शब्द का अर्थ
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पक्ष :
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पुं० [सं० √पक्ष् (ग्रहण)+अच्] १. पक्षियों का डैना और उस पर के पंख या पर जिनके कारण वे ‘पक्षी’ कहलाते हैं। २. वे पर जो तीर के सिरे पर उसकी गति ठीक रखने या बढ़ाने के लिए बाँधे या लगाये जाते हैं। ३. जीव-जन्तुओं और मनुष्यों की दाहिनी या बाई और का पार्श्व। ४. किसी वस्तु का वह किनारा या पार्श्व या सिरा जो उसके आगे, पीछे, ऊपर और नीचेवाले भागों से भिन्न हो और किसी बगल में पड़ता हो। पार्श्व। जैसे—सेना का दाहिना पक्ष कुछ दुर्बल पड़ता था। ५. किसी चीज या बात के दो भागों में से प्रत्येक भाग। जैसे—वाम पक्ष और दक्षिण पक्ष। ६. चन्द्रमास के दो के बराबर भागों में से प्रत्येक भाग जो प्रायः १५ दिनों का होता है। विशेष—पूर्णिमा से अमावस तक के दिन ‘कृष्ण पक्ष’ और अमावस से पूर्णिमा तक के दिन ‘शुक्ल पक्ष’ में गिने जाते हैं। ७. किसी बात या विषय के ऐसे दो या अधिक अंग या पहलू जो आमने-सामने या अगल-बगल पड़ते हों और इसी लिए जिनमें किसी प्रकार का विभेद या विरोध हो। जैसे—(क) पहले आप दोनों पक्षों की बातें सुन लें, तब कुछ निर्णय करें। (ख) इस प्रश्न के कई पक्ष हैं, जिन पर अच्छी तरह विचार होना चाहिए। मुहा०—पक्ष गिरना=वाद-विवाद, परीक्षण आदि में युक्तिसंगत सिद्ध न होने पर किसी पक्ष का अप्रामाणिक और अमान्य सिद्ध होना। ८. किसी प्रकार की प्रतियोगिता, विरोध विवाद आदि में सम्मिलित होनेवाले दलों या व्यक्तियों में से प्रत्येक दल या व्यक्ति। मुहा०—(किसी का) पक्ष करना=औचित्य, न्याय सत्य आदि का विचार किये बिना ही इस प्रकार का आग्रह करना कि अमुक व्यक्ति जो कहता है, वही ठीक है या वही होना चाहिए। पक्षपात होना चाहिए। पक्षपात करना। (किसी का) पक्ष लेना=वाद-विवाद या वैर-विरोध में किसी एक दल या पक्ष की ओर होकर उसके कथन या मत का समर्थन करना। ९. तर्कशास्त्र में वह कथन, बात या विचार जो प्रमाणों, युक्तियों आदि के द्वारा ठीक सिद्ध किया जाने को हो। ऐसी बात जिसे सिद्ध करना अपेक्षित हो। जैसे—पूर्व पक्ष और उत्तर पक्ष। १॰. किसी चीज या बात का कोई विशिष्ट अंग, पार्श्व या स्थिति। ११. किसी मत या सिद्धांत के अनुयायियों और समर्थकों का दल, वर्ग या समुदाय। १२. किसी चीज या बात का कोई ऐसा अंग, तल या पार्श्व जो विशिष्ट रूप से सामने हो अथवा आया हो अथवा जिस पर विचार होता हो। १३. समर्थक, सहायक और साथी। १४. घर। मकान। १५. चूल्हे का वह गड्ढ़ा या मुँह जिसमें राख इकट्ठी होती है। १६. राजा की सवारी का हाथी। १७. हाथ में पहनने का कड़ा। वलय। १८. महाकाल। १९. अवस्था। दशा। २॰. शरीर का कोई अंग। २१. फौज। सेना। २२. दीवार। २३. उत्तर। जवाब। २४. पड़ोस। २५. चिड़िया। पक्षी। २६. परस्पर विरोधी तत्त्वों के आधार पर, ‘दो’ की सूचक संज्ञा। २७. ‘बाल’ या उसके पर्यायों के साथ प्रयुक्त होने पर, राशि या समूह। जैसे—केश-पक्ष। |
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पक्षक :
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पुं० [सं० पक्ष+कन्] किसी पक्ष या पार्श्व में पड़नेवाली खिड़की या दरवाजा। |
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पक्षका :
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स्त्री० [सं० पक्षक+टाप्] किसी पक्ष या पार्श्व में की दीवार। वगल की दीवार। |
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पक्षकार :
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पुं० [सं०] १. कोई ऐसा व्यक्ति जो किसी काम या बात में सम्मिलित रहता हो या हुआ हो। जैसे—मैं इस निश्चय में पक्षकार नहीं बन सकता। २. झगड़ा करने या मुकदमा लड़नेवाले दलों या पक्षों में से प्रत्येक। (पार्टी) जैसे—यह भी मुकदमे में एक पक्षकार थे। |
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पक्षगम :
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वि० [सं० पक्ष√गम् (जाना)+अच्] पंखों की सहायता से जानेवाला। उड़नेवाला। |
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पक्ष-ग्रहण :
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पुं० [ष० त०] किसी पक्ष में मिलना अथवा उसका समर्थन करना। |
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पक्षघात करना :
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पुं०=पक्षाघात। |
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पक्षचर :
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पुं० [सं० पक्ष√चर् (गति)+ट] १. चंद्रमा। २. यूथ से बहका हुआ हाथी। ३. सेवक। |
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पक्षच्छिद् :
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पुं० [सं० पक्ष√छिद् (काटना) क्विप्] इन्द्र। |
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पक्षज, जन्मा (न्मन्) :
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पुं० [सं० पक्ष√जन् (उत्पत्ति)+ड] [ब० स०] चन्द्रमा। |
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पक्षात :
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स्त्री० [सं० पक्ष+ति] १. पंख की जड़। २. शुक्ल पक्ष की पहली तिथि। |
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पक्ष-द्वार :
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पुं० [सप्त० त०] चोर दरवाजा। |
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पक्ष-धर :
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वि० [ष० त०] विवाद आदि में किसी का पक्ष लेनेवाला। पक्षपाती। पुं० चिड़िया। पक्षी। |
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पक्ष-नाड़ी :
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स्त्री [ष० त०] पक्ष का मोटा पर जिसकी कलम बनाई जाती है। |
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पक्षपात :
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पुं० [सप्त० त०] [भाव० पक्षपातिता, पक्षपातित्व] न्याय के समय, राग, संबंध आदि के कारण अनुचित रूप से किसी पक्ष के प्रति होनेवाली अनुकूल प्रवृत्ति। |
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पक्ष-पाती (तिन्) :
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वि० [सं० पक्षपात+इनि] पक्षपात करनेवाला। |
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पक्षपालि :
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पुं० [ष० त०] खिड़की। |
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पक्ष-पुट :
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पुं० [ष० त०] चिड़ियों का पंख। डैना। |
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पक्ष-प्रद्योत :
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पुं० [ब० स०] नृत्य में हाथ की एक प्रकार की मुद्रा। |
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पक्ष-बिंदु :
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पुं० [ब० स०] कंक पक्षी। |
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पक्ष-भाग :
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पुं० [ष० त०] हाथी का पार्श्व। |
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पक्ष-भुक्ति :
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स्त्री० [ष० त०] एक पक्ष भर में सूर्य द्वारा तै की जाने वाली दूरी। |
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पक्ष-मूल :
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पुं० [ष० त०] १. डैना। पर। २. प्रतिपदा तिथि जो चन्द्रमास के पक्ष के आरंभ में पड़ती है। |
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पक्ष-रचना :
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स्त्री० [ष० त०] १. पक्ष साधन के लिए किया हुआ आयोजन। २. षड्यंत्र। चक्र। |
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पक्ष-रूप :
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पुं० [ब० स०] महादेव। |
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पक्ष-वध :
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पुं० दे० ‘पक्षाघात’। |
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पक्ष-वर्द्धिनी :
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स्त्री० [ष० त०] एक सूर्योदय से दूसरे सूर्योदय तक रहनेवाली द्वाद्वशी तिथि। |
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पक्ष-वाद :
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पुं० [ष० त०] किसी एक पक्ष की कही हुई बात या दिया हुआ बयान। |
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पक्षवान् (वत्) :
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वि० [सं० पक्ष+मतुप, वत्व] [स्त्री० पक्षवती] १. जिसके पक्ष या पर हों। परोंवाला। २. उच्च कुल में उत्पन्न। कुलीन। पुं० पर्वत, जो पुराणानुसार पहले पंख या पर से युक्त होते और उड़ते थे। |
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पक्ष-वाहन :
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पुं० [ब० स०] पक्षी। |
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पक्ष-विंदु :
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पुं० [ब० स०] कंक पक्षी। |
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पक्ष-सुन्दर :
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पुं० [स० त०] लोध्र। लोध। |
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पक्ष-हत :
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वि० [ब० स०] जिसका एक पार्श्व टूट-फूट या बेकाम हो गया हो। |
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पक्ष-होम :
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पुं० [मध्य० स०] एक पक्ष या १५ दिनों तक चलता रहने वाला यज्ञ। |
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पक्षांत :
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पुं० [पक्ष-अन्त, ष० त०] १. अमावस्या। २. पूर्णिमा। |
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पक्षांतर :
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पुं० [पक्ष-अन्तर, मयू० स०] दूसरा पक्ष। |
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पक्षाघात :
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पं० [पक्ष-आघात, ब० स०] एक प्रसिद्ध वात रोग जिसमें शरीर का बायाँ या दाहिना पार्श्व पूर्णतः बेकाम और शिथिल हो जाता है। लकवा। |
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पक्षाभास :
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पुं० [पक्ष-आभास, ष० त०] सिद्धांताभास। |
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पक्षालिका :
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स्त्री० [सं०] कुमार की अनुचरी मातृका। |
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पक्षाल :
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पुं० [सं० पक्ष+आलुच] पक्षी। |
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पक्षावसर :
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पुं० [पक्ष+अवसर, ब० स०] पूर्णिमा। |
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पक्षाहार :
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पुं० [पक्ष+आहार, स० त०] पक्ष में केवल एक बार भोजन करने का नियम या व्रत। |
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पक्षिणी :
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स्त्री० [सं० पक्षिन्+ङीप्] १.मादा चिड़िया। मादा पक्षी। २. पूर्णिमा तिथि। ३. दो दिनों और एक रात का समय। स्त्री० सं० ‘पक्षी’ का स्त्री०। |
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पक्षि-तीर्थ :
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पुं० [मध्य० स०] दक्षिण भारत का एक प्राचीन (आधुनिक तिरुक्कडुकुनरम) तीर्थ। |
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पक्षि-राज :
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पुं० [ष० त०] गरुड़। |
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पक्षिल :
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पुं० [सं० पक्ष+इलच्] गौतम के न्याय-सूत्र का भाष्य लिखनेवाले वात्स्यायन मुनि का एक नाम। |
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पक्षी (क्षिन्) :
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वि० [सं० पक्ष+इनि] १. पर या परों से युक्त। परोंवाला। २. किसी का पक्ष लेनेवाला। तरफदार। ३. पक्षपात करनेवाला। पुं० १. चिड़िया। २. वाण। ३. शिव। |
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पक्षी-पति :
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पुं० [सं० पक्ष-पति] जटायु की भाई, संपत्ति। |
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पक्षी-पालन :
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पुं० [सं०] व्यापारिक दृष्टि से चिड़ियों के पालने और उनका वंश बढ़ाने का धंधा या पेशा। (एवीकल्चर) जैसे—अंडे बेचने के लिए बत्तखे या मुरगियाँ पालना। |
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पक्षी-पंगुव :
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पुं० [सं० पक्षि-पंगुव] जटायु। |
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पक्षी-प्रवर :
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पुं० [सं० पक्षि+प्रवर] गरुड़। |
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पक्षीय :
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वि० [सं० पक्ष+छ+ईय,] समस्त पदों के अन्त में, किसी पक्ष, दल आदि से संबंध रखनेवाला। जैसे—कुरुपक्षीय। |
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पक्षी-राज :
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पुं० [सं० पक्षी-राज] पक्षियों के राजा, गरुड़। |
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पक्षी-विज्ञान :
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पुं० [सं० पक्षि-विज्ञान] वह विज्ञान जिसमें पक्षियों के प्रकारों, उनकी जातियों रहन-सहन के ढंगों,प्रकृति,स्वभाव आदि का विवेचन होता है। (आर्निकालोजी)। |
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पक्षी-शाला :
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स्त्री० [सं० पक्षि-शाला] पक्षियों के रहने का स्थान। जैसे—घोंसला, पिंजरा, चिड़िया-घर आदि। |
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पक्षेष्टि :
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वि० [सं० पक्ष-इष्टि, ब० स०] पाक्षिक। पुं० [मध्य० स०] चन्द्रमास के प्रत्येक पक्ष में किया जानेवाला एक प्रकार का यज्ञ। |
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पक्ष्म (न्) :
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पुं० [सं०√पक्ष् (ग्रहण)+मनिन्] १. आँख की बरौनी। २. फूल का केसर। ३. फूल की पंखड़ी। ४. पंख। पर। ५. बाल। |
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पक्ष्मकोप :
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पुं० [सं० ष० त०] आँख की पलकों का एक रोग। |
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पक्ष्मल :
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वि० [सं० पक्ष्मन्+लच्] १.(व्यक्ति अथवा उसकी आँख) जिसकी सुन्दर बरौनी हो। २.बालोंवाला। |
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पक्ष्य :
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वि० [सं० पक्ष+यत्] १. पक्ष या पखवारे में होने अथवा उससे संबंध रखनेवाला। २. किसी पक्ष या दल का तरफदार। पक्षपाती। |
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