बी दुम का हाथी। वि० [स्त्री० बड़-दुमी] बड़ी दुम या पूँछवाला। |
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बड़प्पन :
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पुं० [हिं० ब़ड़+पन (प्रत्यय)] बड़े अर्थात् श्रेष्ठ होने की अवस्था, गुण या भाव। महत्त्व। श्रेष्ठता। बड़ाई। जैसे—तुम्हारा बड़प्पन इसी में है कि तुम कुछ मत बोलो। |
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बड़-फर :
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पुं० [हिं० ब़ड़+फलक] ढाल। (डिं० ) उदाहरण—बड़-फरि ऊछजतै विरुधि।—प्रिथीराज। |
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बड़-फन्नी :
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स्त्री० [हिं० बड़ा+फन्नी] वह मठिया (हाथ में पहनने का गहना) जो साधारण से अधिक चौड़ी होती है। |
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बड़-बट्टा :
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पुं० [हिं० बड़+बट्टा] बरगद का फल। |
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बड़बड़ :
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स्त्री० [अनु०] १. मुँह से निकलनेवाले ऐसे शब्द जो न तो स्पष्ट रूप से दूसरों को सुनायी पड़े और न जिनका जल्दी कोई संगत अर्थ निकल सकता हो। बड़बड़ाने की क्रिया या भाव। २. व्यर्थ की बातचीत। प्रलाप। बकवाद। क्रि० प्र०—करना।—लगाना। ३. क्रोध में आकर अपने मन की भड़ास निकालने के विचार से बहुत धीरे-धीरे मुँह से उच्चरित होनेवाले शब्द। |
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बड़बड़ाना :
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अ० [अनु० बड़बड़] १. धीरे-धीरे तथा अस्पष्ट रूप से इस प्रकार बोलना कि बड़-बड़ के सिवा और कुछ सुनायी न दे। २. क्रोध में आकर आप ही आप कुछ कहते रहना। कुड़बुड़ाना। ३. बकबक करना। बकवाद। करना। |
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बड़बड़िया :
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वि० [अनु० बड़बड़+इया (प्रत्यय)] १. बड़ाबड़ अर्थात् बकवाद करनेवाला। २. कोई बात अपने मन में न रख सकने के कारण दूसरों से कह देनेवाला। |
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बड़-बोल :
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पुं० [हिं० बड़+बोल] [स्त्री० बड़-बोली] अपने कर्तृत्व, योग्यता, शक्ति आदि का अत्यक्तिपूर्ण कथन। डींग या सेखी की बात। वि०=बड़-बोला। |
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बड़-बोला :
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वि० [हिं० बड़+बोल] [स्त्री० बड़-बोली] बड़ी-बड़ी बातें बघारने या डींग हाँकनेवाला। बढ़-बढ़कर लम्बी चौड़ी बातें करनेवाला। |
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बड़-भाग :
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वि०=बड़भागी। |
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बड़-भागा :
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वि० [हिं० बड़+भागी(सं० भागिन्)] [स्त्री० बड़-भागी] बड़े अर्थात् उत्तम भाग्यवाला। सौभाग्यशाली। उदाहरण—ऊधो आज भई बड़-भागी।—सूर। |
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बड़-भागी :
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वि०=बड़भागा। |
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बड़-भुज :
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पुं०=भड़-भूँजा। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बड़रा :
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वि० [स्त्री० बड़री]-बड़का। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बड़राना :
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अ०=बर्राना। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बड़वा :
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स्त्री० [सं० वल√वा+क+टाप्, ल-ड] १. घोड़ी। २. सूर्य की पत्नी की संज्ञा जिसने घोड़ी का रूप धारण कर लिया था। ३. अश्विनी नक्षत्र। ४. वायु देव की एक परिचायिका। ५. एक प्राचीन नदी। ६. दासी। सेविका। ७. बड़वानल। पुं० [हिं० बड़ा] भादों मास के अन्त में होनेवाला एक प्रकार का धान। |
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बड़वाग्नि :
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स्त्री०=बड़वानल (समुद्र की अग्नि)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बड़वानल :
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पुं० [हिं० बड़वा-अनल, ष० त०] समुद्र के अन्दर चट्टानों में रहनेवाली आग जो सबसे अधिक प्रबल तथा भीषण मानी गयी है। |
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बड़वामुख :
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पुं० [हिं० बड़वा-मुख, ष० त० अच्] १. बडड़वाग्नि। २. शिव का मुख। |
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बड़वार :
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वि० [भाव० बड़वारी] बड़ा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बड़वारी :
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स्त्री० [हिं० बड़वार] १. बड़प्पन। २. बड़ाई। महत्त्व। ३. प्रशंसा। |
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बड़वाल :
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स्त्री० [देश] हिमालय की तराई मे होनेवाली भेड़ों की एक जाति। |
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बड़वा-सुत :
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पुं० [सं० ष० त०] अश्विनीकुमार। |
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बड़वाहृत :
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पुं० [सं० तृ० त०] स्मृतियों से अनुसार वह व्यक्ति जिसे किसी दासी से विवाह करने के कारण दासत्व ग्रहण करना पड़ा हो। |
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बड़-हंस :
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पुं० [हिं० बड़+सं० हंस] एक राग जो मेघ का पुत्र माना जाता है। कुछ लोग इसे संकर राग भी कहते हैं। |
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बड़-हंस-सारंग :
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पुं० [हिं० बड़हंस+सारंग] सम्पूर्ण जाति का एक राग जिसमें सब शुद्ध स्वर लगते हैं। |
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बड़-हंसिका :
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स्त्री० [हिं० बड़+सं० हंसिका] एक रागिनी जो हनुमत् के मत से मेघराग की स्त्री कही गई है। |
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बड़हना :
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पुं० [हिं० बड़+धान] १. एक तरह का धान। २. उक्त धान का चावल। वि०=बड़ा। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बड़हर :
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पुं० [?] वह स्थान जहाँ पर जलाये के लिए सूखे कंडे इकट्ठा करके रखे जाते हैं। पुं०=बड़हल। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बड़हल :
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पुं० [हिं० बड़+फल] १. एक प्रकार का बड़ा पेड़ जो पश्चिमी घाट, पूर्व बंगाल और कुमाऊँ की तराई आदि में बहुत होता है। २. उक्त पेड़ का फल जो अचार बनाने अथवा यों ही खाने के काम आता है। |
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बड़हार :
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पुं० [हिं० वर+आहार] विवाह हो जाने के उपरान्त कन्या पक्षवालों द्वारा वर और बरातियों को दी जानेवाली ज्योनार |
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बड़ा :
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वि० [सं० वर्द्धन, प्रा० बड़ढ़न, हिं० बढ़ना या सं० बड्] [स्त्री० अल्पा० बड़ी] १. जो अपने आकार, धारिता, मान, विस्तार आदि के विचार से औरों से बढ़-बढ़कर हो। प्रसम या साधारण से अधिक डील-डौल वाला। जैसे—(क) बड़ा पेड़, बड़ा मकान, बड़ा संदूक। (ख) बड़ा दिन। पद—बड़ा आदमी बड़ा घर, बड़ा बूढ़ा (दे० स्वतंत्र शब्द)। मुहावरा—बड़ी-बड़ी बातें करना=अपनी अथवा किसी की योग्यता शक्ति आदि के संबंध में बहुत कुछ अत्युक्तिपूर्ण या बड़ा-चढ़ाकर बातें करना। २. जो गरिमा, गुण, मर्यादा महत्त्व आदि के विचार से औरों से बहुत आगे बढ़ा हुआ हो। जैसे—(क) बड़ा दिन। (ख) बड़ा साहस। (ग) बड़ा कारीगर। ३. जो अधिकार, अवस्था, पद, मर्यादा शक्ति आदि के विचार से बढ़ा हुआ या बढ़-चढ़कर हो। जैसे—(क) बड़ा अधिकारी। (ख) बड़े-बूढ़े (या बड़े लोग) जो कहें, वह मान लेना चाहिए। ४. जो किशोर विशेषतः युवावस्था को प्राप्त हो चुका हो। जैसे—लड़की बड़ी हो गयी है, अब इसका विवाह कर देना चाहिए। ५. तुल्नात्मक दृष्टि से जिसकी अवस्था या वय अपने वर्ग के औरों से अधिक हो। ज्यादा उमरवाला। जैसे—बड़ा भाई, बड़े मामा। ६. जो मात्रा, मान, संख्या आदि के विचार से औरों से बढ़-चढ़कर हो। जैसे—(क) उन्हें इस वर्ष सबसे बड़ा इनाम मिला है। (ख) खाते में एक बड़ी रकम छूट गयी है। ७. जो बहुत अधिक स्थान घेरता हो। अधिक जगह घेरनेवाला। जैसे—बड़ा कारखाना, बड़ी दुकान। ८. जो देखने में तो बहुत बढ़-चढ़कर महत्त्वपूर्ण या प्रभावशाली हो (फिर भी जिसमें कुछ तत्त्व या सार न हो)। जैसे—बड़ी बोल बोलना, बड़ी-बड़ी बातें बघारना। ९. कुछ अवस्थाओं में किसी अनिष्ट अप्रिय या अशुभ क्रिया के स्थान पर अथवा ऐसी ही किसी संज्ञा के साथ प्रयुक्त होनेवाला विशेषण। जैसे—(क) दीया बड़ा करना अर्थात् बुझाना) बड़ा जानवर (अर्थात् गीदड़ या साँप)। क्रि० वि० बहुत अधिक। उदाहरण—बड़ी लम्बी है जमीं मिलेगे लाख हमीं।—कोई शायर। पुं० [सं० वटक, हिं० वटा] [स्त्री० अल्पा० बड़ी] १. एक प्रकार का पकवान जो मसाला मिली हुई उर्द की पीठी की गोल चक्राकार टिकियों के रूप में होता है और घी या तेल में तलकर बनाया जाता है। २. उत्तरी भारत में होनेवाली एक प्रकार की बरसाती घास। |
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बड़ा आदमी :
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पुं० [हिं० ] १. ऐसा आदमी जिसके पास यथेष्ट धन सम्पत्ति हो। अमीर। धनवान। २. ऐसा आदमी जो गुण, पद, मर्यादा आदि के विचार से औरों से बहुत बढ़कर हो। |
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बड़ाई :
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स्त्री० [हिं० बड़ा+ई (प्रत्यय)] १. बड़े होने की अवस्था या भाव। बड़ापन। २. किसी काम या बात में औरो की अपेक्षा बढ़-चढ़कर होनेवाला कोई विशेष गुण या श्रेष्ठता। ३. उक्त के आधार पर किसी की होनेवाली प्रतिष्ठा या मान-मर्यादा। महिमा। ४. किसी मे होनेवाले विशिष्ट गुण के संबंध में कही जानेवाली प्रशंसात्मक उक्ति। ५. प्रशंसा। तारीफ। मुहावरा—(किसी की) बड़ाई देना=किसी के गुण, योग्यता आदि का आदर करते हुए उसका आदर या प्रशंसा करना। (अपनी) बड़ाई मारना=अपने मुँह से आप अपनी योग्यता या बखान या प्रशंसा करना। |
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बड़ा कुँवार :
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पुं० [हिं० बड़ा+कुँवार] केवड़े की तरह का एक पेड़ जिसके पत्ते किरिच की तरह लम्बे होते हैं। |
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बड़ा दिन :
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पुं० [हिं० बड़ा+दिन] २५ दिसम्बर का दिन जो ईसाइयों का प्रसिद्ध त्योहार है। विशेष—प्रायः इसी दिन या इसके कुछ आगे-पीछे दिन-मान का बढ़ना आरम्भ होता है, इसी से इसे बड़ा दिन कहते हैं। |
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बड़ा नहान :
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पुं० [हिं०] वह स्नान जो प्रसूता को प्रसव के चालीसवें दिन कराया जाता है। |
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बड़ानी :
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वि०=बड़ा। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बड़ा पीलू :
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पुं० [हिं० बड़ा+पीलू] एक प्रकार का रेशम का कीड़ा। |
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बड़ा बाबू :
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पुं० [हिं०] किसी कार्यालय का प्रधान लिपिक जिसके अधीन कई लिपिक काम करते हों। |
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बड़ा बूढ़ा :
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पुं० [हिं० ] ऐसा व्यक्ति जो अवस्था या वय के विचार से भी और गुण, योग्यता आदि के विचार से भी औरों से बढ़-चढ़कर या श्रेष्ठ हो बुजुर्ग। |
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बड़ी :
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स्त्री० [हिं० बड़ा] १. आलू, दाल, सफेद कुम्हड़े आदि को पीसकर तथा उसमें नमक, मिर्च, मसाला आदि डालकर उसका सुखाया हुआ कोई छोटा टुकड़ा जो दाल, तरकारी आदि में डाला जाता है। कुम्हड़ौरी। २. मांस की बोटी। (डिं० )। |
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बड़ी इलायची :
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स्त्री० [हिं० ] १. एक प्रकार का इलायची का पेड़ जिसका फल कुछ बड़ा और काले रंग का होता है २. उक्त का फल जिसके दाने या बीज मसाले के रूप में प्रयुक्त होते हैं। |
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बड़ी गोटी :
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स्त्री० [?] चौपायों की एक बीमारी। |
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बड़ी बात :
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स्त्री० [हिं० ] कोई महत्त्वपूर्ण किंतु कठिन काम। जैसे—उन्हें रास्ते पर लाना कौन बड़ी बात है। |
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बड़ी माता :
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स्त्री० [हिं० बड़ी+माता] शीतला। चेचक। (पॉक्स)। |
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बड़ी मैल :
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स्त्री० [देश०] एक प्रकार की चिड़िया जो बिलकुल खाकी रंग की होती है। |
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बड़ी राई :
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स्त्री० [हिं० बड़ी+राई] एक प्रकार की सरसों जो लाल रंग की होती है। लाही। |
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बड़ेरा :
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वि० [हिं० बड़ा+रा (प्रत्यय)] [स्त्री० बड़ेरी] १. बड़ा। २. प्रधान। मुख्य। पुं० [सं० बड़ीभि, प्रा० बड़ीहि+रा] [स्त्री० अल्पा० बड़ेरी] कुएँ पर दो खम्भों के ऊपर ठहरायी हुई वह लकड़ी जिसमें घिरनी लगी रहती है। पुं० १.=बँडेर। २.=बवंडर। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बड़े लाट :
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पुं० [हिं० बड़ा+अं० लाँर्ड] अंगरेजी शासन-काल में भारत का सर्व०-प्रमुख प्रधान शासक। गर्वनर जनरल। |
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बड़ैल :
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पुं० [हिं० बड़ा] जंगली सूअर। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बड़ौखा :
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पुं० [हिं० बड़ा+ऊख] एक प्रकार का गन्ना जो बहुत लम्बा और नरम होता है। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बड़ौना :
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पुं० [हिं० बड़ापन] १. बड़ाई। महिमा। २. प्रशंसा। तारीफ। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बड़दार :
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स्त्री० [हिं० बाढ़+धार] पत्थर काटने की टाँकी। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बड़वा :
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स्त्री० [सं० बड़वा=बल√वा (गति)+क+टाप्,लस्य,ड] १. घोड़ी। २. दासी। ३. वेश्या। ४. अश्विनी नक्षत्र ५. ब्राह्मण जाति की स्त्री। |
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