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परिचित  : वि० [सं० पर√चि० (चयन करना)+क्त] [भाव० परिचिति] १. जिसका या जिसके साथ परिचय हो चुका हो। जिसे जान लिया गया हो या जिसकी जानकारी हो चुकी हो। जाना-बूझा या समझा हुआ। ज्ञात। जैसे—वे मेरे परिचित हैं। २. जिसे परिचय मिल चुका हो या जानकारी हो चुकी हो। जैसे—मैं उनसे भली-भाँति परिचित हूँ। ३. जिससे जान-पहचान और मेल-जोल हो। जैसे—वहाँ हमारे कई परिचित हैं। ४. इकट्ठा किया हुआ। संचित। पुं० जैन दर्शन के अनुसार वह स्वर्गीय आत्मा जो दोबारा किसी चक्र में आ चुकी हो।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
परिचिति  : स्त्री० [सं० परि√चि+क्तिन्] १. परिचित होने की अवस्था या भाव। वि०=परिचित। (पूरब)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
परिचित्र  : पुं० [सं० परि+चित्र] दे० ‘चार्ट’।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
परिचित्रित  : भू० कृ० [सं० प्रा० स०] १. जिसे अच्छी तरह से चिह्नित किया गया हो। २. जिस पर हस्ताक्षर किये जा चुके हों। (स्मृति)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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