| शब्द का अर्थ | 
					
				| दीवा					 : | पुं०=दीया। पुं०=धव (वृक्ष)। | 
			
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				| दीवान					 : | पुं० [अ०] १. राजसभा। न्यायालय। कचहरी। २. मंत्री। वजीर। ३. अर्थ-मंत्री। ४. उर्दू में किसी कवि या शायर की रचनाओं का संग्रह। जैसे—गालिब का दीवान। | 
			
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				| दीवान-आम					 : | पुं० [अ०] १. ऐसा दरबार जिसमें राजा या बादशाह से सब लोग मिल सकते थे। आम दरबार। २. वह स्थान जहाँ उक्त प्रकार का दरबार लगता हो। | 
			
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				| दीवान-खाना					 : | पुं० [फा० दीवनखानः] १. बैठक। कमरा। २. बड़े-बड़े लोगों के बैठने का स्थान। | 
			
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				| दीवान-खास					 : | पुं० [फा०+अ०] ऐसी सभा जिसमें राजा या बादशाह, मंत्रियों तथा चुने हुए प्रधान लोगों के साथ बैठता है। खास दरबार। २. वह स्थान जिसमें उक्त दरबार लगता हो। | 
			
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				| दीवाना					 : | वि० [फा० दीवानः] [स्त्री० दीवानी] [भाव० दीवानापन] १. पागल। विक्षिप्त। २. जो किसी के प्रेम में पागल रहता हो। ३. किसी काम में तन्मय। | 
			
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				| दीवानापन					 : | पुं० [फा० दीवाना+पन (प्रत्य०)] दीवाने होने की अवस्था या भाव। | 
			
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				| दीवानी					 : | स्त्री० [फा०] १. दीवान का पद। दीवान का ओहदा। वि० [फा०] १. दीवान-संबंधी। दीवान का। २. आर्थिक। स्त्री० १. दीवान का कार्य और पद। २. न्याय का वह विभाग जिसमें केवल आर्थिक विवादों पर विचार होता है। ३. वह अदालत या कचहरी जिसमें उक्त प्रकार के विवादों का विचार होता है। वि० हिं० दीवान का स्त्री० रूप। | 
			
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				| दीवार					 : | स्त्री० [फा०] १. मिट्टी, ईटों, पत्थरों आदि की प्रायः लंबी सीधी और ऊँची रचना जो कोई स्थान घेरने के लिए खड़ी की जाती है। भीत। क्रि० प्र०—उठाना।—खड़ी करना। २. उक्त रचना का कोई पक्ष या पहलू। जैसे—दीवार पर चूना करना। ३. कोई ऐसी रचना, जो सुरक्षा के लिए बनी या बनाई गई हो। जैसे—लोहे की दीवार। ४. किसी वस्तु का घेरा जो ऊपर उठा हो। जैसे—जूते, टोपी या थाली की दीवार। | 
			
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				| दीवारगीर					 : | स्त्री० [फा०] १. दीया, मोमबत्ती, लम्प आदि रखने का आधार जो दीवार में जड़ा जाता है। २. उक्त प्रकार से जलनेवाला दीया, लम्प आदि। ३. दीवार पर टाँगा जानेवाला रंगीन विशेषतः छपा हुआ परदा। | 
			
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				| दीवार-दंड					 : | पुं० [फा० दीवर+हिं० दंड] एक प्रकार की दंड नाम की कसरत जो दीवार पर हाथ रखकर की जाती है। | 
			
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				| दीवाल					 : | स्त्री०=दीवार।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| दीवाला					 : | पुं०=दिवाला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| दीवाली					 : | स्त्री० [सं० दीपावली] १. कार्तिक की अमावास्या को होने-वाला वैश्यों का एक प्रसिद्ध त्योहार जिसमें संध्या के समय घर में सब जगह बहुत से दीपक जलाये जाते और लक्ष्मी की पूजा की जाती है। विशेष—(क) भगवान राम १४ वर्षों के बनवास के उपरांत कार्तिकी अमावस्या को अयोध्या लौटे थे, उन्हीं के आगमन के उपलक्ष्य में यह उत्सव आरंभ हुआ था। (ख) पुराणानुसार दीवाली वस्तुतः वैश्यों का त्योहार है, परन्तु अब इसे सभी वर्णों के लोग मनाते हैं। २. लाक्षणिक अर्थ में, कोई ऐसा शुभ अवसर या घड़ी जिसमें लोग खुशियाँ मनायें। | 
			
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