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पपड़ी  : स्त्री० [हिं० पपड़ा] १. प्रायः किसी गीली वस्तु के सूखने पर उसकी ऊपर परत की वह स्थिति जब वह सूखकर कुछ चिटक, सिकुड़ और ऐंठ जाती है। जैसे—होंठों पर की पपड़ी। क्रि० प्र०—जमना।—पड़ना। मुहा०—(किसी चीज) पपड़ी छोड़ना=मिट्टी की तह का सूख और सिकुड़कर चिटक जाना। पपड़ी पड़ना। (किसी व्यक्ति का) पपड़ी छोड़ना=बहुत सूखकर बिलकुल दुबला और क्षीण हो जाना। २. घाव का खुरंड। क्रि० प्र०—जमना।—पड़ना। ३. सोहन-पपड़ी या अन्य कोई मिठाई जिसकी तह जमाई गई हो। ४. पापड़ की तरह का कोई छोटा पकवान। ५. वृक्ष की छाल पर सूखने के कारण बनी दरारें।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पपड़ीला  : वि० [हिं० पपड़ी+ईला (प्रत्य०)] जिसमें पपड़ी की तरह की तह या परत हो। पपड़ीदार।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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