शब्द का अर्थ
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पुरंच :
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अव्य० [सं० द्व० स०] १. और भी। २. तो भी। ३. परंतु। लेकिन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरंजन :
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पुं० [सं० पुर√जन् (उत्पन्न करना)+ख, मुम्] जीवात्मा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरंजनी :
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स्त्री० [सं० पुरंजन+ङीष्] बुद्धि। समझ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरंजय :
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वि० [सं० पुर√जि (जीतना)+खच्, मुम्] पुर को जीतनेवाला। पुं० एक सूर्यवंशी राजा जिसका दूसरा नाम काकुत्स्थ था। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरंजर :
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स्त्री० [सं०] काँख। बगल। |
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समानार्थी शब्द-
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पुरंदर :
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वि० [सं० पुर√दृ (तोड़ना, फाड़ना)+खच्, मुम्] पुर (नगर या घर) को तोड़नेवाला। पुं० १. इंद्र। २. चोर। ३. चव्य। चाब। ४. मिर्च। ५. ज्येष्ठा नक्षत्र। ६. विष्णु। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरंदरा :
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स्त्री० [सं० पुरंदर+टाप्] गंगा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरंध्री :
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स्त्री० [सं० पुर√भृ (पालन करना)+खच्+ङीष्] १. ऐसी सौभाग्यवती स्त्री जिसके आगे पति पुत्र और कन्याएँ हों। २. स्त्री। |
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समानार्थी शब्द-
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पुरः (रस्) :
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अव्य० [सं० पूर्व+असि, पुर्-आदेश] १. काल, दिशा आदि के विचार से आगे या सामने। समझ। २. किसी के पहले या पूर्व। ३. पूर्व दिशा का। पूर्वी। ४. पूर्व की ओर उन्मुख। विशेष—पुरस्कार, पुराक्रिया, पुरस्कृत, पुरस्सर आदि शब्दों में उनके पहले इसका उक्त पुरस् रूप ही सम्मिलित रहता है। |
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समानार्थी शब्द-
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पुरःदत्त :
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वि० [सं० पुरोदत्त] (परिव्यय या शुल्क) पहले से किया हुआ। जो पहले दिया गया हो। (प्रीपेड) |
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समानार्थी शब्द-
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पुरःदान :
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पुं० [सं० पुरोदान] [भू० कृ० पुरःदत्त] (देन, परिव्यय, शुल्क आदि) नियत समय से पहले ही चुकाना या दे देना। (प्री-पेमेन्ट) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरःप्रत्यय :
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पुं० [सं० मध्य० स०] व्याकरण में ऐसा प्रत्यय जो किसी शब्द के पहले लगकर उसके अर्थ में कोई विशेषता उत्पन्न करता है। जैसे— ‘अनुगत’ में का ‘अनु’ पुरःप्रत्यय है। |
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समानार्थी शब्द-
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पुरःसंगी :
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वि० [सं०] किसी कार्य, तथ्य या विषय में, उससे पहले सम्बद्ध या सहायक रूप मे आने, होने या साथ रहनेवाला। (एक्सेसरी बिफोर दी फैक्ट) |
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समानार्थी शब्द-
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पुरःसर :
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वि० [सं० पुरस्√सृ (गति)+ट] १. मिला हुआ। युक्त। २. संग या साथ रहने या होनेवाला। पुं० १. आगे-आगे चलनेवाला। २. अगुआ। नेता। ३. संगी। साथी। |
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समानार्थी शब्द-
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पुर :
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वि० [सं०√पुर् (आगे जाना)+क] भरा हुआ। पुं० [स्त्री० अल्पा० पुरी] १. वह बड़ी बस्ती जिसमें बड़ी बड़ी इमारतें भी हों। गाँव से बड़ी परन्तु नगर से छोटी बस्ती। विशेष—प्राचीन काल में पुर का क्षेत्रफल एक कोस से अधिक होता था और उसके चारों ओर खाई होती थी। २. घर। मकान। ३. अटारी। कोठा। ४. भुवन। लोक। ५. नक्षत्रों का पुंज राशि। ६. देह। शरीर। ७. कुएँ से पानी खींचने का मोट।—चरसा। ८. मोथा। ९. पीली कसरैया। १॰. गुग्गुल। ११. किला। गढ़। दुर्ग। १२. चोगे की तरह का एक प्रकार का पुराना पहनावा। अव्य० [सं० पुरः] आगे। सामने। उदा०—स्वान। निशंक कहौ पुर मेरे।—केशव। पुं०=पुरवट (लखनऊ) मुहा०—पुर लेना=पानी से भरा हुआ पुरवट खींचकर उसका पानी नाली में गिराना। |
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समानार्थी शब्द-
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पुरइन :
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स्त्री० [सं० पुटकिनी, प्रा० पुड़इनी=कमलिनी, पुं० हिं० पुरइनि] १. कमल का पत्ता। २. कमल। ३. जरायु। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरउना :
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स०=पुरवना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरउबि :
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स० [सं० पूर्ण] पूरा कीजिएगा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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पुर-कायस्थ :
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पुं० [सं० ष० त०] प्राचीन भारत में पुर (या नगर) का वह अधिकारी जिसके पास मुख्य लेखों, दस्तावेजों आदि की नकलें रहती थीं। (इसका पद प्रायः आज-कल के रजिस्ट्रार के पद के समान होता था।) |
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समानार्थी शब्द-
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पुर-कोट्ट :
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पुं० [ष० त०] नगर का रक्षा के लिए बनाया हुआ दुर्ग। |
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समानार्थी शब्द-
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पुरखा :
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पुं० [सं० पुरुष] [स्त्री० पुराविन] १. पूर्वज। मुहा०—पुरखे तर जाना=पूर्व पुरुषों को (पुत्र आदि के कृत्यों से) पर लोक में उत्तम गति प्राप्त होना। बहुत बड़ा पुण्य या उसका फल होना। कृत्य कृत्य होना। जैसे—उनके आने से तुम क्या, तुम्हारे पुरखे भी तर जायँगे। २. सयाना और वृद्ध व्यक्ति। |
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पुरग :
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वि० [पुर√गम् (जाना)+ड] १. नगरगामी। २. जिसकी मनोवृत्ति अनुकूल हो। |
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पुरगुर :
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पुं० [देश०] एक प्रकार का पेड़ जिसकी लकड़ी, खिलौने, हल आदि बनाने के काम आती है। |
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पुरचक :
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स्त्री० [हिं० पुचकार] १. चुमकार। पुचकार। २. बढ़ावा। प्रेरणा। क्रि० प्र०—देना। ३. पृष्टपेषण। ४. समर्थन हिमायत। क्रि० प्र०—देना।—लेना। ५. बुरा अभ्यास या परिपाटी। (पश्चिम) |
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पुर-जन :
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पुं० [ष० त०] पुर या नगर के रहनेवाले लोग। पुरवासी। |
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पुरजा :
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पुं० [फा० पुर्जः] १. टुकड़ा। खंड। मुहा०—पुरजे पुरजे उड़ाना या करना=कागज, पत्र आदि को फाड़कर उसके अनेक छोटे-छोटे टुकड़े कर देना। २. काटकर निकाला हुआ टुकड़ा। कतरन। धज्जी। ३. कागज के टुकड़े पर लिखी हुई बात या सूचना। ४. किसी के हस्ते भेजी जाने वाली चिट्टी। ५. किसी बड़े यंत्र का कोई अंग, अंश या खंड। जैसे—घड़ी के कई पुरजे खराब हो गये हैं। पद—चलता पुरजा=बहुत बड़ा चालाक। मुहा०—(किसी के दिमाग का) पुरजा ढीला होना=कुछ खबती, झक्की या सनकी होना। |
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समानार्थी शब्द-
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पुरजित् :
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पुं० [सं० पुर√जि (जीतना)+क्विप्] १. शिव। २. कृष्ण का एक पुत्र जो जांबवती के गर्भ से उत्पन्न हुआ था। |
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समानार्थी शब्द-
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पुरट :
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पुं० [सं०√पुर्+अटन्] सुवर्ण। सोना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरण :
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पुं० [सं०√पृ+क्यु—अन] समुद्र। |
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समानार्थी शब्द-
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पुरतः (तस्) :
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अव्य० [सं० पुर+तस्] आगे। सामने। उदा०—पुरुतो में प्रेषितम् पत्र।—प्रिथीराज। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर-तटी :
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स्त्री० [मध्य० स०] छोटा बाजार। हाट। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर-तोरण :
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पुं० [ष० त०] नगर का बाहरी दरवाजा या मुख्य-द्वार। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर-त्राण :
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वि० [ब० स०] पुर की रक्षा करनेवाला। पुं० परकोटा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर-देव :
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पुं०=नगर देवता। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर-द्वार :
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पुं० [ष० त०] पुर का मुख्य द्वार। नगर का मुख्य फाटक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरद्विट (ष्) :
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पुं० [ष० त०] शिव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरना :
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अ० [हिं० पूरा] १. पूरा या पूर्ण होना। २. यथेष्ट मात्रा या मान में प्राप्त होना। उदा०—पुरती न जो पै मोर-चंद्रिका किरीटकाज, जुरती कहा न काँच किरचै कुमाय की।—रत्नाकर। ३. समाप्त होना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर-नारी :
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स्त्री० [ष० त०] नगर-नारी। रंडी। वेश्या। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर-निवेश :
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पुं० [ष० त०] पुर या नगर बनाना और बसाना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर-निवेशन :
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पुं० [ष० त०] पुर या नगर बसाने का कार्य। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरनी :
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स्त्री० [हिं० पूरना=भरना] १. अँगूठे में पहनने का छल्ला। २. तुरही। ३. बंदूक की नली साफ करने का कागज। |
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समानार्थी शब्द-
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पुर-पक्षी (क्षिन्) :
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पुं० [ष० त०] १. पुर या नगर में रहनेवाला पक्षी। २. पालतू पक्षी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरपाल :
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पुं० [सं० पुर√पाल् (रक्षा)+णिच्+अच्] १. पुर या नगर का प्रधान अधिकारी। २. कोतवाल। ३. आत्मा। जीव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरबला :
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वि० [सं० पूर्व+हिला (प्रत्य०)] [स्त्री० पुरबली] १. पूर्व का। पहले का। २. पूर्व जन्म का। पिछले जन्म का। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरबा :
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वि०=पुरवा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरबिया :
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वि० [हिं० पूरब] [स्त्री० पुरबिनी] १. पूर्व देश में उत्पन्न या रहनेवाला परब का। २. पूर्व दिशा से आनेवाला। जैसे—पुरबिया हवा। पुं० पूर्वी देश का निवासी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरबिहा :
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वि०, पुं०=पुरबिया।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरबी :
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वि०=पूरबी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरभिद् :
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पुं० [सं० पुर√भिद् (विदीर्ण करना)+क्विप्] पुर (त्रिपुर) का भेदन करनेवाले, शिव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरमथन :
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पुं० [ष० त०] शिव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर-मथिता (तृ) :
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पुं० [सं०] शिव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर-मार्ग :
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पुं० [ष० त०] १. पुर या नगर की ओर जानेवाला रास्ता। २. शहर की सड़क। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर-रक्षी :
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पुं०=पुर-रक्षक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर-रक्षा :
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पुं० [ष० त०] नगर या रक्षा करनेवाला कर्मचारी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर-रक्षा (क्षिन्) :
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पुं० [ष० त०]=पुर-रक्षक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर-रोध :
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पुं० [ष० त०] शत्रु के नगर को घेरा डालना। चारों ओर से घेरना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरला :
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स्त्री० [सं०√पुर्+कलच्+टाप्] दुर्गा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर-लोक :
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पुं० [ष० त०]=पुरजन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरवइया :
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स्त्री०=पुरवाई।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरवट :
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पुं० [सं० पूर] चमड़े का एक तरह का बड़ा उपकरण या डोल जिससे सिंचाई के लिए कुओं से पानी निकालते हैं। चरसा। मोट। क्रि० प्र०—खींचना।—चलना।—चलाना। मुहा०—पुरवट नाधना= पुरवट चलाने के लिए उसमें बैल जोतना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर-वधू :
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स्त्री० [ष० त०] वेश्या। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरवना :
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स० [हिं० पूरना का प्रेर०] १. पूर्ण या पूरा करना। जैसे—मनोरथ पुरवना। मुहा०—साथ पुरवना=अन्त तक या पूरी तरह से साथ देना। २. इच्छा, कामना, प्रतिज्ञा आदि पूरी करना। उदा०—जन प्रहलाद प्रतिज्ञा पुरई सखा बिप्र दरिद्र हयौ।—सूर। अ० १. पूरा या पूर्ण होना। २. पूरा पड़ना। यथेष्ट होना। ३. पूर्ति होना। कमी दूर होना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर-वर :
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पुं० [स० त०] १. अच्छा और बढ़िया या श्रेष्ठ नगर। २. राजनगर। राजधानी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरवा :
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पुं० [सं० पुर] छोटा गाँव। पुरा। खेडा। वि० [सं० पूव] पूर्व दिशा का। पुं० [सं० पूर्व+वात] १. पूर्व की ओर से आने या चलनेवाली हवा। पुरवाई। २. उक्त वायु के चलने पर पशुओं को होनेवाला एक रोग, जिसमें उनका गला और पेट फूल जाता है। पुं० [सं० पुटक] मिट्टी का एक प्रकार का छोटा बरतन जिसमें पानी, दूध, शराब आदि पीते हैं। कुल्हड़। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरवाई :
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स्त्री० [सं० पूर्व+वायु, हिं० पूरब+बाई] पूर्व की वायु। वह वायु जो पूर्व दिशा से आती हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरवाना :
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स० [हिं० पुरवना का प्रे०] पूरा कराना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरवासी (सिन्) :
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पुं० [सं० पुर√वस् (बसना)+णिनि] पुर या नगर का रहनेवाला। नागरिक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर-वास्तु :
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पुं० [ष० त०] वह भूमि या स्थान जहाँ नगर अच्छी तरह बनाया या बसाया जा सकता हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरवैया :
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स्त्री०=पुरवाई। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर-शासन :
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पुं० [सं० पुर√शास् (शासन करना)+ल्यु—अन] १. दैत्यों के त्रिपुर का ध्वंस करनेवाले शिव। २. विष्णु। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरश्चरण :
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पुं० [सं० पुरस्√चर् (गति)+ल्युट्—अन] १. किसी कार्य की सिद्धि के लिए पहले से ही उपाय सोचना और उसका अनुष्ठान करना। किसी काम की पहले से की जानेवाली तैयारी। २. किसी विशिष्ट उद्देश्य की सिद्धि के लिए नियम और विधान पूर्वक कुछ निश्चित समय तक किया जानेवाला तांत्रिक पूजा-पाठ। तांत्रिक प्रयोग। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरश्चर्या :
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स्त्री० [सं० पुरस्√चर्+क्यप्+टाप्] पुरश्चरण। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरश्छद :
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पुं० [सं० पुरस्√छद (ढंकना)+णिच्,+घ, ह्रस्व] कुश या डाभ की तरह की एक घास। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरषा :
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पुं०=पुरखा (पूर्व पुरुष)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरस :
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पुं० [सं० पुरीष] खाद। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरसाँ :
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वि० [फा० पुसाँ] पूछने या खोज-खबर लेनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरसा :
|
पुं० [सं० पुरुष] ऊँचाई या गहराई नापने की एक नाप जो उतनी ऊँची होती है जितना ऊँचा हाथ ऊपर उठाकर खड़ा हुआ साधारण मनुष्य होता है। लगभग साढ़े चार या पाँच हाथ की एक माप। जैसे—यह कुआँ या नदी चार पुरसा गहरी है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरसी :
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स्त्री० [फा०] समस्त पदों के अंत में, जानने के लिए कुछ पूछने की क्रिया या भाव। जैसे—मातम-पुरसी, मिजाज-पुरसी आदि। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरस्कार :
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पुं० [सं० पुरस्√कृ (करना)+घञ्] [भू० कृ० पुरस्कृत] १. आगे करने की क्रिया। २. आदर। पूजा। ३. प्रधानता। ४. स्वीकार। ५. अच्छी तरह कोई बड़ा और कठिन काम करने पर उसके कर्ता को आदर या सत्कार के रूप में दिया जानेवाला धन या पदार्थ। इनाम (प्राइज)। क्रि० प्र०—देना।—पाना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरस्कृत :
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भू० कृ० [सं० पुरस्√कृ+क्त] १. आगे किया हुआ। २. पूजित। ३. स्वीकृत। ४. जिसे पुरस्कार मिला हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरस्तात् :
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अव्य० [सं० पूर्व+अस्ताति, पुर-आदेश] १. आगे। सामने। २. पूर्व दिशा में। ३. पूर्व काल में। ४. आरंभ में। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरस्सर :
|
वि०=पुरः सर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरहँड़ :
|
पुं० [सं० पुरोघट या पूर्णघट] मंगलकलश।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरहत् :
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पुं० [सं० पुरः-अक्षत] वह अन्न और द्रव्य जो विवाह आदि मंगल कार्यों में पुरोहित और नेगियों को कृत्य करने के प्रारंभ में दिया जाता है। आखत। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरहन् :
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पुं० [सं०पुर√हन्(हिंसा)+क्विप्] १. विष्णु। २. शिव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरहर :
|
पुं० [सं० पूर्ण-भर] मांगलिक पात्र। मंगलघट। उदा०—धवल कमल फुल पुरहर भेल।—विद्यापति। वि०=पूरा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरहा :
|
पुं० [सं०] १. शिव। २. विष्णु। पुं० [हिं० पुर] वह व्यक्ति जो खेतों की नालियों में पुरवट का पानी गिराता हो। (पूरब) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरही :
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स्त्री० [?] एक प्रकार की झाड़ी जिसकी पत्तियाँ और जड़े औषध के काम आती है। हर-जेवड़ी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरहूत :
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वि०, पुं०=पुरुहूत। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरांगना :
|
स्त्री० [सं० पुर-अगना, ष० त०] नगर में रहनेवाली स्त्री। नगर-निवासिनी। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरांतक :
|
पुं० [सं० पुर-अंतक, ष० त०] शिव। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरा :
|
अव्य० [सं०√पुर (अग्रगति)+का] १. पुराने समय में। पूर्व या प्राचीन काल में। २. अब तक। ३. थोड़े समय में। वि० समस्त पदों के आरंभ में विशेषण के रूप में लगकर यह पुराना या प्राचीन का अर्थ देता है। जैसे—पुराकल्प, पुरावृत्त। स्त्री० १. पूर्व दिशा। पूरब। २. मुरा नामक गंध द्रव्य। ३. छोटी बस्ती। गाँव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुराई :
|
स्त्री० [हिं० पूरना-भरना] १. पूरा करने की क्रिया या भाव। २. पुरवट आदि के द्वारा खेतों में पानी देने की क्रिया। सिंचाई। क्रि० प्र०—चलना। ३. उक्त का पारिश्रमिक या मजदूरी। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरा-कथा :
|
स्त्री० [कर्म० स०] १. प्राचीन काल की बातें। २. इतिहास। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुराकल्प :
|
पुं० [कर्म० स०] १. पूर्व कल्प। पहले का कल्प। २. प्राचीन इतिहास युग। ३. एक प्रकार का अर्थवाद जिसमें प्राचीन काल का कहकर किसी विधि के करने की ओर प्रवृत्त किया जाय। जैसे—ब्राह्मणों ने इससे हविः पवमान सामस्तोम की स्तुति की थी। ४. आधुनिक भू० विज्ञान के अनुसार उत्तर पाँच कल्पों में से तीसरा कल्प, जिसमें पृथ्वी तल पर जगह-जगह छिछले समुद्र बनने लगे थे; खूब बाढ़े आती थीं, मछलियाँ सरीसृप और कीड़े-मकोड़े उत्पन्न होने लगे थे, और कुछ विशिष्ट प्रकार के बहुत बड़े-बड़े वृक्ष होते थे। यह कल्प प्रायः बीस से पचास करोड़ वर्ष पहले हुआ था। पुराजीवकाल। (पेलियो जोइक एरा) विशेष—शेष चार कल्प ये हैं—आदि कल्प, उत्तर कल्प, मध्य कल्प और नवकल्प। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुराकालीन :
|
वि० [सं० पुरा-काल, कर्म० स०,+ख—ईन] १. प्राचीन काल का। बहुत पुराना। २. इतना अधिक पुराना कि जिसका प्रचलन, प्रयोग या व्यवहार बहुत दिन पहले से उठ गया हो। बहुत पुराने जमाने का। (एन्टीक) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुराकृत :
|
भू० कृ० [सं० स० त०] १. पूर्व काल में किया हुआ। २. पूर्वजन्म में किया हुआ। पुं० पूर्वजन्म में किये हुए वे भले और बुरे काम जिनका फल दूसरे जन्म में भोगना पड़ता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरा-कोश :
|
पुं० [सं० कर्म० स०] ऐसा शब्दकोश जिसमें प्राचीन भाषाओं के अथवा बहुत पुराने शब्दों का विवेचन होता है। निघण्टु। (लेक्सिकन) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुराग :
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वि० [सं० पुरा√गम् (जाना)+ड] पूर्वगामी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुराचीन :
|
वि० १.=पुराकालीन। २.=प्राचीन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुराजीव :
|
पुं०=जीवाश्म। (देखें) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुराजीवकाल :
|
पुं०=पुराकाल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुराजैविकी :
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स्त्री०=जीवाश्म विज्ञान। (देखें) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुराण :
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वि० [सं० पुरा√टयु—अन] [भाव० पुराणता] १. बहुत प्राचीन काल का। बहुत पुराना। पुरातन। जैसे—पुराण पुरुष। २. बहुत अधिक अवस्था या वय वाला। वृद्ध। बुड्ढा। ३. जो पुराना होने के कारण जीर्ण-शीर्ण हो गया हो। पुं० १. बहुत पुरानी घटना या उसका वृत्तांत। २. प्रायः सभी प्राचीन जातियों, देशों और धर्मों में प्रचलित उन पुरानी और परम्परागत कथा-कहानियों का समूह जिनका थो़ड़ा-बहुत ऐतिहासिक आधार होता है; पर जिनके रचयिता अज्ञात कवि होते हैं। (मिथ) जैसे—चीन, यूनान, या रोम के पुराण, जैन या बौद्ध पुराण। विशेष—ऐसी कथाओं में प्रायः घटनाओं मानव जाति की उत्पत्ति, सृष्टि की रचना, प्राचीन कृत्यों और सामाजिक रीति-रिवाजों के कुछ अत्युक्तिपूर्ण विवरण होते हैं, तथा देवी-देवताओं और वीर-पुरुषों के जीवन-वृत्त होते हैं। ३. भारतीय धार्मिक क्षेत्र में उक्त प्रकार के वे विशिष्ट बहुत बड़े-बड़े काव्य-ग्रंथ, जिनमें इतिहास की बहुत सी घटनाओं के साथ-साथ सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति और लय देवी-देवताओं, दानवों, ऋषि-महर्षियों, महाराजाओं, महापुरुषों आदि के गुणों तथा पराक्रमों की बहुत सी बातें, और अनेक राजवंसों की वंशावलियाँ आदि भी दी गई है, और धार्मिक दृष्टि से जिनकी गणना पाँचवें वेद के रूप में होती है। विशेष—हिंदू धर्म में कुल १८ पुराण माने गये हैं। प्रायःसभी पुराणों में शेष सभी पुराणों के नाम और श्लोक-संख्याएं थोड़े-बहुत अन्तर से दी है। पुराणों के नाम प्रायः ये है—ब्रह्म, पद्म, विष्णु, वायु अथवा शिव, लिंग अथवा नृसिंह, गरुड़, नारद, स्कंद, अग्नि, श्रीमद्भागवत अथवा देवी भागवत, मार्कण्डेय, भविष्य, ब्रह्मवैवर्त, वामन, वाराह, मत्स्य, कूर्म और ब्रह्माण्ड पुराण। साहित्यकारों के अनुसार पुराणों मे पाँच बातें होती हैं—सर्ग अर्थात् सृष्टि, प्रतिसर्ग अर्थात् प्रलय और उसके उपरांत फिर से होनेवाली सृष्टि, वंशों, मन्वन्तरों और वंशानुचरित की बातों का वर्णन; परन्तु कुछ पुराणों में इस प्रकार की बातों के सिवा राजनीति राजधर्म, प्रजा-धर्म, आयुर्वेद, व्याकरण, शस्त्र-विद्या, साहित्य अवतारों देवी-देवताओं आदि की कथाएँ तथा इसी प्रकार की और भी बहुत सी बातें मिलती हैं। धार्मिक हिंदू प्रायः विशेष भक्ति और श्रद्धा से इन पुराणों की कथाएँ सुनते हैं। साधारणतः वेद-मंत्रों के संग्रहकर्ता वेदव्यास ही इन सब पुराणों के भी रचयिता माने जाते हैं। इन १८ पुराणों के सिवा १८ उप-पुराण भी माने गये हैं। और जैन तथा बौद्ध-धर्मों में भी इस प्रकार के कुछ पुराण बने हैं। आधुनिक विद्वानों का मत है कि भिन्न-भिन्न पुराण भिन्न-भिन्न समयों में बने हैं। कुछ प्राचीन पुराणों के नष्ट हो जाने पर उनके स्थान पर उन्हीं के नाम से कुछ नये पुराण भी बने हैं। और इनमें बहुत सी बातें समय-समय पर घटती-बढ़ती रही हैं। ४. उक्त ग्रन्थों के आधार पर १८ की संख्या का वाचक शब्द। ५. शिव। ६. कार्षाषण नाम का पुराना सिक्का। |
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पुराण-कल्प :
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पुं०=पुराकल्प। (दे०) |
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पुराणग :
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पुं० [सं० पुराण√गम् (जाना)+ड] १. पुराणों की कथाएं पढ़ने अथवा पढ़कर दूसरों को सुनानेवाला पंडित या व्यास। २. ब्रह्मा। |
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पुराणता :
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स्त्री० [सं० पुराण+तल्+टाप्] १. पुराण का भाव। २. बहुत ही प्राचीन होने की अवस्था या भाव। (एन्टिक्विटी) |
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पुराण-दृष्ट :
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भू० कृ० [तृ० त०] जो पुराने लोगों द्वारा देखा और माना गया हो। |
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पुराण-पुरुष :
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पुं० [कर्म० स०] १. विष्णु। २. वृद्ध व्यक्ति। |
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पुरातत्त्व :
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पुं० [कर्म० स०] वह विद्या जिसमें मुख्यतः इतिहास पूर्वकाल की वस्तुओं के आधार पर पुराने अज्ञात इतिहास का पता लगाया जाता है। प्रत्न विज्ञान। (आर्कियॉलोजी) |
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पुरातत्त्वज्ञ :
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पुं० [सं० पुरातत्व√ज्ञा (जानना)+क] वह जो पुरातत्व विद्या का ज्ञाता हो। (आकियालाजिस्ट) |
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पुरातन :
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वि० [सं०पुरा+ट्यु—अन, तुट्] १. सब से पहले का। आद्य। २. पुराना। प्राचीन। पुं० विष्णु। |
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पुरा-तल :
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पुं० [कर्म० स०] तलातल। (दे०) |
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पुराधिप :
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पुं० [सं० पुरा-अधिप, ष० त०] पुर अर्थात् नगर का प्रधान शासनिक अधिकारी। |
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पुराध्यक्ष :
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पुं० [सं० पुर-अध्यक्ष, ष० त०] पुराधिप। |
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पुरान :
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वि०=पुराना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) पुं०=पुराण। |
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पुराना :
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वि० [सं० पुराण] [स्त्री० पुरानी] १. जो प्रस्तुत समय से बहुत पहले का हो। बहुत पूर्व या प्राचीन काल का। जैसे—पुराना जमाना, पुरानी सभ्यता। २. जिसे अस्तित्व में आये या जीवन धारण किये बहुत समय हो चुका हो। जैसे—पुराना पेड़, पुराना बुखार, पुराना मकान आदि। ३. जो बहुत दिनों का हो जाने के कारण अच्छी दशा में न रह गया हो या ठीक तरह से और पूरा काम न दे सकता हो। जीर्ण-शीर्ण। जैसे—पुराना कपड़ा, पुरानी चौकी। ४. जिसे किसी काम या बात का बहुत दिनों से अनुभव होता आय़ा हो,अथवा जो बहुत दिनों से अभ्यस्त हो रहा हो। यथेष्ट रूप में परिपक्व। जैसे—पुराना कारीगर, पुराने पंडित या विद्वान। पद—पुराना खुर्राट=बहुत बड़ा अनुभवी। पुराना घाघ=बहुत बड़ा चालाक। ५. जो किसी निश्चित या विशिष्ट काल से चला आ रहा हो। जैसे—(क) पाँच सौ वर्ष का पुराना चावल, सौ वर्ष का पुराना पेड़। ६. जो उक्त प्रकार का होने पर भी अब प्रचलित न हो। जिसका चलन अब उठ गया हो, या उठता जा रहा हो। जैसे—पुराना पहनावा, पुरानी परिपाटी या प्रथा। स० [हिं० पूरना का प्रे०] १. पूरने का काम किसी और से कराना। पूरा कराना। २. आज्ञा, निर्देश, वचन आदि का निर्वाह या पालन कराना। ३. अवकाश, गड्ढे आदि के प्रसंग में, समतल कराना। भरवाना। स० [हिं० पूरना] १. पूरा करना। २. निर्वाह या पालन करना। अ०=पूरना (पूरा होना)। |
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पुराराति :
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पुं० [सं० पुर-अराति, ष० त०] शिव। |
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पुरारि :
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पुं० [सं० पुर-अरि, ष० त०] शिव। |
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पुराल :
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पुं० [हिं०]=पयाल (धान के डंठल) धान के ऐसे डंठल, जिसमें से बीज झाड़ लिये गये हों। पद। |
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पुरा-लेख :
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पुं० [कर्म० स०] किसी प्राचीन भवन या स्मृति-चिह्र पर अंकित किया हुआ कोई ऐसा लेख जो किसी प्राचीन लिपि में अंकित हो। (एपिग्राफी) |
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पुरालेखशास्त्र :
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पुं० [ष० त०] वह शास्त्र जिसमें प्राचीन काल की लिपियाँ पढ़ने का विवेचन होता है। (एपिग्राफी) |
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पुरावती :
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स्त्री० [सं० पुर+मतु, वत्व+ङीष्, दीर्घ] एक प्राचीन नदी। (महाभारत) |
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पुरावशेष :
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पुं० [सं० पुरा-अवशेष, कर्म० स०] बहुत प्राचीन काल की चीजों के टूटे-फूटे या बचे-खुचे अंश या अवशेष जिनके आधार पर उस काल की सभ्यता, इतिहास आदि के संबंध में जानकारी प्राप्त की जाती है। (एन्टिक्विटीज) |
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पुरावसु :
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पुं० [कर्म० स०] भीष्म। |
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पुराविद् :
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वि० [सं० पुरा√विद् (जानना)+क्विप्] पुरानी अर्थात् प्राचीन काल की ऐतिहासिक सामाजिक आदि बातों को जाननेवाला। पुरातत्वज्ञ। (आर्कियालोजिस्ट) |
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पुरा-वृत्त :
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पुं० [कर्म० स०] प्राचीन काल का कोई वृत्तांत। |
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पुरासाह् :
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पुं० [सं० पुरा√सह् (सहन करना)+ण्वि] इन्द्र। |
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पुरासिनी :
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स्त्री० [सं० पुर√अस् (फेंकना)+णिनि+ङीप्] सहदेवी नाम की बूटी। |
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पुरि :
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स्त्री० [सं०√पृ+इ] १. पुरी। २. शरीर ३. नदी। पुं० १. राजा। २. दशनामी संन्यासियों में से एक। |
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पुरिखा :
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पुं०=पुरखा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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पुरिया :
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स्त्री० [हिं० पूरना] १. बाना फैलाने की नरी। २. ताना। स्त्री०=पुड़िया।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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पुरिश :
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पुं० [सं० पुरि√शी (सोना)+ड, अलुक्स] जीव। |
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पुरिष :
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पुं०=पुरीष (विष्ठा)। |
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पुरी :
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स्त्री० [सं० पुरी+ङीष्] १. छोटा पुर। नगरी। २. जगन्नाथ पुरी। ३. गढ़। दुर्ग। ४. देह। शरीर। |
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पुरीतत् :
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स्त्री० [सं० पुरी√तन् (विस्तार+क्विप्, तुक] १. हृदय के पास की एक नाड़ी। २. आँत। |
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पुरीमोह :
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पुं० [सं० पुरी√मुह् (मुग्ध होना)+णिच्+अण्] धतूरा। |
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पुरीष :
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पुं० [सं०√पृ+ईषन्, कित्] १. विष्ठा। मल। गू। २. जल। पानी। |
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पुरीषण :
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पुं० [सं० पुरी√ईष् (त्याग)+ल्युट जैसे—अन] विष्ठा। |
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पुरीषम :
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पुं० [सं० पुरीष√मा (शब्द)+क] १. मल। विष्ठा। २. गंदगी। कूड़ा। |
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पुरीष-स्थान :
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पुं० [ष० त०] मल त्याग करने का स्थान। जैसे—खुड्डी पाखाना, संडास आदि। |
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पुरीषाधान :
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पुं० [सं० पुरीष-आधान, ष० त०] मलाशय। |
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पुरीषोत्सर्ग :
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पुं० [सं० पुरी-उत्सर्ग, ष० त०] मल-त्याग। |
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पुरु :
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वि० [सं०√पृ (पालन पोषण)+कु, उत्व] बहुत अधिक। विपुल। पुं० १. देवलोक। स्वर्ग। २. एक दैत्य जिसे इन्द्र ने मारा था। ३. एक प्राचीन पर्वत। ४. फूलों का पराग। ५. देह। शरीर। ६. पुराणानुसार एक देश का नाम। ७. छठवें चन्द्रवंशी राजा, जो नहुष के पोते तथा ययाति के पुत्र थे। अपने पाँचों भाइयों में से इन्होंने अपने पिता ययाति के माँगने पर उन्हें अपना यौवन और रूप दे दिया, जिन्हें हजार वर्षों तक भोगने के बाद ययाति ने फिर इन्हें लौटा दिया था और अपने राज-सिंहासन का अधिकारी बनाया था। इन्ही के वंश में दुष्यन्त और भरत हुए थे। जिनके वंशज आगे चलकर कौरव लोग हुए। ८. पंजाब का एक प्रसिद्ध राजा जो ई० पू० ३२७ में सिकन्दर से लड़ा था। |
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पुरुकुत्स :
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पुं० [सं०] एक राजा जो मांधाता का पुत्र और मुचुकुंद का भाई था और जो नर्मदा नदी के आसपास के प्रदेश पर राज्य करता था। इसने नाग कन्या नर्मदा के साथ विवाह किया था। |
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पुरुख :
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पुं०=पुरुष। |
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पुरुजित् :
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पुं० [सं० पुरु√जि (जीतना)+क्विप्] १. कुंतिभोज का पुत्र जो अर्जुन का मामा था। २. विष्णु। |
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पुरुदंशक :
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पुं० [सं० ब० स०, कप्] हंस। |
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पुरुदंशा (शस्) :
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पुं० [सं० पुरु√दंश (काटना)+असुन्] इंद्र। |
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पुरुदस्म :
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पुं० [सं० पुरु√दस् (काटना)+मन्] विष्णु। |
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पुरुब :
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पुं०=पूर्व (दिशा या देश)। |
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पुरुभोजा (जस्) :
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पुं० [सं० पुरु√भुज् (खाना)+असुन] बादल। |
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पुरुमित्र :
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पुं० [सं०] १. एक प्राचीन राजा जिसका नाम ऋग्वेद में आया है। २. धृतराष्ट्र का एक पुत्र। |
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पुरुमीढ़ :
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पुं० [सं०] अजमीढ़ का छोटा भाई। |
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पुरुष :
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पुं० [सं०√पुर् (आगे जाना)+कुषण्] १. मानव जाति का नर प्राणी। आदमी। मर्द। (स्त्री से भिन्न) २. उक्त प्रकार का वह व्यक्ति जिसमें विशिष्ट शक्ति या सामर्थ्य हो और जो वीरता तथा साहस के काम कर सकता हो; जैसे—तुम्हें पुरुषों की तरह मैदान में आना चाहिए। ३. राज्य की ओर से सार्वजनिक कार्यों के लिए नियुक्त किया हुआ कोई अधिकारी। राज-पुरुष। ४. ऊँचाई की एक नाप जो सामान्य वयस्क मनुष्य की ऊँचाई के बराबर होती है। पुरसा। ५. शरीर में रहनेवाली आत्मा या जीव। ६. वह प्रधान सत्ता, जो सारे विश्व में आत्मा के रूप में वर्तमान है। विश्वात्मा। विशेष—सांख्यकार ने इसे आकृति से भिन्न एक ऐसा चेतन मूल तत्त्व या पदार्थ माना है, जिसमें कभी कोई परिणाम या विकार नहीं होता, और जो स्वयं कुछ भी न करने और सबसे अलग रहने पर भी प्रकृति के सान्निध्य से ही सृष्टि की उत्पत्ति करता है। ७. किसी व्यक्ति की ऊपरवाली पीढ़ी या पीढ़ियाँ। पूर्व पुरुष। पूर्वज। उदाहरण—सों सठ कोटिक पुरुष समेता। बसहिं कलप सत नरक-निकेता।—तुलसी। ८. स्त्री का पति या स्वामी। ९. व्याकरण में, वक्ता की दृष्टि से किया जानेवाला सर्वनामों का वर्गीकरण। विशेष—इसके उत्तम पुरुष, प्रथम पुरुष और मध्यम पुरुष ये तीन विभाग हैं। वक्ता अपने संबंध में जिस सर्वनाम का उपयोग करता है, वह उत्तम पुरुष कहलाता है। जैसे—मैं या हम। वह जिससे कोई बात-चीत करता है, उसके संबंध में प्रयुक्त होनेवाले विशेषण मध्यम पुरुष कहलाते हैं। जैसे—तू, तुम और आप। किसी तीसरे अनुपस्थित या दूरस्थ व्यक्ति या पदार्थ के लिए प्रयुक्त होनेवाले सर्वनामों की गणना प्रथम पुरुष में होती है। जैसे—वह या वे। कुछ वैयाकरण अँगरेजी व्याकरण के अनुकरण पर इन्हें क्रमात्, प्रथम पुरुष, द्वितीय पुरुष और तृतीय पुरुष भी कहते हैं। हमारी भाषा में इन पुरुषों का परिणाम या प्रभाव क्रिया-पदों पर भी होता है। जैसे—मैं जाता हूँ; तुम जाते हो; वह जाता है आदि। १॰. विष्णु। ११. सूर्य। १२. शिव। १३. पारा। १४. गुग्गुल। १५. पुन्नाग। १६. घोड़े का अपने पिछले दोनों पैरों पर खडा होना। पुरुषक (देखें)। वि० [सं०] १. तीखा। तेज। जैसे—पुरुष पवन। २. नर। ‘स्त्री’ का विपर्याय। जैसे—पुरुष मकर। ३. जोरदार। बलवान। |
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समानार्थी शब्द-
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पुरुषक :
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पुं० [सं० पुरुष√कै (भासित होना)+क] घोड़े की वह स्थिति जिसमें वह अपने दोनों पैर ऊपर उठाकर दोनों पिछले पैरों पर खड़ा हो जाता है। अलफ। सीख-पाँव। विशेष—लोक में इसे ‘घोडे का जमना’ कहते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
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पुरुष-कार :
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पुं० [ष० त०] १. पुरुषार्थ। पौरुष। २. उद्योग। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुष-केशरी :
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पुं० [उपमि० स०] १. सिंह के समान वीर पुरुष। बहुत बड़ा वीर। २. नृसिंह अवतार। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुष-गति :
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स्त्री० [सं० ष० त०] एक प्रकार का साम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुषध्नी :
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स्त्री० [सं० पुरुष√हन् (हिंसा)+टक्+ङीप्] पति की हत्या करनेवाली स्त्री। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुषत्व :
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पुं० [सं० पुरुष+त्व] पुरुष होने की अवस्था, गुण या भाव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुष-दंतिका :
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स्त्री० [सं० ब० स०, कप्+टाप्, इत्व] मेदा नामक जड़ी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुषदध्न :
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पुं० [सं० पुरुष+दघ्नच्]=पुरुषद्वयस्। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुषद्वयस् :
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पुं० [सं० पुरुष+द्वयसच्] ऊँचाई में पुरुष के बराबर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुष-द्विष :
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पुं० [सं० पुरुष√द्विष् (शत्रुता करना)+क्विप्] विष्णु का शत्रु। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुषद्वेषिणी :
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स्त्री० [सं० पुरुष-द्विष्+णिनि+ङीप्] अपने पति से द्वेष करनेवाली स्त्री। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुष-नक्षत्र :
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पुं० [ष० त०] हस्त, मूल, श्रवण, पुनर्वस्, मृगशिरा और पुष्य ये नक्षत्र। (ज्यो०) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुषनाय :
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पुं० [सं० पुरुष√नी (ले जाना)+अण्] १. सेनापति। २. राजा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुष-पशु :
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पुं० [उपमि० स०] पशुओं जैसा आचरण करनेवाला व्यक्ति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुष-पुंगव :
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पुं० [उपमि० स०] श्रेष्ठ पुरुष। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुष-पुंडरीक :
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पुं० [उपमि० स०] १. श्रेष्ठ पुरुष। २. जैनियों के मतानुसार नौ वासुदेवों में सातवें वासुदेव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुष-पुर :
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पुं० [ष० त०] आधुनिक पेशावर का पुराना नाम। किसी समय यह गांधार की राजधानी थी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुष-प्रेक्षा :
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स्त्री० [ष० त०] वह खेल या तमासा जो केवल पुरुषों के देखने योग्य हो, और जिसे देखना स्त्रियों के लिए वर्जित हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुषमात्र :
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वि० [सं० पुरुष+मात्रच्] मनुष्य की ऊँचाई के बराबर का। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुषमानी (निन्) :
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वि० [सं० पुरुष√मन् (समझना) +णिनि] अपने को वीर समझनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुष-मुख :
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वि० [ब० स०] [स्त्री० पुरुषमुखी] पुरुष के समान मुख वाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुष-मेध :
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पुं० [मध्य० स०] एक वैदिक यज्ञ, जिसमें पुरुष अर्थात् मनुष्य की बलि दी जाती थी। यह यज्ञ करने का अधिकार केवल ब्राह्मण और क्षत्रिय को था। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुष-राशि :
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स्त्री० [ष० त०] मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धन और कुंभ नामक विषम राशियों में से हर एक। (ज्यो०) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुष-वर :
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पुं० [स० त०] १. श्रेष्ठ पुरुष। २. विष्णु। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुषवाद :
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पुं० [सं०] प्राचीन भारत में एक नास्तिक दार्शनिक मत, जो ईश्वर को नहीं, बल्कि पुरुष और उसके पौरुष को ही सर्वप्रधान मानता था। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुषवादी :
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वि० [सं०] पुरुषवाद-संबंधी। पुं० पुरुषवाद का अनुयायी व्यक्ति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुष-वार :
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पुं० [ष० त०] रवि, मंगल, बृहस्पति और शनि इन चार वारों में हर एक। (ज्यो०) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुषवाह :
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पुं० [सं० पुरुष√वह् (ढोना)+अण्] गरूड़। पुं० [ब० स०] कुबेर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुष-व्याध्र :
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पुं० [उपमि० स०] सिंह के समान बलवाला व्यक्ति। शेर के समान पराक्रमवाला। पुरुष-सिंह। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुष-शार्दूल :
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पुं० [उपमि० स०] पुरुष-व्याध्र (दे०) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुष-शीर्ष (क) :
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पुं० [ष० त०] काठ का बना हुआ मनुष्य का सिर, जिसे चोर सेंध में यह देखते को डालते थे कि वह प्रवेश योग्य है या नहीं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुष-सिंह :
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पुं० [उपमि० स०] ऐसा व्यक्ति जो पराक्रम या वीरता के विचार से पुरुषों में सिंह के समान हो। परम वीर पुरुष। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुष-सूक्त :
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पुं० [मध्य० स०] ऋग्वेद का एक अति पवित्र तथा प्रसिद्ध माना जानेवाला सूक्त जो ‘सहस्रशीर्षा’ से आरंभ होता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुषांग :
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पुं० [पुरुष-अंग, ष० त०] पुरुष की लिगेंद्रिय। शिश्न। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुषांतर :
|
पुं० [पुरुष-अंतर, मयू० स०] अन्य व्यक्ति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुषाद :
|
पुं० [सं० पुरुष√अद् (खाना)+अण्] १. मनुष्यों को खानेवाला अर्थात् राक्षस। २. बृहत्संहिता के अनुसार एक देश जो आर्द्रा, पुनर्वसु और पुष्य के अधिकार में माना गया है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुषादक :
|
पुं० [सं० पुरुषाद+कन्] १. मनुष्यों को खानेवाला अर्थात् राक्षस। २. कल्माषपाद का एक नाम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुषाद्य :
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पुं० [पुरुष-आद्य, ष० त०] १. जिनों के प्रथम आदिनाथ। (जैन) २. विष्णु। ३. राक्षस। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुषाधम :
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पुं० [पुरुष-अधम, स० त०] अधम पुरुष। हेय व्यक्ति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुषानुक्रम :
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पुं० [पुरुष-अनुक्रम, ष० त०] [वि० पुरुषानुक्रमिक] १. पुरखों की अनेक पीढ़ियों से चली आई हुई परंपरा। २. एक के बाद एक पीढ़ी का क्रम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुषानुक्रमिक :
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वि० [पुरुष-आनुक्रमिक, ष० त०] जो पुरुषानुक्रम से चला आया हो, या चला आ रहा हो। जो पूर्वजों के समय से हर पीढी़ में होता आया हो। वंशानुक्रमिक। (हेरिडेटरी) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुषायित :
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क्रि० वि० [सं० पुरुष+क्यड०+क्त] पुरुषों या मर्दों की तरह। वीरतापूर्वक। बहादुरी से। पुं० १. वीर अथवा सुयोग्य पुरुषों का सा आचरण। २. दे० ‘पुरुषायित बंध’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुषायित-बंध :
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पुं० [कर्म० स०] कामशास्त्र के अनुसार एक प्रकार की संभोग-मुद्रा जिसमें स्त्री ऊपर और पुरुष नीचे रहता है। साहित्य में इसे विपरीत रति कहते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
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पुरुषायण :
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पुं० [पुरुष-अयन, ब० स०] प्राणादि षोडश कला (प्रश्नोपनिषद्)। |
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पुरुषायुष :
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पुं० [पुरुष-आयुस्, ष० त०, अच्] पुरुष की आयु जो सामान्यतः १॰॰ वर्षों की मानी जाती है। |
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पुरुषारथ :
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पुं०=पुरुषार्थ। |
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पुरुषार्थ :
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पुं० [पुरुष-अर्थ, ष० त०] १. वह मुख्य अर्थ उद्देश्य या प्रयोजन, जिसकी प्राप्ति या सिद्धि के लिए प्रयत्न करना पुरुष या मनुष्य के लिए आवश्यक और कर्त्तव्य हो। पुरुष के उद्देश्य और लक्ष्य का विषय़। धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति की दृष्टि से ये चार प्रकार के होते हैं। विशेष—सांख्य-दर्शन में सब प्रकार के दुःखों से छुटकारा पाने के लिए प्रयत्न करना ही परम पुरुषार्थ है। परवर्ती पौराणिकों ने धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति या सिद्धि के लिए प्रयत्न करना ही पुरुषार्थ माना है, और इसी लिए उक्त चारों बातों की गिनती उन मुख्य पदार्थों में की जाती है, जिनकी ओर सदा मनुष्य का ध्यान या लक्ष्य रहना चाहिए। २. वे सब विशिष्ट उद्योग तथा प्रयत्न जो अच्छा और सशक्त मनुष्य करता है अथवा करना अपना कर्तव्य समझता है। पुरुषकार। ३. पुरुष में होनेवाली शक्ति या सामर्थ्य। मनुष्योचित बल। पौरुष। |
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पुरुषार्थी (र्थिन्) :
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वि० [सं० पुरुषार्थ+इनि] १. पुरुषार्थ करनेवाला। २. उद्योगी। ३. परिश्रमी। ४. बली। पुं० पश्चिमी पाकिस्तान से आये हुए हिंदू और सिक्ख शरणार्थियों के लिए सम्मान-सूचक शब्द। |
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पुरुषावतार :
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पुं० [पुरुष-अवतार, ष० त०] व्यापक ब्रह्म का पुरुष या मनुष्य के रूप में होनेवाला वह अवतार जिसमें वह शुद्ध सत्व को आधार बनाकर परमधाम से इस लोक में आविर्भूत होता है। |
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पुरुषाशी (शिन्) :
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पुं० [सं० पुरुष√अश् (खाना)+ णिनि] [स्त्री० पुरुषाशिनी] मनुष्य (खानेवाला) राक्षस। |
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पुरुषी :
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स्त्री० [सं० पुरुष+ङीष्] स्त्री। |
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पुरुषोत्तम :
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[सं० पुरुष-उत्तम, स० त०] जो पुरुषों में सब से उत्तम या सर्वश्रेष्ठ हो। पुं० १. वह जो पुरुषों में सब से उत्तम या सर्व-श्रेष्ठ हो। श्रेष्ठ पुरुष। २. धर्मशास्त्र के अनुसार ऐसा निष्पाप व्यक्ति जो शत्रु और मित्र सब से उदासीन रहे। ३. विष्णु। ४. जगन्नाथ की मूर्ति। ५. जगन्नाथ का मन्दिर। ६. जैनियों के एक वासुदेव का नाम। ७. श्रीकृष्ण। ८. ईश्वर। ९. चांद्र गणना के अनुसार होनेवाला अधिक मास। मलमास। |
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पुरुषोत्तम-क्षेत्र :
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पुं० [ष० त०] जगन्नाथपुरी। |
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पुरुषोत्तम-मास :
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पुं० [ष० त०] चांद्र गणना के अनुसार होनेवाला अधिक मास। मलमास। |
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पुरुहूत :
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वि० [सं० ब० स०] १. जिसका आह्वान बहुतों ने किया हो। २. जिसकी बहुत से लोगों ने स्तुति की हो। पुं० इन्द्र। |
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समानार्थी शब्द-
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पुरु-हूति :
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स्त्री० [सं० ब० स०] दाक्षायणी। पुं० विष्णु। |
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पुरूरवा (वस्) :
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पुं० [सं० पुरु√रु (शब्द करना)+अस, दीर्घ] १. एक प्राचीन राजा जिसे ऋग्वेद में इला का पुत्र कहा गया है। ये चंद्रवंश के प्रतिष्ठाता थे। राजा पुरुरवा और उर्वशी अप्सरा की प्रेम-कथा प्रसिद्ध है। २. विश्वदेव। ३. एक देवता, जिनका पूजन पार्वण श्राद्ध में होता है। वि० अनेक प्रकार के रव या ध्वनियाँ प्रकट करनेवाला। |
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पुरेथा :
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पुं० [हिं० पूरा+हथा] हल की मूठ। |
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पुरेन :
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स्त्री० [सं० पुटकिनी] १. कमल का पत्ता। २. कमल। |
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समानार्थी शब्द-
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पुरेभा :
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स्त्री०=कुरेभा (ऐसी गाय जो वर्ष में दो बार बच्चा देती है)। |
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समानार्थी शब्द-
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पुरैन :
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स्त्री०=पुरेन। |
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समानार्थी शब्द-
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पुरैना :
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स० [हिं० पूरा] पूरा करना। उदा०—जज्ञ पूरैबो ठानि विज्ञ दैवज्ञ बुलाए।—रत्नाकर। अ०=पूरा होना। स्त्री०=पुरइन (कमल)। |
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समानार्थी शब्द-
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पुरोगंता (तृ) :
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वि०, पुं० [सं० पुरस्√गम् (जाना)+ तृच्]=पुरोगामी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरोगत :
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वि० [सं० पुरस्√गम+क्त] [भाव० पुरोगति] १. जो सामने हो। २. जो पहले गया हो। पुराना। |
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पुरोगति :
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स्त्री० [सं० पुरस्√गम्+क्तिन्] १. पुरोगत होने की अवस्था या भाव। २. अग्रगामिता। पुं० [ब० स०] कुत्ता। वि० आगे-आगे चलनेवाला। |
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पुरोगमन :
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पुं० [सं० पुरस्√गम्+ल्युट—अन] १. आगे की ओर चलना या बढ़ना। २. उन्नति, वृद्धि आदि की ओर अग्रसर या प्रवृत्त होना। (प्रोगेशन)। |
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समानार्थी शब्द-
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पुरोगामी (मिन्) :
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वि० [सं० पुरस्√गम्+णिनि] १. आगे आगे चलनेवाला। अगुआ। अग्रगामी। (पायोनियर) २. बराबर उन्नति करता और आगे बढ़ता हुआ। ३. किसी विषय में उदार विचार रखने और अग्रसर रहनेवाला। (प्रोग्रेसिव) पुं० १. नायक। २. अग्रदूत। ३. कुत्ता। |
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पुरोचन :
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पुं० [सं०] दुर्योधन का एक मित्र, जो पांडवों को लाक्षागृह में जलाने के लिए नियुक्त किया गया था। |
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समानार्थी शब्द-
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पुरोजव :
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वि० [सं० पुरस्-जव, ब० स०] १. जिसके सामनेवाले भाग में वेग हो। २. आगे बढानेवाला। पुं० पुराणानुसार पुष्कर द्वीप के सात खंडों में से एक खंड। |
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पुरोडा :
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पुं० [सं० पुरस्√दाश् (दान)+घञ्, डत्व] १. जौ के आटे की बनी हुई वह टिकिया जो कपाल में पकाई जाती थी। यज्ञों में इसमें से टुकड़ा काटकर देवताओं के लिए मंत्र पढ़कर आहुति दी जाती थी। २. उक्त आहुति देने के समय पढ़ा जानेवाला मंत्र। ३. उक्त का वह अंश जो हवि देने के बाद बच रहता था। ४. यज्ञ में दी जानेवाली आहुति या हवि। ५. सोमरस। |
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समानार्थी शब्द-
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पुरोत्सव :
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पुं० [सं० पुर-उत्सव, मध्य० स०] पूरे पुर या नगर में सामूहिक रूप से मनाया जानेवाला उत्सव। |
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समानार्थी शब्द-
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पुरोदर्शन :
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पुं० [सं० पुरस्-दर्शन, ब० स०] १. सामने की ओर से दिखाई देनेवाला रूप। २. वास्तु-रचना का वह चित्र, जो उसके सामनेवाले भाग के स्वरूप का परिचायक हो। (फ्रंट एलिवेशन)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरोद्भवा :
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स्त्री० [सं० पुर√उद्√भू (उत्पन्न होना)+अच्+टाप्] महामेदा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरोद्यान :
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पुं० [सं० पुर-उद्यान, ष० त०] पुर या नगर का मुख्य उद्यान या बाग। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरोध :
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पुं०=पुरोधा। |
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समानार्थी शब्द-
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पुरोवा (धस्) :
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पुं० [सं० पुरस्√धा (धारण)+असि] पुरोहित। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरोधानीय :
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पुं० [सं० पुरस√धा+अनीयर्] पुरोहित। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरोनुवाक्या :
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स्त्री० [सं० पुरस्-अनुवाक्या, स० त०] १. यज्ञों की तीन प्रकार की आहुतियों में से एक। २. उक्त आहुति के समय पढ़ी जानेवाली ऋचा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरोभाग :
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पुं० [सं० पुरस्√भज्+घञ्] १. अग्रभाग। अगला हिस्सा। २. दोष निकालने या बतलाने की क्रिया। |
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समानार्थी शब्द-
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पुरोभागी (गिन्) :
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वि० [सं० पुरस√भज्+णिनि] [स्त्री० पुरोभागिनी] १. आगे की ओर रहने या होनेवाला। अग्र भाग का। २. जो गुणों को छोड़कर केवल दोष देखता हो। छिद्रान्वेषी दोषदर्शी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरोरवस :
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पुं० [सं०=पुरुवस्, पृषो० सिद्धि] =पुरूरवा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरोवात :
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पुं० [सं० पुरस्-वात, मध्य० स०] पूर्व दिशा से आनेवाली हवा। पुरवा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरोवाद :
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पुं० [सं० पुरस्-वाद, कर्म० स०] पूर्व कथन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरोहित :
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वि० [सं० पुरस्√धा+क्त,हि—आदेश] १. आगे या सामने रखा हुआ। २. किसी काम या बात के लिए नियुक्त किया हुआ। पुं० [स्त्री० पुरोहितानी] १. प्राचीन भारत में वह प्रधान याचक, जो अन्य याचकों का नेता बनकर यजमान से गृह-कर्म, श्रौत-कर्म, तथा धार्मिक संस्कार आदि कराता था। २. आज-कल कर्मकांड आदि जाननेवाला वह ब्राह्मण, जो अपने यजमान के यहाँ मुंडन, यज्ञोपवीत, विवाह आदि संस्कार कराता तथा अन्य अवसरों पर उनसे दान, दक्षिणा आदि लेता है। ३. साधारण लोक-व्यवहार में, किसी जाति या धर्म का वह व्यक्ति, जो दूसरों से धार्मिक कृत्य, संस्कार आदि कराता हो। (प्रीस्ट) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरोहित-तंत्र :
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पुं० [ष० त०] ऐसा तंत्र या शासन प्रणाली जिसमें पुरोहितों के मत का ही प्राधान्य हो। (हायरार्की) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरोहिताई :
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स्त्री० [सं० पुरोहित+आई (प्रत्य०)] पुरोहित का काम, पद या भाव। यजमानों को धार्मिक कृत्य आदि कराने का काम या वृत्ति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरोहितानी :
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स्त्री० [सं० पुरोहित] पुरोहित की स्त्री। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरोहिती :
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वि० [हिं० पुरोहित] पुरोहित-सम्बन्धी। पुरोहित का। स्त्री०=पुरोहिताई। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरौ :
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पुं०=पुरवट।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरौती :
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स्त्री० [हिं० पुरवना=पूरा करना] कमी पूरी करना। पूर्ति।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरौनी :
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स्त्री० [हिं० पूरना=पूरा करना] १. पूरा करना। २. समाप्ति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर्जा :
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पुं०=पुरजा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर्त्तगाल :
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पुं० [अं०] योरप के दक्षिण पश्चिम कोने पर पड़नेवाला एक छोटा प्रदेश, जो स्पेन से लगा हुआ है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर्त्तगाली :
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वि० [हिं० पुर्त्तगाल] १. पुर्तगाल देश संबंधी। पुर्त्तगाल का। पुं० पुर्त्तगाल देश का निवासी। स्त्री० पुर्त्तगाल देश की भाषा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर्तगीज :
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वि०=पुर्त्तगाली। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर्वला :
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वि० [हिं० पुरवला] १. पहले का। २. पूर्व जन्म का |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर्सा :
|
पुं०=पुरसा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर्सी :
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स्त्री० [फा०] पुरसी। (दे०) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुख :
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पुं०=पूरुष (पुरुष)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरंजन :
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पुं० [सं० पुर√जन् (उत्पन्न करना)+ख, मुम्] जीवात्मा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरंजनी :
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स्त्री० [सं० पुरंजन+ङीष्] बुद्धि। समझ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरंजय :
|
वि० [सं० पुर√जि (जीतना)+खच्, मुम्] पुर को जीतनेवाला। पुं० एक सूर्यवंशी राजा जिसका दूसरा नाम काकुत्स्थ था। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरंजर :
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स्त्री० [सं०] काँख। बगल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरंदर :
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वि० [सं० पुर√दृ (तोड़ना, फाड़ना)+खच्, मुम्] पुर (नगर या घर) को तोड़नेवाला। पुं० १. इंद्र। २. चोर। ३. चव्य। चाब। ४. मिर्च। ५. ज्येष्ठा नक्षत्र। ६. विष्णु। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरंदरा :
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स्त्री० [सं० पुरंदर+टाप्] गंगा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरंध्री :
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स्त्री० [सं० पुर√भृ (पालन करना)+खच्+ङीष्] १. ऐसी सौभाग्यवती स्त्री जिसके आगे पति पुत्र और कन्याएँ हों। २. स्त्री। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरः (रस्) :
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अव्य० [सं० पूर्व+असि, पुर्-आदेश] १. काल, दिशा आदि के विचार से आगे या सामने। समझ। २. किसी के पहले या पूर्व। ३. पूर्व दिशा का। पूर्वी। ४. पूर्व की ओर उन्मुख। विशेष—पुरस्कार, पुराक्रिया, पुरस्कृत, पुरस्सर आदि शब्दों में उनके पहले इसका उक्त पुरस् रूप ही सम्मिलित रहता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरःदत्त :
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वि० [सं० पुरोदत्त] (परिव्यय या शुल्क) पहले से किया हुआ। जो पहले दिया गया हो। (प्रीपेड) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरःदान :
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पुं० [सं० पुरोदान] [भू० कृ० पुरःदत्त] (देन, परिव्यय, शुल्क आदि) नियत समय से पहले ही चुकाना या दे देना। (प्री-पेमेन्ट) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरःप्रत्यय :
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पुं० [सं० मध्य० स०] व्याकरण में ऐसा प्रत्यय जो किसी शब्द के पहले लगकर उसके अर्थ में कोई विशेषता उत्पन्न करता है। जैसे— ‘अनुगत’ में का ‘अनु’ पुरःप्रत्यय है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरःसंगी :
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वि० [सं०] किसी कार्य, तथ्य या विषय में, उससे पहले सम्बद्ध या सहायक रूप मे आने, होने या साथ रहनेवाला। (एक्सेसरी बिफोर दी फैक्ट) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरःसर :
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वि० [सं० पुरस्√सृ (गति)+ट] १. मिला हुआ। युक्त। २. संग या साथ रहने या होनेवाला। पुं० १. आगे-आगे चलनेवाला। २. अगुआ। नेता। ३. संगी। साथी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर :
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वि० [सं०√पुर् (आगे जाना)+क] भरा हुआ। पुं० [स्त्री० अल्पा० पुरी] १. वह बड़ी बस्ती जिसमें बड़ी बड़ी इमारतें भी हों। गाँव से बड़ी परन्तु नगर से छोटी बस्ती। विशेष—प्राचीन काल में पुर का क्षेत्रफल एक कोस से अधिक होता था और उसके चारों ओर खाई होती थी। २. घर। मकान। ३. अटारी। कोठा। ४. भुवन। लोक। ५. नक्षत्रों का पुंज राशि। ६. देह। शरीर। ७. कुएँ से पानी खींचने का मोट।—चरसा। ८. मोथा। ९. पीली कसरैया। १॰. गुग्गुल। ११. किला। गढ़। दुर्ग। १२. चोगे की तरह का एक प्रकार का पुराना पहनावा। अव्य० [सं० पुरः] आगे। सामने। उदा०—स्वान। निशंक कहौ पुर मेरे।—केशव। पुं०=पुरवट (लखनऊ) मुहा०—पुर लेना=पानी से भरा हुआ पुरवट खींचकर उसका पानी नाली में गिराना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरइन :
|
स्त्री० [सं० पुटकिनी, प्रा० पुड़इनी=कमलिनी, पुं० हिं० पुरइनि] १. कमल का पत्ता। २. कमल। ३. जरायु। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरउना :
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स०=पुरवना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरउबि :
|
स० [सं० पूर्ण] पूरा कीजिएगा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर-कायस्थ :
|
पुं० [सं० ष० त०] प्राचीन भारत में पुर (या नगर) का वह अधिकारी जिसके पास मुख्य लेखों, दस्तावेजों आदि की नकलें रहती थीं। (इसका पद प्रायः आज-कल के रजिस्ट्रार के पद के समान होता था।) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर-कोट्ट :
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पुं० [ष० त०] नगर का रक्षा के लिए बनाया हुआ दुर्ग। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरखा :
|
पुं० [सं० पुरुष] [स्त्री० पुराविन] १. पूर्वज। मुहा०—पुरखे तर जाना=पूर्व पुरुषों को (पुत्र आदि के कृत्यों से) पर लोक में उत्तम गति प्राप्त होना। बहुत बड़ा पुण्य या उसका फल होना। कृत्य कृत्य होना। जैसे—उनके आने से तुम क्या, तुम्हारे पुरखे भी तर जायँगे। २. सयाना और वृद्ध व्यक्ति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरग :
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वि० [पुर√गम् (जाना)+ड] १. नगरगामी। २. जिसकी मनोवृत्ति अनुकूल हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरगुर :
|
पुं० [देश०] एक प्रकार का पेड़ जिसकी लकड़ी, खिलौने, हल आदि बनाने के काम आती है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरचक :
|
स्त्री० [हिं० पुचकार] १. चुमकार। पुचकार। २. बढ़ावा। प्रेरणा। क्रि० प्र०—देना। ३. पृष्टपेषण। ४. समर्थन हिमायत। क्रि० प्र०—देना।—लेना। ५. बुरा अभ्यास या परिपाटी। (पश्चिम) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर-जन :
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पुं० [ष० त०] पुर या नगर के रहनेवाले लोग। पुरवासी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरजा :
|
पुं० [फा० पुर्जः] १. टुकड़ा। खंड। मुहा०—पुरजे पुरजे उड़ाना या करना=कागज, पत्र आदि को फाड़कर उसके अनेक छोटे-छोटे टुकड़े कर देना। २. काटकर निकाला हुआ टुकड़ा। कतरन। धज्जी। ३. कागज के टुकड़े पर लिखी हुई बात या सूचना। ४. किसी के हस्ते भेजी जाने वाली चिट्टी। ५. किसी बड़े यंत्र का कोई अंग, अंश या खंड। जैसे—घड़ी के कई पुरजे खराब हो गये हैं। पद—चलता पुरजा=बहुत बड़ा चालाक। मुहा०—(किसी के दिमाग का) पुरजा ढीला होना=कुछ खबती, झक्की या सनकी होना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरजित् :
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पुं० [सं० पुर√जि (जीतना)+क्विप्] १. शिव। २. कृष्ण का एक पुत्र जो जांबवती के गर्भ से उत्पन्न हुआ था। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरट :
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पुं० [सं०√पुर्+अटन्] सुवर्ण। सोना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरण :
|
पुं० [सं०√पृ+क्यु—अन] समुद्र। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरतः (तस्) :
|
अव्य० [सं० पुर+तस्] आगे। सामने। उदा०—पुरुतो में प्रेषितम् पत्र।—प्रिथीराज। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर-तटी :
|
स्त्री० [मध्य० स०] छोटा बाजार। हाट। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर-तोरण :
|
पुं० [ष० त०] नगर का बाहरी दरवाजा या मुख्य-द्वार। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर-त्राण :
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वि० [ब० स०] पुर की रक्षा करनेवाला। पुं० परकोटा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर-देव :
|
पुं०=नगर देवता। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर-द्वार :
|
पुं० [ष० त०] पुर का मुख्य द्वार। नगर का मुख्य फाटक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरद्विट (ष्) :
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पुं० [ष० त०] शिव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरना :
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अ० [हिं० पूरा] १. पूरा या पूर्ण होना। २. यथेष्ट मात्रा या मान में प्राप्त होना। उदा०—पुरती न जो पै मोर-चंद्रिका किरीटकाज, जुरती कहा न काँच किरचै कुमाय की।—रत्नाकर। ३. समाप्त होना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर-नारी :
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स्त्री० [ष० त०] नगर-नारी। रंडी। वेश्या। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर-निवेश :
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पुं० [ष० त०] पुर या नगर बनाना और बसाना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर-निवेशन :
|
पुं० [ष० त०] पुर या नगर बसाने का कार्य। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरनी :
|
स्त्री० [हिं० पूरना=भरना] १. अँगूठे में पहनने का छल्ला। २. तुरही। ३. बंदूक की नली साफ करने का कागज। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर-पक्षी (क्षिन्) :
|
पुं० [ष० त०] १. पुर या नगर में रहनेवाला पक्षी। २. पालतू पक्षी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरपाल :
|
पुं० [सं० पुर√पाल् (रक्षा)+णिच्+अच्] १. पुर या नगर का प्रधान अधिकारी। २. कोतवाल। ३. आत्मा। जीव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरबला :
|
वि० [सं० पूर्व+हिला (प्रत्य०)] [स्त्री० पुरबली] १. पूर्व का। पहले का। २. पूर्व जन्म का। पिछले जन्म का। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरबा :
|
वि०=पुरवा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरबिया :
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वि० [हिं० पूरब] [स्त्री० पुरबिनी] १. पूर्व देश में उत्पन्न या रहनेवाला परब का। २. पूर्व दिशा से आनेवाला। जैसे—पुरबिया हवा। पुं० पूर्वी देश का निवासी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरबिहा :
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वि०, पुं०=पुरबिया।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरबी :
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वि०=पूरबी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरभिद् :
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पुं० [सं० पुर√भिद् (विदीर्ण करना)+क्विप्] पुर (त्रिपुर) का भेदन करनेवाले, शिव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरमथन :
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पुं० [ष० त०] शिव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर-मथिता (तृ) :
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पुं० [सं०] शिव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर-मार्ग :
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पुं० [ष० त०] १. पुर या नगर की ओर जानेवाला रास्ता। २. शहर की सड़क। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर-रक्षी :
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पुं०=पुर-रक्षक। |
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समानार्थी शब्द-
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पुर-रक्षा :
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पुं० [ष० त०] नगर या रक्षा करनेवाला कर्मचारी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर-रक्षा (क्षिन्) :
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पुं० [ष० त०]=पुर-रक्षक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर-रोध :
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पुं० [ष० त०] शत्रु के नगर को घेरा डालना। चारों ओर से घेरना। |
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समानार्थी शब्द-
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पुरला :
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स्त्री० [सं०√पुर्+कलच्+टाप्] दुर्गा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर-लोक :
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पुं० [ष० त०]=पुरजन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरवइया :
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स्त्री०=पुरवाई।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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पुरवट :
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पुं० [सं० पूर] चमड़े का एक तरह का बड़ा उपकरण या डोल जिससे सिंचाई के लिए कुओं से पानी निकालते हैं। चरसा। मोट। क्रि० प्र०—खींचना।—चलना।—चलाना। मुहा०—पुरवट नाधना= पुरवट चलाने के लिए उसमें बैल जोतना। |
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उपलब्ध नहीं |
पुर-वधू :
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स्त्री० [ष० त०] वेश्या। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरवना :
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स० [हिं० पूरना का प्रेर०] १. पूर्ण या पूरा करना। जैसे—मनोरथ पुरवना। मुहा०—साथ पुरवना=अन्त तक या पूरी तरह से साथ देना। २. इच्छा, कामना, प्रतिज्ञा आदि पूरी करना। उदा०—जन प्रहलाद प्रतिज्ञा पुरई सखा बिप्र दरिद्र हयौ।—सूर। अ० १. पूरा या पूर्ण होना। २. पूरा पड़ना। यथेष्ट होना। ३. पूर्ति होना। कमी दूर होना। |
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समानार्थी शब्द-
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पुर-वर :
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पुं० [स० त०] १. अच्छा और बढ़िया या श्रेष्ठ नगर। २. राजनगर। राजधानी। |
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समानार्थी शब्द-
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पुरवा :
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पुं० [सं० पुर] छोटा गाँव। पुरा। खेडा। वि० [सं० पूव] पूर्व दिशा का। पुं० [सं० पूर्व+वात] १. पूर्व की ओर से आने या चलनेवाली हवा। पुरवाई। २. उक्त वायु के चलने पर पशुओं को होनेवाला एक रोग, जिसमें उनका गला और पेट फूल जाता है। पुं० [सं० पुटक] मिट्टी का एक प्रकार का छोटा बरतन जिसमें पानी, दूध, शराब आदि पीते हैं। कुल्हड़। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरवाई :
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स्त्री० [सं० पूर्व+वायु, हिं० पूरब+बाई] पूर्व की वायु। वह वायु जो पूर्व दिशा से आती हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरवाना :
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स० [हिं० पुरवना का प्रे०] पूरा कराना। |
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समानार्थी शब्द-
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पुरवासी (सिन्) :
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पुं० [सं० पुर√वस् (बसना)+णिनि] पुर या नगर का रहनेवाला। नागरिक। |
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समानार्थी शब्द-
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पुर-वास्तु :
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पुं० [ष० त०] वह भूमि या स्थान जहाँ नगर अच्छी तरह बनाया या बसाया जा सकता हो। |
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समानार्थी शब्द-
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पुरवैया :
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स्त्री०=पुरवाई। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर-शासन :
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पुं० [सं० पुर√शास् (शासन करना)+ल्यु—अन] १. दैत्यों के त्रिपुर का ध्वंस करनेवाले शिव। २. विष्णु। |
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समानार्थी शब्द-
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पुरश्चरण :
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पुं० [सं० पुरस्√चर् (गति)+ल्युट्—अन] १. किसी कार्य की सिद्धि के लिए पहले से ही उपाय सोचना और उसका अनुष्ठान करना। किसी काम की पहले से की जानेवाली तैयारी। २. किसी विशिष्ट उद्देश्य की सिद्धि के लिए नियम और विधान पूर्वक कुछ निश्चित समय तक किया जानेवाला तांत्रिक पूजा-पाठ। तांत्रिक प्रयोग। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरश्चर्या :
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स्त्री० [सं० पुरस्√चर्+क्यप्+टाप्] पुरश्चरण। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरश्छद :
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पुं० [सं० पुरस्√छद (ढंकना)+णिच्,+घ, ह्रस्व] कुश या डाभ की तरह की एक घास। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरषा :
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पुं०=पुरखा (पूर्व पुरुष)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरस :
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पुं० [सं० पुरीष] खाद। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरसाँ :
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वि० [फा० पुसाँ] पूछने या खोज-खबर लेनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरसा :
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पुं० [सं० पुरुष] ऊँचाई या गहराई नापने की एक नाप जो उतनी ऊँची होती है जितना ऊँचा हाथ ऊपर उठाकर खड़ा हुआ साधारण मनुष्य होता है। लगभग साढ़े चार या पाँच हाथ की एक माप। जैसे—यह कुआँ या नदी चार पुरसा गहरी है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरसी :
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स्त्री० [फा०] समस्त पदों के अंत में, जानने के लिए कुछ पूछने की क्रिया या भाव। जैसे—मातम-पुरसी, मिजाज-पुरसी आदि। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरस्कार :
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पुं० [सं० पुरस्√कृ (करना)+घञ्] [भू० कृ० पुरस्कृत] १. आगे करने की क्रिया। २. आदर। पूजा। ३. प्रधानता। ४. स्वीकार। ५. अच्छी तरह कोई बड़ा और कठिन काम करने पर उसके कर्ता को आदर या सत्कार के रूप में दिया जानेवाला धन या पदार्थ। इनाम (प्राइज)। क्रि० प्र०—देना।—पाना। |
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समानार्थी शब्द-
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पुरस्कृत :
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भू० कृ० [सं० पुरस्√कृ+क्त] १. आगे किया हुआ। २. पूजित। ३. स्वीकृत। ४. जिसे पुरस्कार मिला हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरस्तात् :
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अव्य० [सं० पूर्व+अस्ताति, पुर-आदेश] १. आगे। सामने। २. पूर्व दिशा में। ३. पूर्व काल में। ४. आरंभ में। |
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समानार्थी शब्द-
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पुरस्सर :
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वि०=पुरः सर। |
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समानार्थी शब्द-
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पुरहँड़ :
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पुं० [सं० पुरोघट या पूर्णघट] मंगलकलश।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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पुरहत् :
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पुं० [सं० पुरः-अक्षत] वह अन्न और द्रव्य जो विवाह आदि मंगल कार्यों में पुरोहित और नेगियों को कृत्य करने के प्रारंभ में दिया जाता है। आखत। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरहन् :
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पुं० [सं०पुर√हन्(हिंसा)+क्विप्] १. विष्णु। २. शिव। |
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उपलब्ध नहीं |
पुरहर :
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पुं० [सं० पूर्ण-भर] मांगलिक पात्र। मंगलघट। उदा०—धवल कमल फुल पुरहर भेल।—विद्यापति। वि०=पूरा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरहा :
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पुं० [सं०] १. शिव। २. विष्णु। पुं० [हिं० पुर] वह व्यक्ति जो खेतों की नालियों में पुरवट का पानी गिराता हो। (पूरब) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरही :
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स्त्री० [?] एक प्रकार की झाड़ी जिसकी पत्तियाँ और जड़े औषध के काम आती है। हर-जेवड़ी। |
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समानार्थी शब्द-
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पुरहूत :
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वि०, पुं०=पुरुहूत। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरांगना :
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स्त्री० [सं० पुर-अगना, ष० त०] नगर में रहनेवाली स्त्री। नगर-निवासिनी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरांतक :
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पुं० [सं० पुर-अंतक, ष० त०] शिव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरा :
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अव्य० [सं०√पुर (अग्रगति)+का] १. पुराने समय में। पूर्व या प्राचीन काल में। २. अब तक। ३. थोड़े समय में। वि० समस्त पदों के आरंभ में विशेषण के रूप में लगकर यह पुराना या प्राचीन का अर्थ देता है। जैसे—पुराकल्प, पुरावृत्त। स्त्री० १. पूर्व दिशा। पूरब। २. मुरा नामक गंध द्रव्य। ३. छोटी बस्ती। गाँव। |
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समानार्थी शब्द-
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पुराई :
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स्त्री० [हिं० पूरना-भरना] १. पूरा करने की क्रिया या भाव। २. पुरवट आदि के द्वारा खेतों में पानी देने की क्रिया। सिंचाई। क्रि० प्र०—चलना। ३. उक्त का पारिश्रमिक या मजदूरी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरा-कथा :
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स्त्री० [कर्म० स०] १. प्राचीन काल की बातें। २. इतिहास। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुराकल्प :
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पुं० [कर्म० स०] १. पूर्व कल्प। पहले का कल्प। २. प्राचीन इतिहास युग। ३. एक प्रकार का अर्थवाद जिसमें प्राचीन काल का कहकर किसी विधि के करने की ओर प्रवृत्त किया जाय। जैसे—ब्राह्मणों ने इससे हविः पवमान सामस्तोम की स्तुति की थी। ४. आधुनिक भू० विज्ञान के अनुसार उत्तर पाँच कल्पों में से तीसरा कल्प, जिसमें पृथ्वी तल पर जगह-जगह छिछले समुद्र बनने लगे थे; खूब बाढ़े आती थीं, मछलियाँ सरीसृप और कीड़े-मकोड़े उत्पन्न होने लगे थे, और कुछ विशिष्ट प्रकार के बहुत बड़े-बड़े वृक्ष होते थे। यह कल्प प्रायः बीस से पचास करोड़ वर्ष पहले हुआ था। पुराजीवकाल। (पेलियो जोइक एरा) विशेष—शेष चार कल्प ये हैं—आदि कल्प, उत्तर कल्प, मध्य कल्प और नवकल्प। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुराकालीन :
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वि० [सं० पुरा-काल, कर्म० स०,+ख—ईन] १. प्राचीन काल का। बहुत पुराना। २. इतना अधिक पुराना कि जिसका प्रचलन, प्रयोग या व्यवहार बहुत दिन पहले से उठ गया हो। बहुत पुराने जमाने का। (एन्टीक) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुराकृत :
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भू० कृ० [सं० स० त०] १. पूर्व काल में किया हुआ। २. पूर्वजन्म में किया हुआ। पुं० पूर्वजन्म में किये हुए वे भले और बुरे काम जिनका फल दूसरे जन्म में भोगना पड़ता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरा-कोश :
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पुं० [सं० कर्म० स०] ऐसा शब्दकोश जिसमें प्राचीन भाषाओं के अथवा बहुत पुराने शब्दों का विवेचन होता है। निघण्टु। (लेक्सिकन) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुराग :
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वि० [सं० पुरा√गम् (जाना)+ड] पूर्वगामी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुराचीन :
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वि० १.=पुराकालीन। २.=प्राचीन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुराजीव :
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पुं०=जीवाश्म। (देखें) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुराजीवकाल :
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पुं०=पुराकाल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुराजैविकी :
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स्त्री०=जीवाश्म विज्ञान। (देखें) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुराण :
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वि० [सं० पुरा√टयु—अन] [भाव० पुराणता] १. बहुत प्राचीन काल का। बहुत पुराना। पुरातन। जैसे—पुराण पुरुष। २. बहुत अधिक अवस्था या वय वाला। वृद्ध। बुड्ढा। ३. जो पुराना होने के कारण जीर्ण-शीर्ण हो गया हो। पुं० १. बहुत पुरानी घटना या उसका वृत्तांत। २. प्रायः सभी प्राचीन जातियों, देशों और धर्मों में प्रचलित उन पुरानी और परम्परागत कथा-कहानियों का समूह जिनका थो़ड़ा-बहुत ऐतिहासिक आधार होता है; पर जिनके रचयिता अज्ञात कवि होते हैं। (मिथ) जैसे—चीन, यूनान, या रोम के पुराण, जैन या बौद्ध पुराण। विशेष—ऐसी कथाओं में प्रायः घटनाओं मानव जाति की उत्पत्ति, सृष्टि की रचना, प्राचीन कृत्यों और सामाजिक रीति-रिवाजों के कुछ अत्युक्तिपूर्ण विवरण होते हैं, तथा देवी-देवताओं और वीर-पुरुषों के जीवन-वृत्त होते हैं। ३. भारतीय धार्मिक क्षेत्र में उक्त प्रकार के वे विशिष्ट बहुत बड़े-बड़े काव्य-ग्रंथ, जिनमें इतिहास की बहुत सी घटनाओं के साथ-साथ सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति और लय देवी-देवताओं, दानवों, ऋषि-महर्षियों, महाराजाओं, महापुरुषों आदि के गुणों तथा पराक्रमों की बहुत सी बातें, और अनेक राजवंसों की वंशावलियाँ आदि भी दी गई है, और धार्मिक दृष्टि से जिनकी गणना पाँचवें वेद के रूप में होती है। विशेष—हिंदू धर्म में कुल १८ पुराण माने गये हैं। प्रायःसभी पुराणों में शेष सभी पुराणों के नाम और श्लोक-संख्याएं थोड़े-बहुत अन्तर से दी है। पुराणों के नाम प्रायः ये है—ब्रह्म, पद्म, विष्णु, वायु अथवा शिव, लिंग अथवा नृसिंह, गरुड़, नारद, स्कंद, अग्नि, श्रीमद्भागवत अथवा देवी भागवत, मार्कण्डेय, भविष्य, ब्रह्मवैवर्त, वामन, वाराह, मत्स्य, कूर्म और ब्रह्माण्ड पुराण। साहित्यकारों के अनुसार पुराणों मे पाँच बातें होती हैं—सर्ग अर्थात् सृष्टि, प्रतिसर्ग अर्थात् प्रलय और उसके उपरांत फिर से होनेवाली सृष्टि, वंशों, मन्वन्तरों और वंशानुचरित की बातों का वर्णन; परन्तु कुछ पुराणों में इस प्रकार की बातों के सिवा राजनीति राजधर्म, प्रजा-धर्म, आयुर्वेद, व्याकरण, शस्त्र-विद्या, साहित्य अवतारों देवी-देवताओं आदि की कथाएँ तथा इसी प्रकार की और भी बहुत सी बातें मिलती हैं। धार्मिक हिंदू प्रायः विशेष भक्ति और श्रद्धा से इन पुराणों की कथाएँ सुनते हैं। साधारणतः वेद-मंत्रों के संग्रहकर्ता वेदव्यास ही इन सब पुराणों के भी रचयिता माने जाते हैं। इन १८ पुराणों के सिवा १८ उप-पुराण भी माने गये हैं। और जैन तथा बौद्ध-धर्मों में भी इस प्रकार के कुछ पुराण बने हैं। आधुनिक विद्वानों का मत है कि भिन्न-भिन्न पुराण भिन्न-भिन्न समयों में बने हैं। कुछ प्राचीन पुराणों के नष्ट हो जाने पर उनके स्थान पर उन्हीं के नाम से कुछ नये पुराण भी बने हैं। और इनमें बहुत सी बातें समय-समय पर घटती-बढ़ती रही हैं। ४. उक्त ग्रन्थों के आधार पर १८ की संख्या का वाचक शब्द। ५. शिव। ६. कार्षाषण नाम का पुराना सिक्का। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुराण-कल्प :
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पुं०=पुराकल्प। (दे०) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुराणग :
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पुं० [सं० पुराण√गम् (जाना)+ड] १. पुराणों की कथाएं पढ़ने अथवा पढ़कर दूसरों को सुनानेवाला पंडित या व्यास। २. ब्रह्मा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुराणता :
|
स्त्री० [सं० पुराण+तल्+टाप्] १. पुराण का भाव। २. बहुत ही प्राचीन होने की अवस्था या भाव। (एन्टिक्विटी) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुराण-दृष्ट :
|
भू० कृ० [तृ० त०] जो पुराने लोगों द्वारा देखा और माना गया हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुराण-पुरुष :
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पुं० [कर्म० स०] १. विष्णु। २. वृद्ध व्यक्ति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरातत्त्व :
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पुं० [कर्म० स०] वह विद्या जिसमें मुख्यतः इतिहास पूर्वकाल की वस्तुओं के आधार पर पुराने अज्ञात इतिहास का पता लगाया जाता है। प्रत्न विज्ञान। (आर्कियॉलोजी) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरातत्त्वज्ञ :
|
पुं० [सं० पुरातत्व√ज्ञा (जानना)+क] वह जो पुरातत्व विद्या का ज्ञाता हो। (आकियालाजिस्ट) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरातन :
|
वि० [सं०पुरा+ट्यु—अन, तुट्] १. सब से पहले का। आद्य। २. पुराना। प्राचीन। पुं० विष्णु। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरा-तल :
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पुं० [कर्म० स०] तलातल। (दे०) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुराधिप :
|
पुं० [सं० पुरा-अधिप, ष० त०] पुर अर्थात् नगर का प्रधान शासनिक अधिकारी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुराध्यक्ष :
|
पुं० [सं० पुर-अध्यक्ष, ष० त०] पुराधिप। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरान :
|
वि०=पुराना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) पुं०=पुराण। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुराना :
|
वि० [सं० पुराण] [स्त्री० पुरानी] १. जो प्रस्तुत समय से बहुत पहले का हो। बहुत पूर्व या प्राचीन काल का। जैसे—पुराना जमाना, पुरानी सभ्यता। २. जिसे अस्तित्व में आये या जीवन धारण किये बहुत समय हो चुका हो। जैसे—पुराना पेड़, पुराना बुखार, पुराना मकान आदि। ३. जो बहुत दिनों का हो जाने के कारण अच्छी दशा में न रह गया हो या ठीक तरह से और पूरा काम न दे सकता हो। जीर्ण-शीर्ण। जैसे—पुराना कपड़ा, पुरानी चौकी। ४. जिसे किसी काम या बात का बहुत दिनों से अनुभव होता आय़ा हो,अथवा जो बहुत दिनों से अभ्यस्त हो रहा हो। यथेष्ट रूप में परिपक्व। जैसे—पुराना कारीगर, पुराने पंडित या विद्वान। पद—पुराना खुर्राट=बहुत बड़ा अनुभवी। पुराना घाघ=बहुत बड़ा चालाक। ५. जो किसी निश्चित या विशिष्ट काल से चला आ रहा हो। जैसे—(क) पाँच सौ वर्ष का पुराना चावल, सौ वर्ष का पुराना पेड़। ६. जो उक्त प्रकार का होने पर भी अब प्रचलित न हो। जिसका चलन अब उठ गया हो, या उठता जा रहा हो। जैसे—पुराना पहनावा, पुरानी परिपाटी या प्रथा। स० [हिं० पूरना का प्रे०] १. पूरने का काम किसी और से कराना। पूरा कराना। २. आज्ञा, निर्देश, वचन आदि का निर्वाह या पालन कराना। ३. अवकाश, गड्ढे आदि के प्रसंग में, समतल कराना। भरवाना। स० [हिं० पूरना] १. पूरा करना। २. निर्वाह या पालन करना। अ०=पूरना (पूरा होना)। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुराराति :
|
पुं० [सं० पुर-अराति, ष० त०] शिव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरारि :
|
पुं० [सं० पुर-अरि, ष० त०] शिव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुराल :
|
पुं० [हिं०]=पयाल (धान के डंठल) धान के ऐसे डंठल, जिसमें से बीज झाड़ लिये गये हों। पद। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरा-लेख :
|
पुं० [कर्म० स०] किसी प्राचीन भवन या स्मृति-चिह्र पर अंकित किया हुआ कोई ऐसा लेख जो किसी प्राचीन लिपि में अंकित हो। (एपिग्राफी) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरालेखशास्त्र :
|
पुं० [ष० त०] वह शास्त्र जिसमें प्राचीन काल की लिपियाँ पढ़ने का विवेचन होता है। (एपिग्राफी) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरावती :
|
स्त्री० [सं० पुर+मतु, वत्व+ङीष्, दीर्घ] एक प्राचीन नदी। (महाभारत) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरावशेष :
|
पुं० [सं० पुरा-अवशेष, कर्म० स०] बहुत प्राचीन काल की चीजों के टूटे-फूटे या बचे-खुचे अंश या अवशेष जिनके आधार पर उस काल की सभ्यता, इतिहास आदि के संबंध में जानकारी प्राप्त की जाती है। (एन्टिक्विटीज) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरावसु :
|
पुं० [कर्म० स०] भीष्म। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुराविद् :
|
वि० [सं० पुरा√विद् (जानना)+क्विप्] पुरानी अर्थात् प्राचीन काल की ऐतिहासिक सामाजिक आदि बातों को जाननेवाला। पुरातत्वज्ञ। (आर्कियालोजिस्ट) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरा-वृत्त :
|
पुं० [कर्म० स०] प्राचीन काल का कोई वृत्तांत। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरासाह् :
|
पुं० [सं० पुरा√सह् (सहन करना)+ण्वि] इन्द्र। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरासिनी :
|
स्त्री० [सं० पुर√अस् (फेंकना)+णिनि+ङीप्] सहदेवी नाम की बूटी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरि :
|
स्त्री० [सं०√पृ+इ] १. पुरी। २. शरीर ३. नदी। पुं० १. राजा। २. दशनामी संन्यासियों में से एक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरिखा :
|
पुं०=पुरखा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरिया :
|
स्त्री० [हिं० पूरना] १. बाना फैलाने की नरी। २. ताना। स्त्री०=पुड़िया।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरिश :
|
पुं० [सं० पुरि√शी (सोना)+ड, अलुक्स] जीव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरिष :
|
पुं०=पुरीष (विष्ठा)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरी :
|
स्त्री० [सं० पुरी+ङीष्] १. छोटा पुर। नगरी। २. जगन्नाथ पुरी। ३. गढ़। दुर्ग। ४. देह। शरीर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरीतत् :
|
स्त्री० [सं० पुरी√तन् (विस्तार+क्विप्, तुक] १. हृदय के पास की एक नाड़ी। २. आँत। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरीमोह :
|
पुं० [सं० पुरी√मुह् (मुग्ध होना)+णिच्+अण्] धतूरा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरीष :
|
पुं० [सं०√पृ+ईषन्, कित्] १. विष्ठा। मल। गू। २. जल। पानी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरीषण :
|
पुं० [सं० पुरी√ईष् (त्याग)+ल्युट जैसे—अन] विष्ठा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरीषम :
|
पुं० [सं० पुरीष√मा (शब्द)+क] १. मल। विष्ठा। २. गंदगी। कूड़ा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरीष-स्थान :
|
पुं० [ष० त०] मल त्याग करने का स्थान। जैसे—खुड्डी पाखाना, संडास आदि। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरीषाधान :
|
पुं० [सं० पुरीष-आधान, ष० त०] मलाशय। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरीषोत्सर्ग :
|
पुं० [सं० पुरी-उत्सर्ग, ष० त०] मल-त्याग। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरु :
|
वि० [सं०√पृ (पालन पोषण)+कु, उत्व] बहुत अधिक। विपुल। पुं० १. देवलोक। स्वर्ग। २. एक दैत्य जिसे इन्द्र ने मारा था। ३. एक प्राचीन पर्वत। ४. फूलों का पराग। ५. देह। शरीर। ६. पुराणानुसार एक देश का नाम। ७. छठवें चन्द्रवंशी राजा, जो नहुष के पोते तथा ययाति के पुत्र थे। अपने पाँचों भाइयों में से इन्होंने अपने पिता ययाति के माँगने पर उन्हें अपना यौवन और रूप दे दिया, जिन्हें हजार वर्षों तक भोगने के बाद ययाति ने फिर इन्हें लौटा दिया था और अपने राज-सिंहासन का अधिकारी बनाया था। इन्ही के वंश में दुष्यन्त और भरत हुए थे। जिनके वंशज आगे चलकर कौरव लोग हुए। ८. पंजाब का एक प्रसिद्ध राजा जो ई० पू० ३२७ में सिकन्दर से लड़ा था। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुकुत्स :
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पुं० [सं०] एक राजा जो मांधाता का पुत्र और मुचुकुंद का भाई था और जो नर्मदा नदी के आसपास के प्रदेश पर राज्य करता था। इसने नाग कन्या नर्मदा के साथ विवाह किया था। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुख :
|
पुं०=पुरुष। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुजित् :
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पुं० [सं० पुरु√जि (जीतना)+क्विप्] १. कुंतिभोज का पुत्र जो अर्जुन का मामा था। २. विष्णु। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुदंशक :
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पुं० [सं० ब० स०, कप्] हंस। |
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पुरुदंशा (शस्) :
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पुं० [सं० पुरु√दंश (काटना)+असुन्] इंद्र। |
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समानार्थी शब्द-
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पुरुदस्म :
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पुं० [सं० पुरु√दस् (काटना)+मन्] विष्णु। |
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पुरुब :
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पुं०=पूर्व (दिशा या देश)। |
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समानार्थी शब्द-
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पुरुभोजा (जस्) :
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पुं० [सं० पुरु√भुज् (खाना)+असुन] बादल। |
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समानार्थी शब्द-
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पुरुमित्र :
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पुं० [सं०] १. एक प्राचीन राजा जिसका नाम ऋग्वेद में आया है। २. धृतराष्ट्र का एक पुत्र। |
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पुरुमीढ़ :
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पुं० [सं०] अजमीढ़ का छोटा भाई। |
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पुरुष :
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पुं० [सं०√पुर् (आगे जाना)+कुषण्] १. मानव जाति का नर प्राणी। आदमी। मर्द। (स्त्री से भिन्न) २. उक्त प्रकार का वह व्यक्ति जिसमें विशिष्ट शक्ति या सामर्थ्य हो और जो वीरता तथा साहस के काम कर सकता हो; जैसे—तुम्हें पुरुषों की तरह मैदान में आना चाहिए। ३. राज्य की ओर से सार्वजनिक कार्यों के लिए नियुक्त किया हुआ कोई अधिकारी। राज-पुरुष। ४. ऊँचाई की एक नाप जो सामान्य वयस्क मनुष्य की ऊँचाई के बराबर होती है। पुरसा। ५. शरीर में रहनेवाली आत्मा या जीव। ६. वह प्रधान सत्ता, जो सारे विश्व में आत्मा के रूप में वर्तमान है। विश्वात्मा। विशेष—सांख्यकार ने इसे आकृति से भिन्न एक ऐसा चेतन मूल तत्त्व या पदार्थ माना है, जिसमें कभी कोई परिणाम या विकार नहीं होता, और जो स्वयं कुछ भी न करने और सबसे अलग रहने पर भी प्रकृति के सान्निध्य से ही सृष्टि की उत्पत्ति करता है। ७. किसी व्यक्ति की ऊपरवाली पीढ़ी या पीढ़ियाँ। पूर्व पुरुष। पूर्वज। उदाहरण—सों सठ कोटिक पुरुष समेता। बसहिं कलप सत नरक-निकेता।—तुलसी। ८. स्त्री का पति या स्वामी। ९. व्याकरण में, वक्ता की दृष्टि से किया जानेवाला सर्वनामों का वर्गीकरण। विशेष—इसके उत्तम पुरुष, प्रथम पुरुष और मध्यम पुरुष ये तीन विभाग हैं। वक्ता अपने संबंध में जिस सर्वनाम का उपयोग करता है, वह उत्तम पुरुष कहलाता है। जैसे—मैं या हम। वह जिससे कोई बात-चीत करता है, उसके संबंध में प्रयुक्त होनेवाले विशेषण मध्यम पुरुष कहलाते हैं। जैसे—तू, तुम और आप। किसी तीसरे अनुपस्थित या दूरस्थ व्यक्ति या पदार्थ के लिए प्रयुक्त होनेवाले सर्वनामों की गणना प्रथम पुरुष में होती है। जैसे—वह या वे। कुछ वैयाकरण अँगरेजी व्याकरण के अनुकरण पर इन्हें क्रमात्, प्रथम पुरुष, द्वितीय पुरुष और तृतीय पुरुष भी कहते हैं। हमारी भाषा में इन पुरुषों का परिणाम या प्रभाव क्रिया-पदों पर भी होता है। जैसे—मैं जाता हूँ; तुम जाते हो; वह जाता है आदि। १॰. विष्णु। ११. सूर्य। १२. शिव। १३. पारा। १४. गुग्गुल। १५. पुन्नाग। १६. घोड़े का अपने पिछले दोनों पैरों पर खडा होना। पुरुषक (देखें)। वि० [सं०] १. तीखा। तेज। जैसे—पुरुष पवन। २. नर। ‘स्त्री’ का विपर्याय। जैसे—पुरुष मकर। ३. जोरदार। बलवान। |
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पुरुषक :
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पुं० [सं० पुरुष√कै (भासित होना)+क] घोड़े की वह स्थिति जिसमें वह अपने दोनों पैर ऊपर उठाकर दोनों पिछले पैरों पर खड़ा हो जाता है। अलफ। सीख-पाँव। विशेष—लोक में इसे ‘घोडे का जमना’ कहते हैं। |
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पुरुष-कार :
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पुं० [ष० त०] १. पुरुषार्थ। पौरुष। २. उद्योग। |
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पुरुष-केशरी :
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पुं० [उपमि० स०] १. सिंह के समान वीर पुरुष। बहुत बड़ा वीर। २. नृसिंह अवतार। |
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पुरुष-गति :
|
स्त्री० [सं० ष० त०] एक प्रकार का साम। |
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पुरुषध्नी :
|
स्त्री० [सं० पुरुष√हन् (हिंसा)+टक्+ङीप्] पति की हत्या करनेवाली स्त्री। |
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पुरुषत्व :
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पुं० [सं० पुरुष+त्व] पुरुष होने की अवस्था, गुण या भाव। |
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पुरुष-दंतिका :
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स्त्री० [सं० ब० स०, कप्+टाप्, इत्व] मेदा नामक जड़ी। |
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पुरुषदध्न :
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पुं० [सं० पुरुष+दघ्नच्]=पुरुषद्वयस्। |
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पुरुषद्वयस् :
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पुं० [सं० पुरुष+द्वयसच्] ऊँचाई में पुरुष के बराबर। |
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पुरुष-द्विष :
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पुं० [सं० पुरुष√द्विष् (शत्रुता करना)+क्विप्] विष्णु का शत्रु। |
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पुरुषद्वेषिणी :
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स्त्री० [सं० पुरुष-द्विष्+णिनि+ङीप्] अपने पति से द्वेष करनेवाली स्त्री। |
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पुरुष-नक्षत्र :
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पुं० [ष० त०] हस्त, मूल, श्रवण, पुनर्वस्, मृगशिरा और पुष्य ये नक्षत्र। (ज्यो०) |
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पुरुषनाय :
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पुं० [सं० पुरुष√नी (ले जाना)+अण्] १. सेनापति। २. राजा। |
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पुरुष-पशु :
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पुं० [उपमि० स०] पशुओं जैसा आचरण करनेवाला व्यक्ति। |
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पुरुष-पुंगव :
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पुं० [उपमि० स०] श्रेष्ठ पुरुष। |
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पुरुष-पुंडरीक :
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पुं० [उपमि० स०] १. श्रेष्ठ पुरुष। २. जैनियों के मतानुसार नौ वासुदेवों में सातवें वासुदेव। |
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पुरुष-पुर :
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पुं० [ष० त०] आधुनिक पेशावर का पुराना नाम। किसी समय यह गांधार की राजधानी थी। |
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पुरुष-प्रेक्षा :
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स्त्री० [ष० त०] वह खेल या तमासा जो केवल पुरुषों के देखने योग्य हो, और जिसे देखना स्त्रियों के लिए वर्जित हो। |
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पुरुषमात्र :
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वि० [सं० पुरुष+मात्रच्] मनुष्य की ऊँचाई के बराबर का। |
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पुरुषमानी (निन्) :
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वि० [सं० पुरुष√मन् (समझना) +णिनि] अपने को वीर समझनेवाला। |
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पुरुष-मुख :
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वि० [ब० स०] [स्त्री० पुरुषमुखी] पुरुष के समान मुख वाला। |
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पुरुष-मेध :
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पुं० [मध्य० स०] एक वैदिक यज्ञ, जिसमें पुरुष अर्थात् मनुष्य की बलि दी जाती थी। यह यज्ञ करने का अधिकार केवल ब्राह्मण और क्षत्रिय को था। |
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पुरुष-राशि :
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स्त्री० [ष० त०] मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धन और कुंभ नामक विषम राशियों में से हर एक। (ज्यो०) |
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पुरुष-वर :
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पुं० [स० त०] १. श्रेष्ठ पुरुष। २. विष्णु। |
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पुरुषवाद :
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पुं० [सं०] प्राचीन भारत में एक नास्तिक दार्शनिक मत, जो ईश्वर को नहीं, बल्कि पुरुष और उसके पौरुष को ही सर्वप्रधान मानता था। |
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पुरुषवादी :
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वि० [सं०] पुरुषवाद-संबंधी। पुं० पुरुषवाद का अनुयायी व्यक्ति। |
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पुरुष-वार :
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पुं० [ष० त०] रवि, मंगल, बृहस्पति और शनि इन चार वारों में हर एक। (ज्यो०) |
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पुरुषवाह :
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पुं० [सं० पुरुष√वह् (ढोना)+अण्] गरूड़। पुं० [ब० स०] कुबेर। |
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पुरुष-व्याध्र :
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पुं० [उपमि० स०] सिंह के समान बलवाला व्यक्ति। शेर के समान पराक्रमवाला। पुरुष-सिंह। |
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पुरुष-शार्दूल :
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पुं० [उपमि० स०] पुरुष-व्याध्र (दे०) |
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पुरुष-शीर्ष (क) :
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पुं० [ष० त०] काठ का बना हुआ मनुष्य का सिर, जिसे चोर सेंध में यह देखते को डालते थे कि वह प्रवेश योग्य है या नहीं। |
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समानार्थी शब्द-
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पुरुष-सिंह :
|
पुं० [उपमि० स०] ऐसा व्यक्ति जो पराक्रम या वीरता के विचार से पुरुषों में सिंह के समान हो। परम वीर पुरुष। |
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पुरुष-सूक्त :
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पुं० [मध्य० स०] ऋग्वेद का एक अति पवित्र तथा प्रसिद्ध माना जानेवाला सूक्त जो ‘सहस्रशीर्षा’ से आरंभ होता है। |
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पुरुषांग :
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पुं० [पुरुष-अंग, ष० त०] पुरुष की लिगेंद्रिय। शिश्न। |
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पुरुषांतर :
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पुं० [पुरुष-अंतर, मयू० स०] अन्य व्यक्ति। |
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पुरुषाद :
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पुं० [सं० पुरुष√अद् (खाना)+अण्] १. मनुष्यों को खानेवाला अर्थात् राक्षस। २. बृहत्संहिता के अनुसार एक देश जो आर्द्रा, पुनर्वसु और पुष्य के अधिकार में माना गया है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुषादक :
|
पुं० [सं० पुरुषाद+कन्] १. मनुष्यों को खानेवाला अर्थात् राक्षस। २. कल्माषपाद का एक नाम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुषाद्य :
|
पुं० [पुरुष-आद्य, ष० त०] १. जिनों के प्रथम आदिनाथ। (जैन) २. विष्णु। ३. राक्षस। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुषाधम :
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पुं० [पुरुष-अधम, स० त०] अधम पुरुष। हेय व्यक्ति। |
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समानार्थी शब्द-
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पुरुषानुक्रम :
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पुं० [पुरुष-अनुक्रम, ष० त०] [वि० पुरुषानुक्रमिक] १. पुरखों की अनेक पीढ़ियों से चली आई हुई परंपरा। २. एक के बाद एक पीढ़ी का क्रम। |
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समानार्थी शब्द-
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पुरुषानुक्रमिक :
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वि० [पुरुष-आनुक्रमिक, ष० त०] जो पुरुषानुक्रम से चला आया हो, या चला आ रहा हो। जो पूर्वजों के समय से हर पीढी़ में होता आया हो। वंशानुक्रमिक। (हेरिडेटरी) |
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समानार्थी शब्द-
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पुरुषायित :
|
क्रि० वि० [सं० पुरुष+क्यड०+क्त] पुरुषों या मर्दों की तरह। वीरतापूर्वक। बहादुरी से। पुं० १. वीर अथवा सुयोग्य पुरुषों का सा आचरण। २. दे० ‘पुरुषायित बंध’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुषायित-बंध :
|
पुं० [कर्म० स०] कामशास्त्र के अनुसार एक प्रकार की संभोग-मुद्रा जिसमें स्त्री ऊपर और पुरुष नीचे रहता है। साहित्य में इसे विपरीत रति कहते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुषायण :
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पुं० [पुरुष-अयन, ब० स०] प्राणादि षोडश कला (प्रश्नोपनिषद्)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुषायुष :
|
पुं० [पुरुष-आयुस्, ष० त०, अच्] पुरुष की आयु जो सामान्यतः १॰॰ वर्षों की मानी जाती है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुषारथ :
|
पुं०=पुरुषार्थ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुषार्थ :
|
पुं० [पुरुष-अर्थ, ष० त०] १. वह मुख्य अर्थ उद्देश्य या प्रयोजन, जिसकी प्राप्ति या सिद्धि के लिए प्रयत्न करना पुरुष या मनुष्य के लिए आवश्यक और कर्त्तव्य हो। पुरुष के उद्देश्य और लक्ष्य का विषय़। धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति की दृष्टि से ये चार प्रकार के होते हैं। विशेष—सांख्य-दर्शन में सब प्रकार के दुःखों से छुटकारा पाने के लिए प्रयत्न करना ही परम पुरुषार्थ है। परवर्ती पौराणिकों ने धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति या सिद्धि के लिए प्रयत्न करना ही पुरुषार्थ माना है, और इसी लिए उक्त चारों बातों की गिनती उन मुख्य पदार्थों में की जाती है, जिनकी ओर सदा मनुष्य का ध्यान या लक्ष्य रहना चाहिए। २. वे सब विशिष्ट उद्योग तथा प्रयत्न जो अच्छा और सशक्त मनुष्य करता है अथवा करना अपना कर्तव्य समझता है। पुरुषकार। ३. पुरुष में होनेवाली शक्ति या सामर्थ्य। मनुष्योचित बल। पौरुष। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुषार्थी (र्थिन्) :
|
वि० [सं० पुरुषार्थ+इनि] १. पुरुषार्थ करनेवाला। २. उद्योगी। ३. परिश्रमी। ४. बली। पुं० पश्चिमी पाकिस्तान से आये हुए हिंदू और सिक्ख शरणार्थियों के लिए सम्मान-सूचक शब्द। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुषावतार :
|
पुं० [पुरुष-अवतार, ष० त०] व्यापक ब्रह्म का पुरुष या मनुष्य के रूप में होनेवाला वह अवतार जिसमें वह शुद्ध सत्व को आधार बनाकर परमधाम से इस लोक में आविर्भूत होता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुषाशी (शिन्) :
|
पुं० [सं० पुरुष√अश् (खाना)+ णिनि] [स्त्री० पुरुषाशिनी] मनुष्य (खानेवाला) राक्षस। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुषी :
|
स्त्री० [सं० पुरुष+ङीष्] स्त्री। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुषोत्तम :
|
[सं० पुरुष-उत्तम, स० त०] जो पुरुषों में सब से उत्तम या सर्वश्रेष्ठ हो। पुं० १. वह जो पुरुषों में सब से उत्तम या सर्व-श्रेष्ठ हो। श्रेष्ठ पुरुष। २. धर्मशास्त्र के अनुसार ऐसा निष्पाप व्यक्ति जो शत्रु और मित्र सब से उदासीन रहे। ३. विष्णु। ४. जगन्नाथ की मूर्ति। ५. जगन्नाथ का मन्दिर। ६. जैनियों के एक वासुदेव का नाम। ७. श्रीकृष्ण। ८. ईश्वर। ९. चांद्र गणना के अनुसार होनेवाला अधिक मास। मलमास। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुषोत्तम-क्षेत्र :
|
पुं० [ष० त०] जगन्नाथपुरी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुषोत्तम-मास :
|
पुं० [ष० त०] चांद्र गणना के अनुसार होनेवाला अधिक मास। मलमास। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुहूत :
|
वि० [सं० ब० स०] १. जिसका आह्वान बहुतों ने किया हो। २. जिसकी बहुत से लोगों ने स्तुति की हो। पुं० इन्द्र। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरु-हूति :
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स्त्री० [सं० ब० स०] दाक्षायणी। पुं० विष्णु। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरूरवा (वस्) :
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पुं० [सं० पुरु√रु (शब्द करना)+अस, दीर्घ] १. एक प्राचीन राजा जिसे ऋग्वेद में इला का पुत्र कहा गया है। ये चंद्रवंश के प्रतिष्ठाता थे। राजा पुरुरवा और उर्वशी अप्सरा की प्रेम-कथा प्रसिद्ध है। २. विश्वदेव। ३. एक देवता, जिनका पूजन पार्वण श्राद्ध में होता है। वि० अनेक प्रकार के रव या ध्वनियाँ प्रकट करनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरेथा :
|
पुं० [हिं० पूरा+हथा] हल की मूठ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरेन :
|
स्त्री० [सं० पुटकिनी] १. कमल का पत्ता। २. कमल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरेभा :
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स्त्री०=कुरेभा (ऐसी गाय जो वर्ष में दो बार बच्चा देती है)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरैन :
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स्त्री०=पुरेन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरैना :
|
स० [हिं० पूरा] पूरा करना। उदा०—जज्ञ पूरैबो ठानि विज्ञ दैवज्ञ बुलाए।—रत्नाकर। अ०=पूरा होना। स्त्री०=पुरइन (कमल)। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरोगंता (तृ) :
|
वि०, पुं० [सं० पुरस्√गम् (जाना)+ तृच्]=पुरोगामी। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरोगत :
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वि० [सं० पुरस्√गम+क्त] [भाव० पुरोगति] १. जो सामने हो। २. जो पहले गया हो। पुराना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरोगति :
|
स्त्री० [सं० पुरस्√गम्+क्तिन्] १. पुरोगत होने की अवस्था या भाव। २. अग्रगामिता। पुं० [ब० स०] कुत्ता। वि० आगे-आगे चलनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरोगमन :
|
पुं० [सं० पुरस्√गम्+ल्युट—अन] १. आगे की ओर चलना या बढ़ना। २. उन्नति, वृद्धि आदि की ओर अग्रसर या प्रवृत्त होना। (प्रोगेशन)। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरोगामी (मिन्) :
|
वि० [सं० पुरस्√गम्+णिनि] १. आगे आगे चलनेवाला। अगुआ। अग्रगामी। (पायोनियर) २. बराबर उन्नति करता और आगे बढ़ता हुआ। ३. किसी विषय में उदार विचार रखने और अग्रसर रहनेवाला। (प्रोग्रेसिव) पुं० १. नायक। २. अग्रदूत। ३. कुत्ता। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरोचन :
|
पुं० [सं०] दुर्योधन का एक मित्र, जो पांडवों को लाक्षागृह में जलाने के लिए नियुक्त किया गया था। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरोजव :
|
वि० [सं० पुरस्-जव, ब० स०] १. जिसके सामनेवाले भाग में वेग हो। २. आगे बढानेवाला। पुं० पुराणानुसार पुष्कर द्वीप के सात खंडों में से एक खंड। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरोडा :
|
पुं० [सं० पुरस्√दाश् (दान)+घञ्, डत्व] १. जौ के आटे की बनी हुई वह टिकिया जो कपाल में पकाई जाती थी। यज्ञों में इसमें से टुकड़ा काटकर देवताओं के लिए मंत्र पढ़कर आहुति दी जाती थी। २. उक्त आहुति देने के समय पढ़ा जानेवाला मंत्र। ३. उक्त का वह अंश जो हवि देने के बाद बच रहता था। ४. यज्ञ में दी जानेवाली आहुति या हवि। ५. सोमरस। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरोत्सव :
|
पुं० [सं० पुर-उत्सव, मध्य० स०] पूरे पुर या नगर में सामूहिक रूप से मनाया जानेवाला उत्सव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरोदर्शन :
|
पुं० [सं० पुरस्-दर्शन, ब० स०] १. सामने की ओर से दिखाई देनेवाला रूप। २. वास्तु-रचना का वह चित्र, जो उसके सामनेवाले भाग के स्वरूप का परिचायक हो। (फ्रंट एलिवेशन)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरोद्भवा :
|
स्त्री० [सं० पुर√उद्√भू (उत्पन्न होना)+अच्+टाप्] महामेदा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरोद्यान :
|
पुं० [सं० पुर-उद्यान, ष० त०] पुर या नगर का मुख्य उद्यान या बाग। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरोध :
|
पुं०=पुरोधा। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरोवा (धस्) :
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पुं० [सं० पुरस्√धा (धारण)+असि] पुरोहित। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरोधानीय :
|
पुं० [सं० पुरस√धा+अनीयर्] पुरोहित। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरोनुवाक्या :
|
स्त्री० [सं० पुरस्-अनुवाक्या, स० त०] १. यज्ञों की तीन प्रकार की आहुतियों में से एक। २. उक्त आहुति के समय पढ़ी जानेवाली ऋचा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरोभाग :
|
पुं० [सं० पुरस्√भज्+घञ्] १. अग्रभाग। अगला हिस्सा। २. दोष निकालने या बतलाने की क्रिया। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरोभागी (गिन्) :
|
वि० [सं० पुरस√भज्+णिनि] [स्त्री० पुरोभागिनी] १. आगे की ओर रहने या होनेवाला। अग्र भाग का। २. जो गुणों को छोड़कर केवल दोष देखता हो। छिद्रान्वेषी दोषदर्शी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरोरवस :
|
पुं० [सं०=पुरुवस्, पृषो० सिद्धि] =पुरूरवा। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरोवात :
|
पुं० [सं० पुरस्-वात, मध्य० स०] पूर्व दिशा से आनेवाली हवा। पुरवा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरोवाद :
|
पुं० [सं० पुरस्-वाद, कर्म० स०] पूर्व कथन। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरोहित :
|
वि० [सं० पुरस्√धा+क्त,हि—आदेश] १. आगे या सामने रखा हुआ। २. किसी काम या बात के लिए नियुक्त किया हुआ। पुं० [स्त्री० पुरोहितानी] १. प्राचीन भारत में वह प्रधान याचक, जो अन्य याचकों का नेता बनकर यजमान से गृह-कर्म, श्रौत-कर्म, तथा धार्मिक संस्कार आदि कराता था। २. आज-कल कर्मकांड आदि जाननेवाला वह ब्राह्मण, जो अपने यजमान के यहाँ मुंडन, यज्ञोपवीत, विवाह आदि संस्कार कराता तथा अन्य अवसरों पर उनसे दान, दक्षिणा आदि लेता है। ३. साधारण लोक-व्यवहार में, किसी जाति या धर्म का वह व्यक्ति, जो दूसरों से धार्मिक कृत्य, संस्कार आदि कराता हो। (प्रीस्ट) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरोहित-तंत्र :
|
पुं० [ष० त०] ऐसा तंत्र या शासन प्रणाली जिसमें पुरोहितों के मत का ही प्राधान्य हो। (हायरार्की) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरोहिताई :
|
स्त्री० [सं० पुरोहित+आई (प्रत्य०)] पुरोहित का काम, पद या भाव। यजमानों को धार्मिक कृत्य आदि कराने का काम या वृत्ति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरोहितानी :
|
स्त्री० [सं० पुरोहित] पुरोहित की स्त्री। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरोहिती :
|
वि० [हिं० पुरोहित] पुरोहित-सम्बन्धी। पुरोहित का। स्त्री०=पुरोहिताई। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरौ :
|
पुं०=पुरवट।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरौती :
|
स्त्री० [हिं० पुरवना=पूरा करना] कमी पूरी करना। पूर्ति।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरौनी :
|
स्त्री० [हिं० पूरना=पूरा करना] १. पूरा करना। २. समाप्ति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर्जा :
|
पुं०=पुरजा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर्त्तगाल :
|
पुं० [अं०] योरप के दक्षिण पश्चिम कोने पर पड़नेवाला एक छोटा प्रदेश, जो स्पेन से लगा हुआ है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर्त्तगाली :
|
वि० [हिं० पुर्त्तगाल] १. पुर्तगाल देश संबंधी। पुर्त्तगाल का। पुं० पुर्त्तगाल देश का निवासी। स्त्री० पुर्त्तगाल देश की भाषा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर्तगीज :
|
वि०=पुर्त्तगाली। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर्वला :
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वि० [हिं० पुरवला] १. पहले का। २. पूर्व जन्म का |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर्सा :
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पुं०=पुरसा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुर्सी :
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स्त्री० [फा०] पुरसी। (दे०) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुरुख :
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पुं०=पूरुष (पुरुष)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |