शब्द का अर्थ
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प्रधा :
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स्त्री० [सं० प्र√धा+अङ्+टाप्] दक्ष प्रजापति की एक कन्या जिसका विवाह कश्यप ऋषि से हुआ था। |
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प्रधान :
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वि० [सं० प्र√धा+ल्युट्—अन] [भाव० प्रधानता] अधिकारी, पद, महत्त्व आदि की दृष्टि से जो सबसे बड़ा या बढ़कर हो। पुं० १. नेता। मुखिया। सरदार। २. मंत्री। सचिव। ३. आज कल किसी संस्था या सभा का वह सबसे बड़ा अधिकारी जो कुछ नियत काल के लिए चुना जाता और समापति के रूप में उसके सब कामों का निरीक्षण तथा संचालन करता है। ४. संसार का उपादान कारण। ५. बुद्धि। समझ। ६. ईश्वर। ७. सेनापति। |
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प्रधानक :
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पुं० [सं० प्रधान+कन्] सांख्य के अनुसार बुद्धि-तत्त्व। |
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प्रधान-कर्म (न्) :
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पुं० [कर्म० स०] सुश्रुत के अनुसार तीन प्रकार के कर्मों में से एक कर्म जो रोग की उत्पत्ति हो जाने पर किया जाता है। |
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प्रधान-कार्यालय :
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पुं० [कर्म० स०] व्यापारिक अथवा अन्य संस्थाओं का मुख्य और सबसे बड़ा कार्यालय जिसके अधीन कई छोटे-छोटे कार्यालय हों और जहाँ से सब कार्यों तथा शाखाओं का संचालन होता हो। (हेड आफिस) |
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प्रधानता :
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स्त्री० [सं० प्रधान+तल्+टाप् ] प्रधान होने की अवस्था, गुण या भाव। |
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प्रधान-धातु :
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पुं० [सं० कर्म० स०] शरीर की सब धातुओं में से प्रधान शुक्र या वीर्य। |
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प्रधान-मंत्री (त्रिन्) :
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पुं० [कर्म० स०] १. संस्था आदि का वह सबसे बड़ा मंत्री जिसके अधीन और भी की विभागीय मंत्री हों। (जनरल सेक्रेटरी) २. किसी देश या राज्य का सबसे बड़ा मंत्री। (प्राइम मिनिस्टर) |
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प्रधानाचार्य :
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पुं० [सं०] आज-कल किसी महाविद्यालय (कालेज) का प्रधान अधिकारी और सर्वप्रमुख अघ्यापक। (प्रिंसिपल) |
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प्रधानाध्यापक :
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पुं० [प्रधान अध्यापक, कर्म० स०] किसी विद्यालय का सबसे बड़ा अध्यापक। (हे़ड मास्टर) |
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प्रधानामात्य :
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पुं० [प्रधान-अमात्य, कर्म० स०] प्रधान मंत्री। |
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प्रधानिक :
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वि०=प्राधानिक। |
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प्रधानी :
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स्त्री० [सं० प्रधान+हिं० ई (प्रत्य०)=प्रधानता। |
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प्रधारणा :
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स्त्री० [सं० प्रा० स०] किसी विषय पर एकाग्र होकर ध्यान जमाये रखना। |
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