| शब्द का अर्थ | 
					
				| दर्द					 : | पुं०=दरद (कष्ट या पीड़ा)। | 
			
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				| दर्दमंद					 : | वि०=दरदमंद। | 
			
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				| दर्दर					 : | वि० [सं०√दृ (विदारण)+यङ्+अच् (पृषो०, सिद्धि)] फटा हुआ। पुं० १. थोड़ा टूटा या चटका हुआ कलसा। २. पहाड़। | 
			
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				| दर्दरीक					 : | पुं० [सं०√दृ+णिच्+ईकन्] १. मेंढक। २. बादल। ३. एक तरह का बाजा। | 
			
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				| दर्दी					 : | वि०=दरदमंद। | 
			
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				| दर्दुर					 : | पुं० [सं०√दृ+उरच् (नि० सिद्धि)] १. मेढक। २. बादल। मेघ। ३. अबरक। अभ्रक। ४. एक प्रकार का पुराना बाजा। ५. कवित्त का एक प्रकार का भेद। ६. बहुत से गाँवों से समूह। ७. नगाड़े का शब्द। ८. एक राक्षस का नाम। ९. पश्चिमी घाट पर्वत का एक भाग। मलय पर्वत से लगा हुआ एक पर्वत। १॰. उक्त पर्वत के आस-पास का प्रदेश। | 
			
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				| दर्दुरक					 : | पुं० [सं० दर्दुर+कन्] १. मेंढ़क। २. [दर्दुर√कै (शब्द)+क] एक तरह का बाजा। | 
			
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				| दर्दुरच्छदा					 : | स्त्री० [सं० ब० स०, टाप्] ब्राह्मी बूटी। | 
			
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				| दर्दु					 : | पुं० [सं०√दरिद्रा (दुर्गति)+उ, नि० सिद्धि] दाद (रोग)। | 
			
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				| दर्द्धी (द्धिन्)					 : | वि० [सं०√गृध्+णिनि] [स्त्री० गर्द्धिनी] १. लोभी। २. लुब्ध। | 
			
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