शब्द का अर्थ
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					जलन					 :
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					स्त्री० [हिं० जलना] १. जलने की अवस्था, क्रिया या भाव। २. शरीर के किसी अंग के जलने पर उसमें होनेवाली कष्टकारक चुन-चुनाहट या पीड़ा। ३. शरीर में अथवा उसके किसी अंग में किसी प्रकार का रोग या विकार होने के कारण होनेवाली कष्टकारक चुनचुनाहट। जैसे–खुजली के कारण शरीर में जलन होना। ४. किसी की उन्नति, वैभव, सुख आदि देखकर ईर्ष्या और द्वेष के कारण होनेवाला मानसिक कष्ट।				 | 
			
			
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					जलनकुल					 :
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					पुं० [सं० स० त०] ऊदबिलाव।				 | 
			
			
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					जलना					 :
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					अ० [सं० ज्वलन] १. आग का संयोग या संपर्क होने पर किसी वस्तु का ऐसी स्थिति में होना कि उसमें से (क) लपट (जैसे–कोयला जलना) (ख) प्रकाश (जैसे–दीया जलना) (ग) ताप (जैसे–कहाड़ी या तावा जलना) (घ) धूआँ (जैसे–गीली लकड़ी जलने पर) आग उत्पन्न होने या निकलने लगे। विशेष–प्रयोग की दृष्टि से जलना का क्षेत्र बहुत व्यापक है। हमारे यहाँ स्वयं आग भी जलती है आग की भट्ठी या चूल्हा भी जलता है, भट्ठी या चूल्हे में का ईधन भी जलता है जिसमें कोई चीज पकाई जाती है। इसी प्रकार दीया भी जलता है, उसमें का तेल भी जलता है और उसमें की बत्ती जलती है। पद–जलती आग-भयावह या संकट-पूर्ण वातावरण या स्थिति। मुहावरा–जलती आग में कूदना=जान-बूझकर अपनी जान जोखिम में या विशेष संकट में डालना। २. उक्त के आधार पर किसी वस्तु का आग से संयोग या संपर्क होने पर जलकर भस्म हो जाना। जैसे–घर या शव जलना। ३. किसी विशिष्ट प्रक्रिया से किसी वस्तु के साथ अग्नि का ऐसा संयोग होना कि उस वस्तु को कोई दूसरा या नया रूप प्राप्त हो। ४. शरीर के किसी अंग का अग्नि या ताप के कारण विकृत अवस्था को प्राप्त होना। जैसे–(क) रोटी पकाते समय तवे से हाथ जलना। (ख) गरम बालू पर चलते समय पैर जलना। (ग) गरम दूध पीने से मुँह जलना। मुहावरा–जले पर नमक छिड़कना=ऐसा काम करना जिससे दुखिया का दुख और अधिक बढ़े। ५. पेड़-पौधों के संबंध में, अधिक ताप के प्रभाव के कारण मुरझा या सूख जाना। जैसे–इस भीषण गरमी में खेत के खेत जल गये हैं। ६. (आंतरिक ताप) के कारण शरीर का बहुत अधिक तप जाना। जैसे–ज्वर के कारण शरीर जलना। ७. किसी प्रकार की भौतिक या रासायनिक प्रक्रिया के कारण किसी वस्तु के विशिष्ट गुणों का नष्ट होना। जैसे–(क) बिजली का तार जलना। (ख) तेजाब की बूँद पड़ने पर कपड़ा जलना। ८. लाक्षणिक अर्थ में, ईर्ष्या, क्रोध रागद्वेष आदि के कारण बहुत अधिक उतप्त होना। मुहावरा–जली कटी सुनाना=ईर्ष्या क्रोध आदि के कारण बहुत सी कटु बातें कहना। जल मरना=ईर्ष्या द्वेष आदि के कारण बहुत अधिक दुखी होना।				 | 
			
			
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					जलनीम					 :
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					स्त्री० [सं० जल निंब] जलाशयों की दलदली भूमि से उपजने वाली एक प्रकार की लोनिया।				 | 
			
			
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					जलनीलिका					 :
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					स्त्री० [सं० जलनीली+कन्-टाप्, हृस्व] सेवार।				 | 
			
			
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					जलनीली					 :
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					स्त्री० [सं० जल√निल् (नीला करना)+णिच्+अण्-ङीषी] सेवार।				 | 
			
			
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