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तप(स्)  : पुं० [सं०√तप् (सरीर को कष्ट देना)+असुन्] १. स्वेच्छा से शारीरिक कष्ट सहते हुए इंद्रियों तथा मन को वश में रखना औरयम, नियम आदि का पालन करना। शरीर को तपाना। तपस्या। २. किये हुए अपराध या पाप के प्रायश्चित स्वरूप स्वेच्छा से किया जानेवाला ऐसा कठोर आचरण जिससे शरीर को कष्ट होता हो। तपस्या। ३. अग्नि। आग। ४. गरमी। ताप। ५. गरमी के दिन। ग्रीष्म ऋतु। ६. ज्वर। बुखार। ७. एक कल्प का नाम। ८. माघ नाम का महीना। ९. ज्योतिष में लग्न का नवाँ स्थान। १॰. दे० ‘तपोलोक’।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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