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थोड़  : स्त्री० [हिं० थोड़ा] १. थोड़े होने की अवस्था या भाव। कमी। जैसे—यहाँ खाने-पीने की कोई थोड़ नहीं है। २. ऐसा अभाव या कमी जिसकी कमी या पूर्ति की आवश्यकता जान पड़ती हो। जैसे—हमारे यहाँ भी बच्चों की थोड़ है। (पश्चिम) (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
थोड़न  : पुं० [सं० थुड् (ढाँकना)] ढाँकने या लपेटने की क्रिया या भाव।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
थोड़ा  : वि० [सं० स्तोक; पा० थोअ+ड़ा (प्रत्य०)] [स्त्री० थोड़ी] १. जो मात्रा, मान आदि में आवश्यक या उचित से बहुत कम हो। अल्प। जैसे—यह कपड़ा कुर्ते के लिए थोड़ा होगा। मुहा०—(व्यक्ति का) थोड़ा थोड़ा होना=लज्जित या संकुचित होना या होता हुआ जान पड़ना। पद—थोड़ा बहुत=अधिक या यथेष्ट नहीं। कुछ-कुछ। थोड़े में=संक्षेप में। थोड़े ही=बिलकुल नहीं। जैसे—हम वहाँ थोड़े ही गये थे। २. केवल उतन, जितने से किसी तरह काम चल जाय। जैसे—कहीं से थोड़ा नमक ले आओ। क्रि० वि० अल्प मात्रा या मान में। कुछ। जरा। जैसे—थोड़ा ठहरकर चले जाना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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