| शब्द का अर्थ | 
					
				| द्वितीया					 : | स्त्री० [सं० द्वितीय+टाप्] १. चांद्रमास के प्रत्येक पक्ष की दूसरी तिथि। दूज। २. वाम-मार्गियों की परिभाषा में, खाने के लिए पकाया हुआ मांस। | 
			
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				| द्वितीयाकृत					 : | वि० [सं० द्वितीय+डाच्] कृतके योग में (खेत) जो दो बार जोता गया हो। | 
			
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				| द्वितीयाभा					 : | स्त्री० [सं० द्वितीया-आ√भा (दीप्ति)+क—टाप्] दारुहल्दी। | 
			
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				| द्वितीयाश्रम					 : | पुं० [सं० द्वितीय-आश्रम कर्म० स०] गार्हस्थ्य आश्रम जो ब्रह्मचर्य आश्रम के बाद पड़ता है। | 
			
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