| शब्द का अर्थ | 
					
				| चौरसा					 : | वि० [हिं० चौ+रस] जिसमें चार प्रकार के रस या स्वाद हों। चार रसोंवाला। पुं० १. चार रुपए भर का बाट। २. मंदिर में ठाकुर या देवता की शय्या पर बिछाने की चादर। | 
			
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				| चौरसाई					 : | स्त्री० [हिं० चौरसाना] १. जमीन आदि चौरस करने या होने की अवस्था या भाव। चौरसपन। २. जमीन चौरस करने की पारिश्रमिक या मजदूरी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| चौरसाना					 : | स० [हिं० चौरस] चौरस करना। बराबर करना। किसी वस्तु का तल चौरस या सम करना या बनाना। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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