शब्द का अर्थ
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पाषंड :
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पुं० [सं०√पा (रक्षा)+क्विप्=वेदधर्म,√षंड् (खंडन)+अच्] १. वे सब आचरण और कार्य जो वैदिक धर्म या रीति के हों। २. वैदिक रीतियों का खंडन करनेवाले कार्य और विचार। ३. दूसरों को धोखा देने आदि के उद्देश्य से झूठ-मूठ किये जानेवाले धार्मिक कृत्य। ढोंग। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाषंडी (डिन्) :
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वि० [सं० पा√षंड्+णिच्+इनि] १. जो वेदों के सिद्धान्तों के विरुद्ध चलता हो और किसी दूसरे झूठे मत का अनुयायी हो। २. जो दूसरों को धोखा देने के लिए अच्छा वेश बनाकर रहता हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाषंड :
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पुं० [सं०√पा (रक्षा)+क्विप्=वेदधर्म,√षंड् (खंडन)+अच्] १. वे सब आचरण और कार्य जो वैदिक धर्म या रीति के हों। २. वैदिक रीतियों का खंडन करनेवाले कार्य और विचार। ३. दूसरों को धोखा देने आदि के उद्देश्य से झूठ-मूठ किये जानेवाले धार्मिक कृत्य। ढोंग। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाषंडी (डिन्) :
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वि० [सं० पा√षंड्+णिच्+इनि] १. जो वेदों के सिद्धान्तों के विरुद्ध चलता हो और किसी दूसरे झूठे मत का अनुयायी हो। २. जो दूसरों को धोखा देने के लिए अच्छा वेश बनाकर रहता हो। |
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समानार्थी शब्द-
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