| शब्द का अर्थ | 
					
				| द्रुत					 : | वि० [सं०√द्रु+क्त] १. पिघला हुआ। २. शीघ्रतापूर्वक और वेग से आगे बढ़ने या कोई काम करनेवाला। ३. जो भागकर बच निकला हो। ४. (संगीत में स्वर, लय आदि) जिसकी गति साधारण की अपेक्षा द्रुत हो। जैसे—द्रुत लय या द्रुत विलंबित। क्रि० वि० जल्दी। शीघ्र। उदा०—फिर तुम तम में, मैं प्रियतम में हो जावें द्रुत अंतर्धान।—पंत। पुं० १. बिच्छू। २. बिल्ली। ३. वृक्ष। पेड़। ४. संगीत में उतने समय का आधा जितना साधारणतः एक मात्रा का होता या माना जाता है। लेखन में इसका चिह्न है। ५. संगीत में, गाने की वह लय जो मध्यम से भी कुछ और तीव्र होती है। | 
			
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				| द्रुत-गति					 : | वि० [ब० स०] जल्दी या तेज चलनेवाला। शीघ्रगामी। | 
			
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				| द्रुतगामी (मिन्)					 : | वि० [सं० द्रुत√गम् (जाना)+णिनि] [स्त्री० द्रुतगामिनी] जल्दी या तेज चलनेवाला। शीघ्रगामी। | 
			
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				| द्रुत-त्रिताली					 : | स्त्री०=जल्द तिताला (ताल)। | 
			
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				| द्रुत-पद					 : | पुं० [कर्म० स०] १. शीघ्रगामी चरण। २. १२-१२ अक्षरों के चार चरणोंवाला एक प्रकार का छंद जिसका चौथा, ग्यारहवाँ और बारहवाँ अक्षर गुरु और शेष अक्षर लघु होते हैं। | 
			
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				| द्रुत-मध्या					 : | स्त्री० [ब० स०] एक अर्द्ध-सम-वृत्ति जिसके प्रथम और तृतीय पद में ३ भगण और दो गुरु होते हैं। | 
			
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				| द्रुत-बिलंबित					 : | पुं० [कर्म० स०] एक प्रकार का वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक चरण में क्रमशः १ नगण २ भगण और १ रगण होता है। इसे ‘सुंदरी’ भी कहते हैं। | 
			
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				| द्रुति					 : | स्त्री० [सं०√द्रु+क्तिन्] १. तरल पदार्थ। द्रव। २. द्रवित होने की अवस्था या भाव। ३. गति। चाल। | 
			
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				| द्रुतै					 : | अव्य० [सं० द्रुत] शीघ्रता से। जल्दी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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