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प्रवर्तक  : वि० [सं० प्र√वृत्+णिच्+ण्वुल्—अक] १. प्रवर्तन (देखें) करनेवाला। २. किसी काम या बात का आरंभ अथवा प्रचलन करनेवाला। प्रतिष्ठाता। ३. काम में लगाने या प्रवृत्त करनेवाला। प्रेरित करनेवाला। ४. उभारने या उसकानेवाला। ५. गति देने या चलानेवाला। ६. नया आविष्कार करनेवाला। ७. न्याय या विचार करनेवाला। पुं० साहित्य में, रूपकों की प्रस्तावना का वह प्रकार या भेद जिसमें प्रस्तुत कार्य से संबद्ध कृत्य का परित्याग करके कोई और काम कर बैठने का दृश्य उपस्थित किया जाता है। जैसे—संस्कृत के ‘महावीर चरित’ में राम की वीरता से प्रसन्न होकर परशुराम उनसे लड़ने का विचार छोड़कर प्रेमपूर्वक उनका आलिगन करने लगते हैं।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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