| शब्द का अर्थ | 
					
				| दुंद					 : | पुं० [सं० द्वंद्व] १. दो मनुष्यों के बीच होनेवाला झगड़ा या युद्ध। द्वंद्व। २. उत्पात। उपद्रव। ऊधम। ३. हो-हल्ला। शोर-गुल। क्रि० प्र०—मचना।—मचाना। ४. जोड़ा। युग्म। पुं०=दुंदुभि (नगाड़ा)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| दुंदका					 : | पुं० [देश०] वह कोल्हू, जिसमें ऊख पेरी जाती है। | 
			
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				| दुंदभ					 : | पुं० [सं० द्वंद्व] मरणादि का क्लेश।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| दुंदम					 : | पुं० [सं० दुंद√मण् (शब्द करना)+ड] एक तरह का नगाड़ा। | 
			
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				| दुंदु					 : | पुं० [सं०] १. एक तरह का नगाड़ा। २. भगवान् कृष्ण के पिता वसुदेव का एक नाम। पु०= दुंदभ।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| दुंदुभ					 : | पुं० [सं० दुंदु√भण् (शब्द)+ड] बड़ा नगाड़ा। धौंसा। | 
			
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				| दुंदभि					 : | स्त्री० [सं० दुंदु√भा (शोभित होना)+कि] १. एक तरह का नगाड़ा। २. विष्णु। ३. कृष्ण। ४. वरुण। ५. एक प्राचीन पर्वत। ६. पुराणानुसार कौंच द्वीप का एक विभाग। ७. जूए में पासे का एक दाँव। ८. एक राक्षस जिसे बलि ने मारा था। ९. जहर। विष। | 
			
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				| दुंदुभिक					 : | पुं० [सं०] एक तरह का विषैला कीड़ा। | 
			
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				| दुंदुभी					 : | स्त्री०=दुंदभि। | 
			
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				| दुंदमा					 : | स्त्री० [सं०] दुंदुभि पर आघात लगने से होनेवाली ध्वनि। | 
			
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				| दुंदुमार					 : | पुं० दे० ‘धुंधुमार’। | 
			
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				| दुंदुह					 : | पुं० [सं० डुंडभ] पानी में रहनेवाला साँप। डेंड़हा। | 
			
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