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ठोस  : वि० [हिं० ठस] १. (पदार्थ) जिसकी रचना में अन्दर कहीं खोखलापन न हो; और इसलिए जो बहुत कड़ा ठस और पक्का हो। जैसे–धातुएँ, पत्थर और लकड़ियाँ अपने प्राकृतिक या मूल रूप में सदा ठोस होती हैं। २. (रचना) जिसके अन्दर न तो किसी प्रकार का पोलापन हो और न पोलेपन की पूर्ति के लिए किसी प्रकार का भराव हो। जैसे–चाँदी या सोने का ठोस कड़ा या ठोस मूर्ति। ३. (तत्त्व या विषय) जिसमें भर-पूर तथ्य, पुष्टता, या सारभूत बातें हों और इसी लिए जिसमें यथेष्ट उपयोगिता, दृढता, प्रामाणिकता, मान्यता आदि गुण वर्तमान हों। जैसे–उनकी सारी पुस्तक ठोस विचारों से भरी पड़ी है। ४. जिसका कोई ठीक दृश्य, या मूर्त्त रूप सामने हो। जिसमें अव्यावहारिक, असंगत या सारहीन बातों की अधिकता या प्रधानता न हो। जैसे–जब तक कोई ठोस प्रस्ताव या सुझाव सामने न आवे, तब तक इस विषय पर विचार नहीं हो सकता। ५. (व्यक्ति) जिसके पास या जिसमें प्रामाणिक या विश्वसनीय माना जा सकता हो। जैसे–ठोस आसामी ठोस महाजन।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
ठोसना  : स० [हिं० ठाँसना या ठूसना ?] १. धक्का देते हुए आघात या प्रहार करना। २. किसी को जलाने या कुढ़ाने के लिए बहुत कठोर या लगती हुई बात कहना। ठोसा देना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
ठोसा  : पुं० [हिं० ठोसना] १. वह आघात या प्रहार जो किसी को धक्के देते हुए किया जाय। २. वह व्यंग्यपूर्ण बात जो किसी को कुढ़ाने या जलाने के लिए कही जाय। उदाहरण–इक हरि के दरसन बिनु मरियत, अरु कुब्जा के ठोसनि।–सूर। ३. कुढ़ाने या चिढ़ाने के लिए दिखाया जानेवाला हाथ का अँगूठा। ठेंगा।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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