| शब्द का अर्थ | 
					
				| दार्वड़					 : | पुं० [सं० दारु-अंड, ब० स०] [स्त्री० दार्वडी] मयूर या मोर पक्षी (जिसका अंडा काठ की तरह कड़ा होता है।) | 
			
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				| दार्व					 : | पुं० [सं० दारु+अण्] एक प्राचीन प्रदेश जो कूर्म विभाग के ईशान कोण में और आधुनिक कश्मीर के अन्तर्गत था। | 
			
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				| दार्वट					 : | पुं० [सं० दारु√अट् (भ्रमण)+क] मंत्रणा करने का गुप्त स्थान। मंत्रणा गृह। | 
			
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				| दार्वाघाट					 : | पुं० [सं० दारु आ√हन् (चोट करना)+अण्, नि० टत्व] कठफोड़वा। | 
			
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				| दार्वाट					 : | पुं० [फा० ‘दरबार’ से] मंत्रणा-गृह। | 
			
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				| दार्विका					 : | स्त्री० [सं० दार्वी+क (स्वार्थे)-टाप्, ह्रस्वत्व] १. दारुहलदी से निकाला हुआ तूतिया। २. वन-गोभी। | 
			
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				| दार्वि-पत्रिका					 : | स्त्री० [सं० ब० स०,+कन्+टाप्, इत्व] गोजिह्रा। गोभी। | 
			
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				| दार्वी					 : | स्त्री० [सं०√दृ(विदारण करना)+णिच्+उण्+ङीष्] दारुहलदी। | 
			
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