शब्द का अर्थ
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नौकर :
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पुं० [तु०] [स्त्री० नौकरानी,भाव० नौकरी] १.वह जो घर-गृहस्थी के दौड़-धूप के छोट-मोटे काम या सेवाएँ करने के लिए वेतन देकर नियुक्त किया जाता है। भृत्य। सेवक। जैसे-नौकर भेजकर बाजार से सब चीजें मँगा लो। २. वह जो लिखा-पढ़ी,व्यवस्था आदि के कामों में सहायता देने या उन्हें संपन्न करने के लिए वेतन पर नियुक्त किया जाता या होता हो। कर्मचारी। (सर्वेन्ट) जैसे-अब कार्यालय में कई नए लिपिक नौकर रखे गए हैं। क्रि० प्र०-रखना-लगाना। |
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समानार्थी शब्द-
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नौकरशाह :
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पुं० [तु+फा०] वह कर्मचारी जिसके हाथ में पूर्ण शासन की सत्ता हो। जो नौकर होते हुए भी अपने को मालिक या शाह समझता हो। |
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नौकरशाही :
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स्त्री० [तुं० नौकर+फा० शाही=शासन]१. शासन द्वारा नियुक्त कर्मचारी-वृन्द।२. एक आधुनिक शासन प्रणाली जिसमें यह माना जाता है कि देश का वास्तविक शासन राजा या निर्वाचित प्रतिनिधियों के द्वारा नहीं हो रहा है, बल्कि उनके सहायकों तथा अन्य बड़े-बड़े सरकारी कर्मचारियों के द्वारा हो रहा है। (ब्यूरोक्रेसी) |
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नौकराना :
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पुं० [तु० नौकर+हिं आना (प्रत्य०)] वह धन जो नौकर को उसके वेतन के अतिरिक्त और किसी रूप में दिया जाता और मिलता हो।–जैसे बाजार से सौदा लाने की दस्तूरी, विशिष्ट अवसरों पर दिया जाने वाला पुरस्कार। |
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नौकरानी :
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स्त्री० [तु० नौकर+हिं० आनी (प्रत्य०)] घर-गृहस्थी के काम करनेवाली दासी। |
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नौकरी :
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स्त्री० [तु० नौकर+हिं० ई (प्रत्य०)] १. नौकर बनकर किसी की सेवा करने अथवा उसके निर्देशानुसार काम करते रहने की अवस्था या भाव। २. वह पद या काम जिसके लिए वेतन मिलता हो। ३. किसी के कृपा-पात्र बने रहने के लिए किये जानेवाले कार्य। मुहा०–नौकरी बजाना=किसी की तरह-तरह की सेवाएँ करना। आदेश पालन करना। (किसी काम या बात के लिए) नौकरी लिखाना=किसी प्रकार की सेवा या भार अपने ऊपर लेना। जैसे-हमने तुम्हारे सब काम की नौकरी नहीं लिखाई है। क्रि० प्र० देना।–पाना।–मिलना।–लगना।–लगाना। |
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नौकरी-पेशा :
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पुं० [हिं० नौकरी+पेशा] वह जो नौकरी करके जीविका चलाता हो। |
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