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ठीहा  : पुं० [ठाह से अनु] १. लकड़ी का वह गोलाकार या चौकोर छोटा टुकड़ा जो जमीन में गड़ा या धँसा रहता है तथा जिस पर रखकर चरी आदि काटी जाती है। २. बढ़इयों, लोहारों आदि का वह कुंदा जिस पर लकड़ी या लोहा रखकर छीलते या पीटते हैं। ३. किसी चीज को लुढ़कने या हिलने-डोलने से बचाने के लिए उसके इधर-उधर या नीचे रखा जानेवाला ईंट, पत्थर, लकड़ी आदि का टुकड़ा। जैसे–गाड़ी के पहिए के नीचे रखा जानेवाला ठीहा। ४. लकड़ी का वह ढाँचा जिसमें फँसाकर बढ़ई लकड़ी चीरते हैं। ५. वह कुछ ऊँचा स्थान जिस पर बैठकर छोटे दूकानदार सौदा बेचते हैं। ६. गाँव, बगीचे आदि की सीमा या हद जो पहले पत्थर या लट्ठा गाड़कर सूचित की जाती थी। ७. उक्त प्रकार का गाड़ा हुआ पत्थर या लट्ठा। ८.चाँड़। थूनी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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