| शब्द का अर्थ | 
					
				| दंडा					 : | पुं०=डंडा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| दंडाकरन					 : | पुं०=दंडकारण्य।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| दंडाक्ष					 : | पुं० [सं०] चंपा नदी के किनारे का एक प्राचीन तीर्थ। (महाभारत)। | 
			
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				| दंडाजिन					 : | पुं० [दण्ड-अजिन, द्व० स०] १. वह दण्ड और मृगचर्म जो साधु-सन्यासी अपने पास रखते हैं। २. व्यर्थ का आडंबर। ३. लोगों को धोखा देने के लिए धारण किया जानेवाला वेष। ४. एक प्रकार का बहुत सूक्ष्म उद्भिज जो तृणाणु से कुछ बड़ा होता है और जिसका प्रजनन-प्रकार भी उससे कुछ भिन्न होता है। | 
			
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				| दंडात्मक					 : | वि० [दण्ड-आत्मन्, ब० स०, कप्] दंड-संबंधी। २. दंड के रूप में होनेवाला। | 
			
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				| दंडादंडि					 : | स्त्री० [दण्ड-दण्ड, ब०स० (इच् समा० पूर्वपद दीर्घ)] डंडों की मार-पीट। लट्ठबाजी। | 
			
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				| दंडादेश					 : | पुं० [दण्ड-आदेश, ष०त०] किसी को उसके अपराध के फलस्वरूप मिलनेवाले दंड की दी जानेवाली सूचना। | 
			
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				| दंडादेशित					 : | भू० कृ० [सं० दण्डादेश+इतच्] जिसे दंडादेश दिया जा चुका या मिल चुका हो। | 
			
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				| दंडाधिकारी (रिन्)					 : | पुं० [दण्ड-अधिकारिन्, ष० त०] वह राजकीय अधिकारी, जिसे आपराधिक अभियोगों का विचार करने और अपराधियों को दंड देने का अधिकार होता है। (मजिस्ट्रेट)। | 
			
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				| दंडाधिप					 : | पुं० [दण्ड-अधिप, ष० त०] कोई स्थानीय प्रधान शासक। | 
			
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				| दंडापूपन्याय					 : | पुं० [दण्ड-अपूप, मध्य० स० दण्डापूप-न्याय मध्य० स०?] एक प्रकार का न्याय जिसके अनुसार दो परस्पर संबंधित बातों में से एक के सिद्ध होने पर दूसरे की सिद्धि उसी प्रकार निश्चित मान ली जाती है, जिस प्रकार डंडे के चूहे द्वारा खा लेने पर उसमें बँधे हुए पूए का भी चूहे द्वारा खा लिया जाना निश्चित होता है। | 
			
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				| दंडायमान					 : | वि० [सं० दण्ड+क्यङ्+शानच्] जो डंडे की तरह सीधा खड़ा हो। क्रि० प्र०—होना। | 
			
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				| दंडार					 : | पुं० [सं० दण्ड√ऋ (जाना)+अण्] १. रथ। २. नाव। ३. कुम्हार का चाक। ४. धनुष। ५. ऐसा हाथी, जिसके मस्तक से मद बह रहा हो। | 
			
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				| दंडार्ह					 : | वि० [सं० दण्ड√अर्ह्+अण्] जिसे दण्ड दिया जाना उचित हो। दंड पाने योग्य। | 
			
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				| दंडालय					 : | पुं० [सं० दण्ड-आलय, ष० त०] १. न्यायालय, जहाँ अपराधियों के लिए दंड का विधान होता है। २. वह स्थान जहाँ अपराधियों को शारीरिक दंड दिया जाता है। ३. दंडकला छंद का दूसरा नाम। | 
			
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				| दंडाश्रम					 : | पुं० [सं० दण्ड-आश्रम, मध्य० स०] वह आश्रम या स्थिति, जिसमें तीर्थयात्री हाथ में डंडा लेकर पैदल चलते हुए तीर्थों की ओर जाते थे, अथवा अब भी कहीं-कहीं जाते हैं। | 
			
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				| दंडाश्रमी (मिन्)					 : | पुं० [सं० दण्डाश्रम+इनि] संन्यासी। | 
			
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				| दंडाहत					 : | वि० [दण्ड-आहत, तृ० त०] डंडे से मारा हुआ। पुं० छाछ। मट्ठा। | 
			
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