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ताजा  : वि० [फा० ताज] [स्त्री० ताजी, भाव० ताजगी] १. (वानस्पतिक पदार्थ) जिसे अभी-अभी चयन किया गया हो। जो अधिक समय से पड़ा या रखा हुआ न हो फलतः जो हरा-भरा हो तथा जिसके मूल गुण नष्ट न हुए हों। जैसे–ताजा फल या फूल। २. (खाद्य पदार्थ) जो अभी-अभी या आज ही बना हो। जो बासी न हो। जैसे–ताजी रोटी, ताजा दूध। ३. (पदार्थ) जिसे तैयार हुए या बने अधिक समय न बीता हो। जैसे–उनके यहाँ अभी दिसावर से ताजा माल आया है। ४. (पदार्थ) जो अपने उदगम या मूल स्थान से अभी-अभी निकला हो और जिसमें अभी तक कोई मिश्रण या विकार नहुआ हो जैसे–ताजा खून, ताजा दूध ताजा पानी। ५. (बात या विचार) जिसकी अनुभूति या बोध पहले-पहल हो रहा हो। जैसे–ताजी खबर। ६. (बात या विचार) जो फिर से नये रूप में या नये उद्देश्य से सामने लाया गया हो। जैसे–(क) बीता हुआ झगड़ा फिर से ताजा करना। (ख) कोई चीज या बात देखकर किसी की याद ताजा करना। ७. (चीज) जो शुद्ध तथा स्वच्छ हो। जैसे–ताजी हवा। ८. (चीज) जिसकी गंदगी या विकार दूर करके ठीक किया गया हो और जो फिर से काम में आने के योग्य हो गया हो। जैसे–ताजी भरी हुई चिलम ताजा किया हुआ (पानी बदला हुआ) हुक्का। ९. (व्यक्ति) जिसकी क्लांति या शिथिलता दूर हो चुकी हो और जो प्रफुल्लित या स्वस्थ होकर फिर से अपना पूरा काम ठीक तरह से करने के लिए तैयार हो गया हो। जैसे–कुछ देर तक सुस्ता लेने (अथवा नहा लेने या जलपान कर लेने) पर आदमी ताजा हो जाता है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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