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झल  : पुं० [हिं० झार, सं० झल=ताप] १. स्वाद आदि की तीक्ष्णता। झाल। २. जलन। ताप। दाह। ३. काम-वासना। संभोग की प्रबल इच्छा। ४. किसी बात की प्रबल कामना या इच्छा। क्रोध। गुस्सा। ६. झक। सनक। ७. उन्माद। पागलपन। ८. दल। ९. राशि। समूह।
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झलक  : स्त्री० [सं० झल्लिका=चमक] १. झलकने की क्रिया, अवस्था या भाव। २. ऐसा क्षणिक दर्शन या प्रत्यक्षीकरण जिसमें किसी चीज के रूप-रंग, आकार-प्रकार आदि का पूरा-पूरा ज्ञान तो न हो, पर उसका कुछ आभास अवश्य मिल जाय। ३. ऐसा दृश्य जिससे किसी चीज का संक्षिप्त परिचय मात्र मिलता हो। ४. चित्रकला में, वह आभा या रंगत जो किसी समूचे चित्र में व्याप्त हो। ५. चमक। प्रभा।
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झलकदार  : वि० [हिं० झलक+फा० दार] जिसमें आभा या चमक हो। चमकीला।
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झलकना  : अ० [हिं० झलक+ना (प्रत्यय)] १. इस प्रकार किसी के सामने एकाएक कुछ क्षणों के लिए उपस्थित होना और तुरंत ही अंतर्धान या अदृश्य हो जाना कि उसके आकार-प्रकार, रूप-रंग आदि का ठीक और पूरा भान न हो पाये। २. लाक्षणिक अर्थ में किसी बात आदि का आभास मात्र मिलना। जैसे–उसकी बात से झलकता था कि पुस्तक उसी ने चुराई है। ३. चमकना।
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झलकनि  : स्त्री०=झलक।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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झलका  : पुं० [सं० ज्वल=जलना] छाला। फफोला। उदाहरण–झलका झलकत पायन ऐसे।–तुलसी।
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झलकाना  : स० [हिं० झलकना का स० रूप०] १. ऐसी क्रिया करना जिससे कोई चीज झलके या कुछ चमकती हुई थोड़ी देर के लिए सामने आये। २. चमकाना। ३. बात-चीत व्यवहार आदि में कोई अभिप्राय या आशय बहुत ही अस्पष्ट या कुछ छिपे हुए रूप में लक्षित कराना। आभास देना। दरसाना।
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झलकी  : स्त्री० [हिं० झलक] १. आकाशवाणी रेडियो से प्रसारित होनेवाली एक प्रकार की बहुत छोटी नाटिका जिसके अंगों को परस्पर सम्बद्ध करने के लिए व्याख्यात्मक छोटी वार्त्ता भी होती है। इनमें दैनिक जीवन की सामान्य घटनाओं का उल्लेख होता है। (आधुनिक) २.=झलक।
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झलझल  : स्त्री० [सं० झलज्झलः] चमक-दमक, विशेषतः गहनों की चमक-दमक। वि० खूब चमकता-दमकता हुआ। क्रि० वि० १. चमक-दमक से० २. तीव्र आभा या प्रकाश से युक्त होकर। जैसे–गहनों का झलझल चमकना।
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झलझलाना  : अ० [अनु०] खूब चमकना। स० खूब चमकाना।
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झलझलाहट  : स्त्री० [हिं० झलझल+आहट(प्रत्यय)०] झलझलाने अर्थात् चमकने की अवस्था, क्रिया या भाव।
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झलना  : स० [हिं० झलझल (हिलना) से अनु०] १. हवा करने के लिए पंखा या कोई चीज बार-बार चलाना या हिलाना डुलाना। २. धक्का देकर आगे बढ़ाना। ढकेलना। अ० किसी चीज के अगले भाग का इधर-उधर हिलना-डोलना। (क्व०) स०=झेलना। (देखें)। अ० [हिं० झल्ला=पागल ?] शेखी बघारना। डींग हाँकना। अ० [हिं० झालना का अ०] धातु आदि की चीजों का झाला या टांके से जोड़ा जाना।
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झलमल  : स्त्री० [स० ज्वल=दीप्ति] १. अँधेरे के बीच में रह-रहकर होने वाला मध्यम या हल्का प्रकाश। २. अंधकार। अँधेरा। ३. चमक-दमक। वि० १. जिसमें अंधकार के साथ-साथ कुछ-कुछ प्रकाश भी हो। २. चमकीला।
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झलमला  : वि०=झिलमिला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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झलमलाना  : अ० [हिं० झलमल] १. रह-रहकर चमकना। चमचमाना। (दीपक का) रह-रहकर कभी तीव्र और कभी मंद प्रकाश देना। स० १. रह-रहकर चमकाना। २. ऐसी क्रिया करना जिससे कभी कुछ तीव्र और कभी कुछ मंद प्रकाश निकले।
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झलरा  : पुं०=झालर (पकवान)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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झलराना  : स० [हिं० झालर] १. झालर के रूप में बनाना। झालर का रूप देना। २. झालर टाँकना या लगाना। अ० झालर के रूप में या यों ही फैलकर छाना या छितराना।
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झलरी  : स्त्री० [सं० झल√रा+ड-ङीष्] १. हुडुक नाम का बाजा। २. झाँझ।
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झलवाना  : स० [हिं० झलना] झलने का काम दूसरे से कराना। जैसे–पंखा झलवाना। स० [हिं० झालना] झालने का काम दूसरे से कराना।
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झलहल  : वि० [अनु० झलाझल] चमकदार। पुं०=झलमल। क्रि० वि०=झल झल।
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झलहाया  : वि० [हिं० झल] [स्त्री० झलहाई] १. जिसे किसी प्रकार की झल या सनक हो। २. डाह करनेवाला। ईर्ष्यालु।
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झला  : स्त्री० [सं०] आतप। धूप। पुं० [हिं० झड़] १. हलकी वर्षा। २. ढेर। राशि। ३. झुंड। दल। पुं० [हिं० झलना] पंखा जो जला जाता है। स्त्री०=झालर।
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झलाई  : स्त्री० [हिं० झालना] कड़ी धातुओं को मुलायम धातुओं के टांके से जोड़ने की क्रिया, भाव या मजदूरी। (सोल्डरिंग)।
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झलाऊ  : वि० [हिं० झोल] १. जिसमें झोल हो। झोलदार। २. ढीला-ढाला।
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झलाझल  : वि० [अनु०] [भाव० झलाझली] बहुत अधिक चमक-दमक वाला। चमकता हुआ। क्रि० वि० चमकते हुए। प्रकाश के साथ। पुं० एक प्रकार का झकीला कपड़ा।
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झलाझली  : स्त्री० [अनु०] झलझल या बहुत अधिक चमकीले होने की अवस्था या भाव। वि० क्रि० वि०=झलाझल। स्त्री० [हिं० झलना] पंखे आदि का बराबर झला और झलवाया जाना।
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झलाना  : स० [हिं० झलाना] झलने का काम दूसरे से कराना। झलवाना।
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झलाबोर  : पुं० [हिं० झलझल=चमक] १. जरी आदि के बने हुए दुपट्टों या साड़ियों का आँचल। २. कोई ऐसी चीज जिस पर कारचोबी या जरी का काम किया जाता हो। ३. एक प्रकार की आतिशबाजी। ४. चमक-दमक। ५. कँटीली झाड़ी। वि० खूब चमक-दमकवाला।
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झलामल  : स्त्री० वि०=झममल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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झलारा  : वि० [हिं० झाल] [स्त्री० झालरी] बहुत ही तीक्ष्ण स्वादवाला। झालदार।
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झलाहा  : वि० [हिं० झाल] [स्त्री० झलाही] १. बहुत तीक्ष्ण स्वादवाला। झालदार। २. ईर्ष्या या डाह करनेवाला। ३. बहुत ही उग्र या कठोर स्वभाव वाला। उदाहरण–मैं अपने बनड़े से पानी भराऊँ, ननदी झलाही को क्या है मलोला।–स्त्रियों का गीत।
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झलि  : स्त्री० [सं०] एक तरह की सुपारी।
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झल्ल  : पुं० [सं०√ झर्च्छ्+क्विप्√ ला+क] १. वह जिसके वैदिक संस्कार न हुए हों। व्रात्य। २. एक प्राचीन वर्ण-संकर जाति। ३. भाँड़। विदूषक। ४. हुडुक नाम का बाजा। पटह। ५. आग की लपट। ज्वाला। स्त्री० [हिं० झल्ला] झल्ले होने की अवस्था या भाव। पागलपन। सनक।
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झल्ल-कंठ  : पुं० [ब० स०] कबूतर।
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झल्लक  : पुं० [सं० झल्ल+कन्] १. काँसे का बना हुआ करताल। झाँझ। २. मँजीरा।
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झल्लकी  : स्त्री० [सं० झल्लक+ङीष्]=झल्लक।
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झल्लना  : अ० [हिं० झल्ल] १. बावला या पागल होना। २. क्रुद्ध होना। ३. डींग मारना। स० =झलना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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झल्लरा  : स्त्री० [√झर्च्छ्+अरन्, पृषो० सिद्धि] १. पुरानी चाल का चमड़े से मढ़ा हुआ एक बाजा। हुडुक। २. झाँझ। ३. पसीना। स्वेद। ४. घुँघराले बाल। ४. शुद्धता।
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झल्लरी  : स्त्री० [सं० झल्लर+ङीष्]=झल्लरा।
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झल्ला  : पुं० [देश०] [स्त्री० झल्ली] १. बहुत बड़ा टोकरा। झाबा। २. वर्षा की ऐसी झड़ी जिसके साथ तेज हवा भी हो। झंझा। ३. तमाकू के पत्तों पर उभरनेवाले चकते या दाने। वि० [हिं० झल्लाना] [स्त्री० झल्ली] कम वृद्धि होने के कारण पागलों जैसा आचरण करनेवाला। सिड़ी। वि० [हिं० झाल] [स्त्री० झल्ली] बहुत ही तरल या पतला। जैसे–झल्ली दाल, तरकारी का झल्ला रसा।
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झल्लाना  : अ० [हिं० झल] १. क्रुद्ध होकर या खीझकर बहुत ही तीक्ष्ण स्वर में बोलना। २. बिगड़ते हुए बोलना। स० किसी को खिजलाने या खीझने में प्रवृत्त करना।
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झल्लिका  : स्त्री० [सं० झल्ल√कै (प्रकाश करना)+क, पृषो० सिद्धि] १. शरीर पोंछने का कपड़ा। अँगोछा। २. शरीर को मलकर पोंछने पर निकलेवाली मैल। ३. चमक। दीप्ति। ४. सूर्य की किरणों का तेज या प्रकाश।
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झल्ली  : स्त्री० [सं० झल्ली+ङीष्] एक प्रकार का चमड़े से मढा हुआ छोटा बाजा। वि० हिं० ‘झल्ला’ का स्त्री रूप।
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झल्लीवाला  : पुं० [हिं० झल्ली] [स्त्री० झल्लीवाली] वह व्यक्ति जो टोकरे में बोझ रखकर ढोता हो।
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झल्लीषक  : पुं० [सं०] एक तरह का नृत्य।
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झलुआ  : पुं० [हिं० झूला] छोटा झूला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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