शब्द का अर्थ
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प्रत्यय :
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पुं० [सं० प्रति√इ (गति)+अच्] १. किसी के संबंध में होनेवाली विश्वासमय दृढ़ धारणा। (आइडिया) २. प्रमाण। ३. विचार। ख्याल। ४. ज्ञान। ५. आवश्यकता। ६. व्याख्यापन। ७. कारण। हेतु। ८. प्रसिद्धि। ९. लक्षण। चिह्न। १॰. निर्णय। फैसला। ११. सम्मति। राय। १२. स्वाद। १३. सहायक। मददगार। १४. विष्णु का एक नाम। १५. छंदशास्त्र या पिंगल का वह अंग जिसके द्वारा छंदों के भेद या विस्तार और उनकी संख्याएँ जानी जाती है। इसके प्रस्तार, सूची, उद्दिष्ट, नष्ट, पाताल, मेरु, खंडमेरु, पताका और मर्कटी ये नौ भेद माने गये हैं। १६. व्याकरण में वह अक्षर या अक्षर-समूह जो धातुओं अथवा विकारी शब्दों के अंत में लगाकर उनके अर्थो का विकास करता अथवा उनमें कोई विशेषता उत्पन्न करता है। जैसे—ना, ता, पन आदि। |
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प्रत्यय-पत्र :
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पुं० [सं० ष० त०] किसी राज्य अथवा उसके सर्व-प्रधान अधिकारी के हस्ताक्षर और मुद्रा से युक्त वह प्रमाण-पत्र जो इस बात का परिचायक होता है कि अमुक व्यक्ति को आधिकारिक रूप में अमुक पद पर नियुक्त किया गया है। (किडेन्शल्स) जैसे—अमेरिका के राजदूत ने आज राष्ट्रपति महोदय की सेवा में अपना प्रत्यय-पत्र उपस्थित किया। किसी व्यक्ति को दिया हुआ वह पत्र या प्रमाण पत्र जो इस बात का परिचायक होता है कि उसे अमुक पद पर काम करने का अधिकार दिया गया है। |
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प्रत्ययवाद :
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पुं० [सं० ष० त०] दार्शनिक क्षेत्र में, यह मान्यता या सिद्धान्त कि यह दृश्य जगत किसी चेतन सत्ता की सृष्टि है, इसलिए मनुष्य को बौद्धिक विचारों का आधार छोड़कर चिरन्तन तथा शाश्वत विचारों का आश्रम लेना चाहिए। आदर्शवाद (आइडियलिज्म) विशेष—यह मत बौद्धों के विज्ञानवाद से बहुत-कुछ मिलता-जुलता और भौतिकवाद का प्रायः विपर्याय-सा है। |
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प्रत्ययवादी (दिन्) :
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वि० [सं० प्रत्ययवाद+इनि] प्रत्यवाद-सम्बन्धी। प्रत्यवाद का। पुं० वह जो प्रत्यवाद का अनुयायी, पोषक या समर्थन हो। |
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प्रत्यय-वृत्ति :
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स्त्री० [सं० ष० त०] भाषा विज्ञान में, वह वृत्ति या विधि जिससे शब्दों के अन्त में प्रत्यय लगाकर नये शब्द बनाये जाते हैं। निष्पति विधि। जैसे—परिवार से पारिवारिक, राज्य से राजकीय आदि शब्द इसी वृत्ति से बने हैं। |
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प्रत्ययांत :
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वि० [सं० प्रत्यय-अंत, ब० स०] (शब्द) जिसके अन्त में कोई प्रत्यय लगा हो। प्रत्यय से युक्त शब्द। जैसे—दूकानदार, मिलनसार, लिखावट आदि शब्द प्रत्यांत है। |
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प्रत्ययिक :
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वि० [सं० प्रात्ययिक] १. प्रत्यय-सम्बन्धी। प्रत्यय का। २. (बात या विषय) जो किसी को इस प्रत्यय या विश्वास पर बतलाया जाय कि वह इसे किसी और पर प्रकट न करेगा। विश्रंभी। विश्वस्त। (कान्फिडेन्शल) |
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प्रत्ययित :
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वि० [सं० प्रत्यय+इतच्] १. (व्यक्ति) जिसका प्रत्यय या विश्वास किया गया हो या किया जा सकता हो। २. (विषय) जिस पर प्रत्यय या विश्वास किया गया हो। ३. (शब्द) जिसमें प्रत्यय लगा या लगाया गया हो। ४. दे० ‘प्रत्ययिक’। |
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प्रत्ययी (यिन्) :
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वि० [सं० प्रत्यय+इनि] १. प्रत्यय या विश्वास करनेवाला। २. ‘प्रत्ययिक’। |
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