शब्द का अर्थ
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पलाश :
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पुं० [सं०√पल (गति)+क, पल√अश् (व्याप्ति) +अण्] १. ऊँचे स्थानों विशेषतः ऊसर तथा बालूका मिश्रित भूमि में होनेवाला एक पेड़ जिसमें बसंत काल में लाल रंग के फूल लगते हैं। इसके पत्तों की पत्तलें बनाई जाती हैं। ढाक। टेसू। २. उक्त वृक्ष का फूल। ३. पत्ता। पर्ण। ४. मगध देश का पुराना नाम। ५. हरा रंग। ६. कचूर। ६. शासन। ८. परिभाषण। ९. विदारी कंद। वि० [सं० पल√अश् (खाना)+अण्] १. मांसाहारी। २. कठोर-हृदय। निर्दय। पुं० १. राक्षस। २. एक प्रकार का मांसाहारी पक्षी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पलाशक :
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पुं० [सं० पलाश+कन्] १. पलास का पेड़ और फूल। ढाक। टेसू। २. कपूर। ३. लाख। लाक्षा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पलाशगंधजा :
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स्त्री० [सं० पलाश-गंध, ष० त०,√जन् (उत्पन्न होना)+ड+टाप्] एक प्रकार का वंशलोचन। |
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समानार्थी शब्द-
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पलाशच्छदन :
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पुं० [सं० ब० स०] तमालपत्र। |
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समानार्थी शब्द-
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पलाशतरुज :
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पुं० [सं० पलाश-तरु, ष० त०,√जन्+ड] पलाश की कोंपल। |
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समानार्थी शब्द-
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पलाशन :
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पुं० [सं० पल-अशन, ब० स०] मैना। सारिका। |
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समानार्थी शब्द-
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पलाशपर्णी :
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स्त्री० [सं० पलाश-पर्णी, ब० स०, ङीष्] अश्वगंधा। असगंध। |
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समानार्थी शब्द-
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पलाशांता :
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स्त्री० [सं० पलाश-अंत, ब० स०, टाप्] बनकचूर। |
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पलाशाख्य :
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पुं० [सं० पलाश-आख्या, ब० स०] नाड़ी हींग। |
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समानार्थी शब्द-
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पलाशिका :
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स्त्री० [सं० पलाश+कन्+टाप्, इत्व] एक लता जो वृक्षों पर भी चढ़ती है। |
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पलाशी (शिन्) :
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वि० [सं० पलाश+इनि] १. मांस खानेवाला। मांसाहारी। २. पत्तों से युक्त। जिसमें पत्ते हों। पुं० [पल√अश् (खाना)+णिनि] राक्षस। |
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पलाशी :
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स्त्री० [सं० पलाश+ङीष्] १. क्षीरिका। खिरनी। २. कचूर। ३. कचरी। ४. लाख। |
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पलाशीय :
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वि० [सं० पलाश+छ—ईय] (वृक्ष) जिसमें पत्ते लगे हों। पत्तोंवाला। |
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पलाश :
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पुं० [सं०√पल (गति)+क, पल√अश् (व्याप्ति) +अण्] १. ऊँचे स्थानों विशेषतः ऊसर तथा बालूका मिश्रित भूमि में होनेवाला एक पेड़ जिसमें बसंत काल में लाल रंग के फूल लगते हैं। इसके पत्तों की पत्तलें बनाई जाती हैं। ढाक। टेसू। २. उक्त वृक्ष का फूल। ३. पत्ता। पर्ण। ४. मगध देश का पुराना नाम। ५. हरा रंग। ६. कचूर। ६. शासन। ८. परिभाषण। ९. विदारी कंद। वि० [सं० पल√अश् (खाना)+अण्] १. मांसाहारी। २. कठोर-हृदय। निर्दय। पुं० १. राक्षस। २. एक प्रकार का मांसाहारी पक्षी। |
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पलाशक :
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पुं० [सं० पलाश+कन्] १. पलास का पेड़ और फूल। ढाक। टेसू। २. कपूर। ३. लाख। लाक्षा। |
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पलाशगंधजा :
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स्त्री० [सं० पलाश-गंध, ष० त०,√जन् (उत्पन्न होना)+ड+टाप्] एक प्रकार का वंशलोचन। |
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पलाशच्छदन :
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पुं० [सं० ब० स०] तमालपत्र। |
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पुं० [सं० पलाश-तरु, ष० त०,√जन्+ड] पलाश की कोंपल। |
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पुं० [सं० पल-अशन, ब० स०] मैना। सारिका। |
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पलाशपर्णी :
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स्त्री० [सं० पलाश-पर्णी, ब० स०, ङीष्] अश्वगंधा। असगंध। |
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पलाशांता :
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स्त्री० [सं० पलाश-अंत, ब० स०, टाप्] बनकचूर। |
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पुं० [सं० पलाश-आख्या, ब० स०] नाड़ी हींग। |
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पलाशिका :
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स्त्री० [सं० पलाश+कन्+टाप्, इत्व] एक लता जो वृक्षों पर भी चढ़ती है। |
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पलाशी (शिन्) :
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वि० [सं० पलाश+इनि] १. मांस खानेवाला। मांसाहारी। २. पत्तों से युक्त। जिसमें पत्ते हों। पुं० [पल√अश् (खाना)+णिनि] राक्षस। |
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पलाशी :
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स्त्री० [सं० पलाश+ङीष्] १. क्षीरिका। खिरनी। २. कचूर। ३. कचरी। ४. लाख। |
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पलाशीय :
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वि० [सं० पलाश+छ—ईय] (वृक्ष) जिसमें पत्ते लगे हों। पत्तोंवाला। |
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