शब्द का अर्थ
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					छाग					 :
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					पुं० [√ छो (काटना)+गन्] १. बकरा। २. बकरी का दूध। ३. पुरोडश। ४. मेष राशि। वि० बकरा संबंधी। बकरे का।				 | 
			
			
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					छागभोजी(जिन्)					 :
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					वि० [छाग√भुज्(खाना+णिनि)] बकरे का मांस खानेवाला। पुं० भेड़िया।				 | 
			
			
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					छागमय					 :
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					पुं० [सं० छाग+मयट्] कार्तिकेय का छठा मुख।				 | 
			
			
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					छाग-मुख					 :
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					पुं० [ब०स०] १. कार्तिकेय। २. कार्तिकेय का एक अनुचर।				 | 
			
			
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					छागर					 :
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					पुं० [सं० छागल] बकरा। उदाहरण–छगर मेढ़ा बड़ औ छोटे-जायसी।				 | 
			
			
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					छाग-रथ					 :
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					पुं० [ब० स०] अग्नि।				 | 
			
			
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					छागल					 :
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					पुं० [सं० छगल+अण्] बकरा। स्त्री० पानी भरने के लिए बनाई हुई चमड़े की मशक। डोल। स्त्री० [पश्तो] पैर में पहनने का एक गहना।				 | 
			
			
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					छाग-वाहन					 :
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					पुं० [ब० स०] अग्नि।				 | 
			
			
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					छागिका					 :
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					स्त्री० [सं० छागी+कन्, टाप्, हृस्व] बकरी।				 | 
			
			
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					छागी					 :
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					स्त्री० [सं० छाग+ङीष्] बकरी।				 | 
			
			
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