शब्द का अर्थ
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पिष्ट :
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वि० [सं०√पिष् (पीसना)+क्त] १. पिसा या पीसा हुआ। २. चूर्ण किया हुआ। ३. निचोड़ा हुआ। पुं० १. पानी के साथ पिसा हुआ अन्न, विशेषतः दाल। पीठी। २. कोई ऐसा पकवान जिसके अन्दर पीठी भरी हो। ३. सीसा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पिष्टक :
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पुं० [सं० पिष्ठ+कन्] १. पिष्ट अर्थात् पीठी का बना हुआ खाद्य पदार्थ। २. तिल का चूर्ण। ३. फूली नामक नेत्र रोग। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पिष्ट-पचन :
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पुं० [ष० त०] १. कड़ाही। २. तवा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पिष्ट-पशु :
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पुं० [ष० त०] बलि चढ़ाने के काम के लिए गुँधे हुए आटे का बनाया हुआ पशु। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पिष्ट-पाचक :
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पुं० [ष० त०] कड़ाही या तवा जिस पर पीसी हुई चीजें पकाई जाती है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पिष्ट-पिंड :
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पुं० [ष० त०] बाटी नामक पकवान। लिट्टी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पिष्ट-पूर :
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पुं० [सं० पिष्ट√पूर् (पूर्ण करना)+णिच्+अण्] =घृतपूर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पिष्ट-पेषण :
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पुं० [ष० त०] १. पीसी हुई चीज को फिर से पीसना। २. उक्त के आधार पर ठीक तरह से पूरे किये हुए कार्य को फिर उसी तरह दोहराकर व्यर्थ परिश्रम करना जिस प्रकार पीसी हुई चीज को फिर से पीसने का व्यर्थ परिश्रम किया जाता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पिष्ट-प्रमेह :
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पुं० [ष० त०] वैद्यक में, एक प्रकार का प्रमेह जिसमें मूत्र के साथ चावल के पानी के समान तरल पदार्थ गिरता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पिष्ट-मेह :
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पुं० [ष० त०]=पिष्ट प्रमेह। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पिष्टवर्ति :
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स्त्री० [सं० पिष्ट√वृत्स (बरतना)+इन्] किसी अन्न-चूर्ण का बना हुआ पिंड। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पिष्ट-सौरभ :
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पुं० [ब०स०] पीसे जाने पर सुगंध छोड़नेवाला चंदन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पिष्टात :
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पुं० [सं० पिष्ट√अत् (गति)+अच्] अबीर। बुक्का। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पिष्टातक :
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पुं० [सं० पिष्टात्+कन्] अबीर। बुक्का। |
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समानार्थी शब्द-
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पिष्टाद :
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वि० [सं० पिष्ट√अद् (खाना)+अण्] जो अन्न-चूर्ण खाता हो। |
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समानार्थी शब्द-
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पिष्टान्न :
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पुं० [पिष्ट-अन्न, कर्म० स०] पीसे हुए अन्न से बना हुआ पकवान। |
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समानार्थी शब्द-
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पिष्टि :
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स्त्री० [सं०√पिश्+क्तिन्] १. पीसा हुआ अन्न। अन्न-चूर्ण। २. पीठी। |
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पिष्टिक :
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पुं० [सं० पिष्ट+ठन्—इक] चावल की पीठी। |
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पिष्टोदक :
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पुं० [पिष्ट-उदक, मध्य० स०] ऐसा जल जिसमें पीसा हुआ अन्न मिला या मिलाया गया हो। |
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पिष्ट :
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वि० [सं०√पिष् (पीसना)+क्त] १. पिसा या पीसा हुआ। २. चूर्ण किया हुआ। ३. निचोड़ा हुआ। पुं० १. पानी के साथ पिसा हुआ अन्न, विशेषतः दाल। पीठी। २. कोई ऐसा पकवान जिसके अन्दर पीठी भरी हो। ३. सीसा। |
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पिष्टक :
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पुं० [सं० पिष्ठ+कन्] १. पिष्ट अर्थात् पीठी का बना हुआ खाद्य पदार्थ। २. तिल का चूर्ण। ३. फूली नामक नेत्र रोग। |
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पिष्ट-पचन :
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पुं० [ष० त०] १. कड़ाही। २. तवा। |
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पिष्ट-पशु :
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पुं० [ष० त०] बलि चढ़ाने के काम के लिए गुँधे हुए आटे का बनाया हुआ पशु। |
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पिष्ट-पाचक :
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पुं० [ष० त०] कड़ाही या तवा जिस पर पीसी हुई चीजें पकाई जाती है। |
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पिष्ट-पिंड :
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पुं० [ष० त०] बाटी नामक पकवान। लिट्टी। |
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पिष्ट-पूर :
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पुं० [सं० पिष्ट√पूर् (पूर्ण करना)+णिच्+अण्] =घृतपूर। |
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पिष्ट-पेषण :
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पुं० [ष० त०] १. पीसी हुई चीज को फिर से पीसना। २. उक्त के आधार पर ठीक तरह से पूरे किये हुए कार्य को फिर उसी तरह दोहराकर व्यर्थ परिश्रम करना जिस प्रकार पीसी हुई चीज को फिर से पीसने का व्यर्थ परिश्रम किया जाता है। |
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पिष्ट-प्रमेह :
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पुं० [ष० त०] वैद्यक में, एक प्रकार का प्रमेह जिसमें मूत्र के साथ चावल के पानी के समान तरल पदार्थ गिरता है। |
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पिष्ट-मेह :
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पुं० [ष० त०]=पिष्ट प्रमेह। |
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पिष्टवर्ति :
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स्त्री० [सं० पिष्ट√वृत्स (बरतना)+इन्] किसी अन्न-चूर्ण का बना हुआ पिंड। |
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पिष्ट-सौरभ :
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पुं० [ब०स०] पीसे जाने पर सुगंध छोड़नेवाला चंदन। |
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पिष्टात :
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पुं० [सं० पिष्ट√अत् (गति)+अच्] अबीर। बुक्का। |
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पिष्टातक :
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पुं० [सं० पिष्टात्+कन्] अबीर। बुक्का। |
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पिष्टाद :
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वि० [सं० पिष्ट√अद् (खाना)+अण्] जो अन्न-चूर्ण खाता हो। |
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पिष्टान्न :
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पुं० [पिष्ट-अन्न, कर्म० स०] पीसे हुए अन्न से बना हुआ पकवान। |
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पिष्टि :
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स्त्री० [सं०√पिश्+क्तिन्] १. पीसा हुआ अन्न। अन्न-चूर्ण। २. पीठी। |
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पिष्टिक :
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पुं० [सं० पिष्ट+ठन्—इक] चावल की पीठी। |
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पिष्टोदक :
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पुं० [पिष्ट-उदक, मध्य० स०] ऐसा जल जिसमें पीसा हुआ अन्न मिला या मिलाया गया हो। |
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